माँ Durga Shabar Mantra एक ऐसा विशेष मंत्र है जिसका जाप देवी दुर्गा के आद्य शक्ति और उग्र रूप की आराधना में किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों के आवागमन के साथ ही धरती पर मां दुर्गा की पूजा और अर्चना की जाती है। यह साधारणतया देवी दुर्गा के उग्र रूप की आदर्श प्रतीक्षा का समय है। इन दिनों में व्रत, उपासना, भक्ति और साधनाओं के माध्यम से माता दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किए जाते हैं। यह मंत्र दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का अद्वितीय माध्यम है।
इसे साधक अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए जाप करते हैं।
माँ दुर्गा शाबर मंत्र । Maa Durga Shabar Mantra
डण्ड भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड। प्रगट देवि! तुहि झुण्डन के झुण्ड।
खगर दिखा खप्पर लियां, खड़ी कालका। तागड़दे मस्तंग, तिलक मागरदे् मस्तंग।
चोला जरी का, फागड़ दीफू, गले फुल माल, जय जय जयन्त।
जय आदि शक्ति। जय कालका खपर-धनी।
जय मचकुट छन्दनी देव। जय-जय महिरा, जय मरदिनी।
जय-जय चुण्ड-मुण्ड, भाण्डासुर-खण्डनी, जय रक्त बीच बिडाल-बिहण्डनी।
जय निशुम्भ को दलनी, जय शिव राजेश्वरी।
अमृत-यज्ञ, धागी-धृट, दृवड़-दृवड़नी। बड़ रवि डर-डरनी, ओम् ओम् ओम्।।।
दुर्गा शाबर मंत्र साधना करने से क्या होगा?
जब एक साधक सावधानी और एकाग्र चेतना से उपासना करता है, तो उसे धीरे-धीरे सिद्धियां प्राप्त होती हैं। जो भी मनोकामना की पूर्ति के लिए साधना की जा रही है, वह पूरी हो जाती है। साधना करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं। जब वर्ष की चार नवरात्रियों में साधना की जाती है, तो इसका परिणाम अत्यधिक उत्सवपूर्ण होता है।
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साधना करने का लाभ यह है कि यह आपको माता दुर्गा के प्रति अनुराग और आस्था में वृद्धि करता है। यह आपको आध्यात्मिक और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है और आपको सकारात्मकता की भावना देता है। साधना करने से आपका मन शांत होता है और आपकी आत्मा प्रकाशित होती है। इसके साथ ही, यह आपको शक्ति, सुरक्षा और सफलता प्रदान करता है।
साधना के द्वारा आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। यह आपकी आंतरिक सामर्थ्य और सामरिकता को बढ़ाता है।
दुर्गा शाबर मंत्र साधना के नियम क्या हैं?
साधना के नियमों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
ब्रह्मचर्य: साधकों को साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, यानी वीर्यशोषण या यौन संबंध का त्याग करना। इसका मकसद मन को शुद्ध और शक्तिशाली बनाना होता है।
अन्नोपवास: साधकों को नवरात्रि जैसी साधना में उपवास करना चाहिए। इसमें साधक को एक समय में ही भोजन करना चाहिए या फिर दोनों समयों में फल और दूध का सेवन करना चाहिए। इससे साधक उपवास की भावना को प्रतिष्ठित करता है। अधिकांश साधनाओं में भी उपवास का अनुसरण किया जाता है।
नमक और मीठा का त्याग: साधकों को नमक, चीनी और मिष्ठानादि का त्याग करना चाहिए। यह आहार के संबंध में आवश्यक बाध्यता है जो शरीर और मन को शुद्ध करती है।
मौन: साधकों को अपने साधना काल में मौन व्रत रखना चाहिए, यानी मनसिक और वाचिक चुप्पी करनी चाहिए। इससे मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिकता को प्राप्ति होती है।
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शारीरिक और भौतिक सेवाएं: साधकों को अपनी शारीरिक सेवाओं को स्वयं करना चाहिए। इसका अर्थ है कि वे स्वयं ही अपने कार्यों को संपादित करें, चमड़े की बनी वस्त्र का त्याग करें, भूमि पर सोवें और पशुओं पर सवारी का त्याग करें। ये सब क्रियाएं आहार, वस्त्र, शयन और वाहन के संबंध में आवश्यक बाध्यताओं को दर्शाती हैं।
त्याग: साधकों को अपने सुख-सुविधाओं को यथासम्भव त्याग करके साधना में लीन होना चाहिए। यह तप होता है और मन को संयमित और साधनाओं के लिए प्रेरित करता है।
स्थान और समय: साधकों को अपनी पूजा और साधना का निश्चित स्थान और समय निर्धारित करना चाहिए। यह नियमितता और आध्यात्मिक अभ्यास को सुनिश्चित करता है।
यह साधना के नियमों की एक सामान्य सूची है, लेकिन यह नियम साधना के प्रकार और धार्मिक आचार्यों के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। साधना के दौरान अपने गुरु या आध्यात्मिक मार्गदर्शक की निर्देशिका का भी पालन करना महत्व हे ।
Durga Shabar Mantra Pdf
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दुर्गा मां किसका बेटी है?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती हिमवान राजा की पुत्री थीं और उन्हें गिरिजा नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है “पहाड़ से उत्पन्न हुई।” मां पार्वती का ही एक रूप देवी दुर्गा है।
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