Subramanya Prasanna Mala Mantra(श्री सुब्रह्मण्य प्रसन्न माला मन्त्र)

Subramanya Prasanna Mala Mantra: एक पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है, जिसका उपयोग भगवान सुब्रह्मण्य की पूजा और आराधना में किया जाता है। यह मंत्र भगवान सुब्रह्मण्य के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन करता है, जिसमें उनके रुद्र रूप, गौरीसुत रूप, तेजोरूप, और अन्य रूप शामिल हैं. इस मंत्र के जप से भक्तों को भगवान सुब्रह्मण्य की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है.

यह मंत्र भगवान सुब्रह्मण्य के विभिन्न नामों और रूपों का उल्लेख करता है, जैसे कि रुद्रकुमार, षडानन, शक्तिहस्त, अष्टादश लोचन, शिखामणि प्रलङ्कृत, क्रौञ्चगिरिमर्दन, तारकासुरमारण, और अन्य. इसके अलावा, मंत्र में भगवान सुब्रह्मण्य के गुणों और शक्तियों का भी वर्णन किया गया है, जैसे कि उनकी कृपा और आशीर्वाद की शक्ति, उनकी राष्ट्रभक्ति और समाज सुधार के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख है.

Subramanya Prasanna Mala Mantra (श्री सुब्रह्मण्य प्रसन्न माला मन्त्र)

श्री सुब्रह्मण्य प्रसन्न माला मन्त्र

ॐ अस्य श्रीसुब्रह्मण्यप्रसन्नमालामन्त्रम् ।
ॐ नमो भगवते रुद्रकुमाराय, षडाननाय,
शक्तिहस्ताय, अष्टादश लोचनाय, शिखामणि
प्रलङ्कृताय, क्रौञ्चगिरिमर्दनाय, तारकासुरमारणाय,
ॐ-श्रीं-ऐं-क्लीं-ह्रीं-हुं-फट्- स्वाहा ॥ १॥

ॐ नमो भगवते गौरीसुताय, अघोररूपाय,
उग्ररूपाय, आकाशस्वरूपाय, शरवणभवाय, शक्तिशूल-
गदापरशुहस्ताय, पाशाङ्कुश-तोमर-बाण-मुसलधराय,
अनेक शस्त्रालङ्कृताय, ॐ श्री सुब्रह्मण्याय,
हार-नूपुर-केयूर-कनक-कुण्डल-मेखलात्यनेक
सर्वाभरणालङ्कृताय, सदानन्द शरीराय, सकल
रुद्रगणसेविताय, सर्व लोकवशङ्कराय, सकल
भूतगण सेविताय, ॐ-रं-नं-लं स्कन्दरूपाय,
सकल मन्त्रगण सेविताय, गङ्गापुत्राय,
शाकिनी-डाकिनी-भूत-प्रेत-पिशाचगणसेविताय,
असुरकुल नाशनाय, ॐ-श्रीं-ऐं-क्लीं-ह्रीं-हुं-फट् स्वाहा ॥ २॥

ॐ नमो भगवते तेजोरूपाय, भूतग्रह, प्रेतग्रह,
पिशाचग्रह, यक्षग्रह, राक्षसग्रह, वेतालग्रह,
भैरवग्रह, असुरग्रह, सर्वग्रहान् आकर्षय
आकर्षय, बन्धय बन्धय, सन्त्रासय सन्त्रासय,
आर्पाटय आर्पाटय, छेदय छेदय, शोषय शोषय,
बलेन प्रहारय प्रहारय, सर्वग्रहान् मारय मारय,
ॐ श्रीं-क्लीं-ह्रीं परमन्त्र, परतन्त्र, परयन्त्र,
परविद्या बन्धनाय, आत्म मन्त्र, आत्म तन्त्र,
आत्म विद्या प्रकटनाय, पर विद्याच्छेदनाय,
आत्मविद्या स्थापनाय, ॐ-श्रीं-क्लीं-ह्रीं-हुं-फट् स्वाहा ॥ ३॥

ॐ नमो भगवते महाबलपराक्रमाय मां रक्ष रक्ष,
ॐ आवेशय आवेशय, ॐ शरवणभवाय, ॐ-श्रीं-क्लीं-
सौः ऐं सर्वग्रहान् मम वशीकरण कुरु कुरु, सर्वग्रहं
छिन्दि छिन्दि, सर्वग्रहं मोहय मोहय, आकर्षय
आकर्षय, आवेशय आवेशय, उच्चाटय उच्चाटय,
सर्वग्रहान् मम वशीकरण कुरु कुरु, ॐ-सौः रं-लं-
एकाह्निक, द्वयाह्निक, त्रयाह्निक, चातुर्थिक,
पञ्चमज्वर, षष्ठमज्वर, सप्तमज्वर, अष्टमज्वर,
नवमज्वर, महाविषमज्वर, सन्निपादज्वर, ब्रह्मज्वर,
विष्णुज्वर, यक्षज्वर, सकलज्वर, हतं कुरु कुरु ।
समस्तज्वरं उच्चाटय उच्चाटय, भेदेन प्रहारय प्रहारय,
ॐ-श्रीं-क्लीं-ह्रीं-हुं-फट्-स्वाहा ॥ ४॥

