उमा महेश्वर स्तोत्र (Shri Uma Maheshwar Stotra)| उमा महेश्वर मंत्र
नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।
नगेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 1 ॥
नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यां नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।
नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 2 ॥
नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।
विभूतिपाटीरविलेपनाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 3 ॥
नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।
जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 4 ॥
नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां पञ्चाक्षरीपञ्जररञ्जिताभ्याम् ।
प्रपञ्चसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 5 ॥
नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्यां अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।
अशेषलोकैकहितङ्कराभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 6 ॥
नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।
कैलासशैलस्थितदेवताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 7 ॥
नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्यां अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।
अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसम्भृताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 8 ॥
नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।
राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 9 ॥
नमः शिवाभ्यां जटिलन्धराभ्यां जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।
जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 10 ॥
नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्यां बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम् ।
शोभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 11 ॥
नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्यां जगत्रयीरक्षणबद्धहृद्भ्याम् ।
समस्तदेवासुरपूजिताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 12 ॥
स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्यां भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो यः ।
स सर्वसौभाग्यफलानि भुङ्क्ते शतायुरान्ते शिवलोकमेति ॥ 13 ॥
उमा महेश्वर स्तोत्र अर्थ सहित
नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।
नगेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 1 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो नवयौवन के स्वरूप हैं और जो एक-दूसरे के शरीर को आलिंगन करते हैं। जो नागेश्वरी और वृषकेतना के घर में निवास करते हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूँ।
नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यां नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।
नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 2 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो सरसोत्सव के अवसर पर पूज्य होते हैं और जो भक्तों के इच्छित वर देने वाले हैं। जिनके पादुकाएँ भगवान नारायण द्वारा पूजित की जाती हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूँ।
नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम्।
विभूतिपाटीरविलेपनाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 3 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो वृषवाहन के साथ हैं और जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और इंद्र भी पूजते हैं। जिनकी विभूति से पूरी धरती को धारण किया जाता है। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।
जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 4 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो जगदीश्वर, जगत्पति, और विजय के रूप में प्रसिद्ध हैं। जिन्हें जम्भारि मुख्य द्वारा भी वंदना किया जाता है। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां पञ्चाक्षरीपञ्जररञ्जिताभ्याम् ।
प्रपञ्चसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 5 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो परम औषधियों से युक्त हैं और पंचाक्षर मंत्र के पंजर में विराजमान हैं। जो संसार के सृष्टि, स्थिति और संहार को नियंत्रित करती हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्यां अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम्।
अशेषलोकैकहितङ्कराभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 6 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो अत्यंत सुंदर हैं और जिनके हृदय का आकर्षण प्रेम से भरा हुआ है। जो समस्त लोकों के हित के लिए एक ही हृदय से कार्य करते हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।
कैलासशैलस्थितदेवताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 7 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो काल की नाशिनी हैं और कङ्काल की शुभ रूप धारण करती हैं। जो कैलास पर्वत पर विराजमान देवताओं को नमस्कार करती हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्यां अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।
अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसम्भृताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 8 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो समस्त लोकों के लिए अशुभता को दूर करने वाली हैं, और विशेष रूप से एक लोक के लिए विशेषित हैं। जो स्मृतियों को उत्तेजित करने वाली हैं और अकुण्ठित (चिंता-मुक्त) हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।
राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 9 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो रथ (वाहन) पर विराजमान हैं, सूर्य और अग्नि के तेज समान चक्षुओं वाली हैं। जिनके मुखकमल में रात्रि के अंधकार का संहार हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
नमः शिवाभ्यां जटिलन्धराभ्यां जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।
जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 10 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो जटाधारी हैं, जो जरा और मृत्यु से रहित हैं। जो जनार्दन (विष्णु) के कमल से उत्पन्न हुई हैं और पूजनीय हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्यां बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम् ।
शोभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 11 ॥
इस मंत्र का अर्थ है:
मैं शिव-पार्वती को नमस्कार करता हूं, जो विषम दृष्टि से युक्त हैं, जो बिल्व और अमल्लिका की मालाएँ धारण करती हैं। जो सुंदर और शांत हैं, जो सर्वशक्तिमान हैं। मैं उन्हें शिव-पार्वती को पुनः-पुनः नमस्कार करता हूं।
ओम उमा महेश्वर नमः लाभ
श्री उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ करने से घर में सुख, समृद्धि, और शांति बनी रहती है। जीवन सुखद और आनंदमय हो जाता है। इस स्तोत्र को नियमित रूप से पढ़ने से विवाहित स्त्रियों को अखंड सुख प्राप्त होता है और अविवाहितों को अपने मनचाहे साथी का आशीर्वाद मिलता है। जो व्यक्ति इस स्तोत्र को नित्य रूप से पढ़ता है, उसे शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। इसके अतिरिक्त, इस स्तोत्र के पाठ से भगवान शिव और देवी पार्वती को प्रसन्न करके मनोवांछित प्राप्ति की अपेक्षा की जा सकती है।
श्री उमा महेश्वर स्तोत्र (Uma Maheshwar Stotra) का महत्व
श्री उमा महेश्वर स्तोत्र, जो गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है, शिव और देवी पार्वती की साथ पूजा करने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और विशेष स्तोत्र है। यह स्तोत्र अच्छे वैवाहिक जीवन और पारिवारिक संबंधों के लिए उत्कृष्ट माना जाता है। सावन के महीनों में इसका पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
उमा महेश्वर स्तोत्र से संबंधित सामान्य प्रश्न (FAQs)
उमा महेश्वर स्तोत्र क्या है?
उमा महेश्वर स्तोत्र, आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जिसमें भगवान शिव और देवी पार्वती (उमा) की प्रशंसा की गई है। इस स्तोत्र में कुल 12 श्लोक हैं, जो भक्तों को समर्पित किए गए हैं।
उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ करने के लाभ क्या हैं?
इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग प्राप्त होता है।
उमा महेश्वर कौन थे?
उमा महेश्वर हिंदू धर्म में शिव (महेश्वर) और उनकी पत्नी पार्वती (उमा) के दिव्य मिलन का प्रतीक हैं। शिव सर्वोच्च पुरुष और पार्वती आदि स्त्रैण ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं।
शिव को महेश्वर क्यों कहा जाता है?
महेश्वर का अर्थ है “सर्वोच्च भगवान”। शिव को सृष्टि, पालन और संहार के स्वामी के रूप में पूजा जाता है, जो पूरे ब्रह्मांड की संरचना और संतुलन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उमा महेश्वर का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
उमा महेश्वर शिव और शक्ति (पुरुष और प्रकृति) के मिलन का प्रतीक हैं। यह ब्रह्मांड में संतुलन, सृजन, और जीवन की निरंतरता का प्रतिनिधित्व करता है।