शिव ध्यान मंत्र भगवान शिव की किसी भी पूजा में उपयोग किया जाने वाला ध्यान, शंकर भगवान शिव को अत्यधिक प्रसन्न करता है। इस ध्यान में भगवान की स्तुति की गई है और उनके पूरे परिवार का ध्यान लिया गया है। यह ध्यान मंत्र मानसिक शांति को प्राप्त करने में सहायक होता है और भगवान भोलेनाथ इससे अत्यधिक प्रसन्न होते हैं, जो हर सुख को प्रदान करने वाले हैं। इस ध्यान मंत्र को शिखरिणी छंद में गाया गया है, और जो भक्त भगवान की इसी प्रकार की स्तुति करते हैं, उन्हें भगवान खुश होते हुए आशीर्वाद देते हैं।
शिव ध्यान मंत्र । श्रीशिव ध्यानम् । Shiva Dhyan mantra
॥ श्रीशिव ध्यानम् ॥
ॐ डिं डिं डिंकत डिम्ब डिम्ब डमरु, पाणौ सदा यस्य वै।
फुं फुं फुंकत सर्पजाल हृदयं , घं घं च घण्टा रवम् ॥
वं वं वंकत वम्ब वम्ब वहनं , कारुण्य पुण्यात् परम् ॥
भं भं भंकत भम्ब भम्ब नयनं , ध्यायेत् शिवम् शंकरम्॥
यावत् तोय धरा धरा धर धरा ,धारा धरा भूधरा॥
यावत् चारु सुचारु चारू चमरं , चामीकरं चामरं ॥
यावत् रावण राम राम रमणं , रामायणे श्रुयताम्॥
तावत् भोग विभोग भोगमतुलम् यो गायते नित्यस:॥
यस्याग्रे द्राट द्राट द्रुट द्रुट ममलं , टंट टंट टंटटम् ॥
तैलं तैलं तु तैलं खुखु खुखु खुखुमं , खंख खंख सखंखम्॥
डंस डंस डुडंस डुहि चकितं , भूपकं भूय नालम् ॥
ध्यायस्ते विप्रगाहे सवसति सवलः पातु वः चंद्रचूडः॥
गात्रं भस्मसितं सितं च हसितं हस्ते कपालं सितम् ॥
खट्वांग च सितं सितश्च भृषभः , कर्णेसिते कुण्डले ।
गंगाफनेसिता जटापशु पतेश्चनद्रः सितो मूर्धनि ।
सोऽयं सर्वसितो ददातु विभवं , पापक्षयं सर्वदा ॥
॥ इति शिव ध्यानम् ॥
शिव ध्यान मंत्र करने के लिए विधियाँ । Shiva Dhyan mantra
भगवान शिव के पूजा में ध्यान करने के लिए अनेक विधियाँ हैं जो उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। ये ध्यान भगवान की स्तुति करने के विभिन्न तरीकों को सम्मिलित करते हैं और उनके पूरे परिवार के ध्यान को लेते हैं। इस ध्यान से मानसिक शांति प्राप्त होती है और भगवान भोलेनाथ खुश होते हैं, जो हर सुख-दुःख को साझा करने वाले हैं। निम्नलिखित हैं उनमें से कुछ प्रमुख ध्यान विधियाँ:
- मंत्र जाप: भगवान शिव के मंत्र का जाप करना उत्तम ध्यान का एक प्रमुख तरीका है। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र को जाप करने से भगवान के प्रति श्रद्धा और आदर्शता जगाई जाती है और मन को शांति मिलती है।
- शिवलिंग की पूजा: शिवलिंग को अपने घर या मंदिर में स्थापित करके उसकी पूजा करना भी एक प्रमुख तरीका है। शिवलिंग को जल, दूध, बेल पत्र, धूप, दीप, फूल आदि से अर्चना की जाती है और मन को शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
- शिव चालीसा और स्तोत्र: भगवान शिव की चालीसा और स्तोत्र का पाठ करना उन्हें स्तुति करने का एक आसान और प्रभावशाली तरीका है। इससे भगवान के गुणों की महिमा गाई जाती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
- सोमवार व्रत: सोमवार को भगवान शिव के व्रत का पालन करना उत्तम माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है, जब उनका मंदिर जाकर ध्यान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
श्रावण मास के सोमवार को इन ध्यान विधियों का पालन करने वाले भक्त भगवान शिव को खुश करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसे ध्यान करने वाले व्यक्ति को सम्मान प्राप्त होता है और उनके परिवार में सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की सेवा करते रहने से अकाल मृत्यु से बचने का भी योग्य उपाय होता है।
