विश्वकर्मा जी की आरती लिखित में Pdf (Vishwakarma Aarti Pdf)

विश्वकर्मा जी की आरती लिखित में PDF: भगवान श्री विश्वकर्मा, जो निर्माण और वास्तु के देवता हैं, उन्हें समर्पित आरती उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाई जाती है। यह आरती भगवान विश्वकर्मा के प्रति उनकी भक्ति और समर्पण को प्रकट करती है। इस PDF में, हमने भगवान श्री विश्वकर्मा की आरती को लिखित रूप में संकलित किया है, जिससे आप इसे आसानी से पढ़ सकते हैं और अपनी पूजा या आरती में शामिल कर सकते हैं। इस आरती का पाठ भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। इसे पढ़कर आप भगवान विश्वकर्मा की दिव्यता और उनके अद्वितीय गुणों को अनुभव कर सकते हैं।

विश्वकर्मा जी की आरती लिखित में Pdf (Vishwakarma Aarti Pdf)

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से, शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःखा कीना ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत सगरी हरी ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप साजे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती, जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी, सुख संपति पावे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥

विश्वकर्मा जी की आरती लिखित में PDF (Vishwakarma Aarti Pdf)


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