ॐ नमो भगवते द्वादश भुजाय, तक्षकानन्द
कार्कोटक सङ्घ महासङ्घ-पद्म-महापद्म-वासुकि-
गुलिक-महागुलिकादीन् समस्तविषं नाशय नाशय,
उच्चाटय उच्चाटय, राजवश्यं – भूतवश्यं – अस्त्रवश्यं –
पुरुषवश्यं – मृगसर्प वश्यं – सर्व वशीकरण कुरु कुरु ।
जपेन मां रक्ष रक्ष, ॐ शरवणभव, ॐ श्रीं-क्लीं
वशीकरण कुरु कुरु, ॐ शरवणभव ॐ – ऐं आकर्षय
आकर्षय, ॐ शरवणभव ॐ स्तम्भय स्तम्भय, ॐ
शरवणभव ॐ सम्मोहय सम्मोहय, ॐ शरवणभव
ॐ – रं मारय मारय, ॐ शरवणभव ॐ-ऐं-लं
उच्चाटय उच्चाटय, ॐ शरवणभव ॐ – श्रीं
विद्वेशय विद्वेशय, वात-पित्त श्लेष्माऽऽदि व्याधीन्
नाशय नाशय, सर्व शत्रून् हन हन, सर्व दुष्टान्
सन्त्रासय, सन्त्रासय, मम साधून् पालय पालय, मां
रक्ष रक्ष, अग्निमुखं – जलमुखं – बाणमुखं –
सिंहमुखं – व्याघ्रमुखं – सर्पमुखं – सेनामुखं
स्तम्भय स्तम्भय, बन्धय बन्धय, शोषय शोषय,
मोहय मोहय, श्रीम्बलं छेदय छेदय, बन्धय बन्धय
जपेन प्रहारय प्रहारय, ॐ-श्रीं-क्लीं-ह्रीं-हुं-हुं-फट् स्वाहा ॥ ५॥

ॐ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय, कालभैरव –
कपालभैरव – क्रोधभैरव – उद्दण्ड भैरव – मार्ताण्ड भैरव-
संहारभैरव – समस्त भैरवान् उच्चाटय उच्चाटय,
बन्धय बन्धय, जपेन प्रहारय प्रहारय, ॐ – श्रीं त्रोटय
त्रोटय, ॐ – नं दीपय दीपय, ॐ – ईं सन्तापय सन्तापय,
ॐ श्रीं उन्मत्तय उन्मत्तय, ॐ-श्रीं-ह्रीं-क्लीं-ऐं-ईं-लं-सौः
पाशुपतास्त्र, नारायणास्त्र, सुब्रह्मण्यास्त्र, इन्द्रास्त्र,
आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र, यमयास्त्र, वारुणास्त्र, वायुव्यास्त्र,
कुबेरास्त्र, ईशानास्त्र, अन्धकारास्त्र, गन्धर्वास्त्र, असुरास्त्र,
गरुडास्त्र, सर्पास्त्र, पर्वतास्त्र, अश्वास्त्र, गजास्त्र, सिंहास्त्र,
मोहनास्त्र, भैरवास्त्र, मायास्त्र, सर्वास्त्रान् नाशय नाशय,
भक्षय भक्षय, उच्चाटय उच्चाटय, ॐ श्रीं-क्लीं-ह्रीं चिद्ररोग,
श्वेतरोग, कुष्टरोग, अपस्माररोग, भक्षरोग, बहुमूत्ररोग,
प्रेमेग, ग्रन्थिरोग, महोदर, रक्तक्षय, सर्वरोग, श्वेत, कुष्ट,
पाण्डुरोग, अति सर्वरोग, मूत्रकृस्न, गुल्मरोग, सर्वरोगान् हन हन,
उच्चाटय उच्चाटय, सर्वरोगान् नाशय नाशय,
ॐ-लं-सौः हुं-फट् स्वाहा ॥ ६॥

मक्षिका-मशका-मद्गगुश-पिपीलिका-मूषिका-मार्जाला-श्येन-कृत्र-वायस
दुष्ट पक्षि दोषान् नाशय नाशय । दुष्ट जन्तून् नाशय नाशय,
ॐ श्रीं-ऐं-क्लीं-ह्रीं-ईं-नं-लं-सौः शरवणभव हुं फट् स्वाहा ॥

इति श्रीमत् कुमारतन्त्रे हयग्रीवागस्त्यसंवादे
शतमिति पटलं नाम ॐ श्री सुब्रह्मण्य प्रसन्न मालामन्त्रं सम्पूर्णम् ।

Subramanya Prasanna Mala Mantra(श्री सुब्रह्मण्य प्रसन्न माला मन्त्र)
श्री सुब्रह्मण्य प्रसन्न माला मन्त्र

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