शिव ध्यान मंत्र के लाभ । Shiv Dhyan Mantra Benefits
भगवान शिव के ध्यान मंत्र के लाभ:
- सुख-शांति की प्राप्ति: शिव ध्यान मंत्र का जाप करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति के जीवन में संतुष्टि, प्रेम, समृद्धि और आनंद का आनुभव कराता है।
- सम्मान प्राप्ति: भगवान शिव की इसी प्रकार की स्तुति करने वाला व्यक्ति हमेशा सम्मान प्राप्त करता है और उनके परिवार में संपूर्ण सुख और समृद्धि बनी रहती है।
- भगवान के करीबी अनुभव: शिव ध्यान मंत्र के जाप से भगवान के करीबी अनुभव होता है। यह भक्त को शिव की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव कराता है।
- अकाल मृत्यु से बचने का उपाय: भोले बाबा की सेवा करते रहना, अकाल मृत्यु से बचने का एक उपाय है। भगवान शिव की सेवा करने से हम उनके करीब आते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। जब हम उनके आदर्शों और मार्गदर्शन पर चलते हैं, तो हमारी आत्मा और मन शुद्ध होते हैं। इससे हमें बुरे कर्मों और दुष्ट विचारों से बचने की शक्ति प्राप्त होती है।
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ध्यान के देवता कौन है?
ध्यान के देवता के रूप में भगवान शिव प्रमुख हैं। वे आदियोगी (प्रथम योगी) के रूप में भी जाने जाते हैं और ध्यान, योग, और कला के संरक्षक देवता के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के आदियोगी रूप में, वे समस्त जगत् की ध्यान-धारणा की प्रेरणा और मार्गदर्शन करते हैं।
शिव जी किसका ध्यान करते हैं?
भगवान शिव किसी का ध्यान नहीं करते हैं। वे सदैव समाधिस्थ रहते हैं। उनका ध्यान केवल और केवल अपने आप पर होता है, जहां वे निरंतर ध्यान और ध्येय की एकता में रहते हैं। उनका समाधान मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति का प्रतीक है, जहां वे अविकारी, अनंत और पूर्णता के साथ स्थित होते हैं। इसलिए, शिव जी किसी व्यक्ति, देवता या अन्य किसी ध्येय पर ध्यान नहीं करते हैं। उनका ध्यान केवल उनके स्वयं के आत्मस्वरूप में होता है।
शिव ध्यान मंत्र कौन सा है?
यस्याग्रे द्राट द्राट द्रुट द्रुट ममलं , टंट टंट टंटटम् ॥
तैलं तैलं तु तैलं खुखु खुखु खुखुमं , खंख खंख सखंखम्॥।
शिव जी का ध्यान कैसे करना चाहिए ?
शिव जी का ध्यान करने के लिए आपको एक शांत स्थान चुने और एक सुखद आसन में बैठे । फिर आपको अपने मन को शांत करने के लिए मन्त्र जाप करना चाहिए। मन को ध्यान में स्थिर रखने के लिए आप ध्यान मुद्रा का उपयोग कर सकते हैं। ध्यान करते समय अपनी सांसों को ध्यान दें और मन को शिव जी की आद्यात्मिकता में ले जाएं। इस प्रक्रिया के माध्यम से आप शिव जी की शांति, आनंद और ज्ञान को अनुभव कर सकते ।
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भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हु,जो त्रिनेत्र वाले है,जिनकी जटाओं मैं मां गंगा समाई है,जिनके माथे पर अर्धचंद्र सोभयमान है,जिनके गले मैं सर्प बड़े ही प्रेम से लिपटे है,जिनके हाथों मैं त्रिशूल है,और जिसपर डमरू बंधा है, जो चर्म धारण किए हुए है, ऐसे सभी का कल्याण करने वाले,,भगवान भोलेनाथ मुझ तुच्छ से सेवक पर अपना आशीर्वाद हमेशा जन्मजन्मांतर तक बनाए रखें,,#Harharmahadev,,जय भोले
Hello,
Can someone tell me which scripture this mantra is from? I am interested in knowing it’s origin and meaning, so some translation would also help.
Thank you!