श्री स्वामी समर्थ मालामंत्र (Shri Swami Samarth Malamantra) जो आमतौर पर “जप” के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली प्रथा है। यह मंत्र समर्थ रामदास स्वामी के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के संत और धार्मिक गुरु थे।
यह माला मंत्र कई धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग किया जाता है और श्रद्धालुओं द्वारा साधना, ध्यान और आध्यात्मिक साधना का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह माला मंत्र शक्ति को जगाने और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे व्यक्ति अपने ध्यान को संकेंद्रित कर सकता है और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग अनुभव कर सकता है।
श्री स्वामी समर्थ मालामंत्र |Shri Swami Samarth Malamantra
॥ श्रीगणेशाय नम: ॥
जगदंबिका म्हणे । मालामंत्र नारायणे ।
कथिला जो जगत्कारणे । तो हा सर्वोत्तम असे ॥
ॐ नमो नमो भगवंता । नमोजी श्री स्वामी समर्था ।
स्मरणगामी दत्तनाथा । योगीमुनिजनवंदिता ॥
चिदानंदात्मकात्र्यंबका । विश्वेश्वरा विश्वधारका ।
बालोन्मत्ता पिशाच्चवेषा । महायोगीश्वरा परमहंसा ॥
चित् चैतन्या चिरंतना | अवधूता निरंजना |
जगदाधारा सुदर्शना | सुखधामा सनातना ||
सकलकामप्रदायका | सकलदुरितदाहका |
सकल संचित कर्महरा | सकल संकट विदारा ||
ॐ भवबंधमोचना | ॐ श्री परम ऐश्वर्यघना |
ॐ स्वां स्वहितधर्मचालका | ॐ मां नित्यदायका ||
ॐ संसारचक्र छेदका | ॐ मां महाज्ञानप्रदायका |
ओमर्थं महावैराग्य-साधका | ॐ नं नरजन्मसार्थका ||
ॐ मां महाभयनिवारका | ॐ भक्तजनहृदयनिवासा |
परकृत्या थोपव थोपव | परमंत्रा शांतव शांतव ||
परयंत्रा विखर विखर | ग्रहभूतादिपिशाच्च पीडा हर हर |
दारिद्र्यदु:खा घालव घालव | सुखशांती फुलव फुलव ||
आपदा विपदा मालव मालव | गृहदोष वास्तुदोष |
पितृदोष सर्पदोषादि | सर्वदोषा विरव विरव ||
अहंकारा नासव नासव | मन चित्तबुद्धी स्थिरव स्थिरव |
नमोजी नमो देव महादेव | देवाधिदेव श्री अक्कलकोट
स्वामी समर्थ गुरुदेव ||
नमो नमो नमो नमः || ( सप्तशते सिद्धि: ) ||
॥ हरि ॐ ॥
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