सप्तधान क्या होता है ? Sapta Dhanya Kya Hota Hai
सप्तधान एक प्रकार के सात अनाजों का समूह होता है। इसमें सात प्रमुख धान्य शामिल होते हैं ,जिसका उपयोग पूजा में होता है।नवरात्रि पूजा,एकादशी पूजा,होलिका दहन, श्री मद भागवद् पाठ एबं और कलश पूजा जैसे अवसरों में सप्तधान्य का उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त, पूजा और हवन के अन्य कार्यों में भी इनका उपयोग किया जाता है।
सप्तधान्य श्लोक । Verses on the Seven Grains
यवधान्यतिलाः कंगु मुद्गचणकश्यामकाः।
एतानि सप्तधान्यानि सर्वकार्येषु योजयेत्।।
श्लोक का हिंदी अनुवाद :
“जौ, धान, तिल, कँगनी, मूँग, चना, और सांवा।
इन सात धान्यों को सभी कार्यों में उपयोग में लाना चाहिए।”
इस श्लोक में सप्त धान्य या सात प्रकार के धान्यों का महत्व बताया गया है और इन्हें सभी कार्यों के लिए उपयोगी माना गया है।
यवगोधूमधान्यानि तिलाः कङ्गुस्तथैव च।
श्यामाकाश्चणकश्चैव सप्तधान्यानि संविदुः।।
श्लोक का हिंदी अनुवाद :
यव (जौ), गेहूँ, धान (चावल), तिल, कँगनी, श्यामक (सांवा), और चना, ये सात प्रकार के धान्य हैं, जो लोग सप्त धान्य के रूप में जानते हैं।
श्यामाकयवगोधूममुद्गमाषप्रियङ्गवः।
धान्यानि सप्तसङ्ख्याता व्रीहयः सप्त सूरिभिः।।
श्लोक का हिंदी अनुवाद :
श्यामक (सांवा), यव (जौ), गेहूँ, मूँग , धान (चावल), तिल, और उड़द ये सात प्रकार के धान्य हैं, जिन्हें सप्त सूरियों (सप्त सूर्यों के रूप में) सम्पूज्य माना जाता है।
जौ,धान,तिल,कँगुनी,मूंग,चना और सांवा- ये सात अन्न कहे गये हैं।दूसरे और तीसरे श्लोक में क्रमशः गेहूँ और उड़द को भी ग्रहण किया गया है।
सप्तधान्य के नाम । सात धान के नाम
सप्त धान्य के नाम इस प्रकार हैं:
- जौ
- धान
- तिल
- कँगनी
- मूँग
- चना
- सांवा
हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि सप्तधान में जौ, तिल, चावल, मूंग, कंगनी, चना, और गेहूं शामिल होता है। गरुण पुराण में इसे सप्तधान्य के रूप में उल्लिखित किया गया है, और यह भी कहा गया है कि इन सात अनाजों का संबंध विभिन्न ग्रहों से होता है.
सप्त धान्य लिस्ट । Sapta Dhanya List
सप्त धान्य | वानस्पतिक नाम | हिन्दी | अन्ग्रेजी | संस्कृत |
---|---|---|---|---|
1. जौ (Jau) | Hordeum Vulgare | जौ | Barley | यव |
2. तिल (Til) | Sesamum Indicum | तिल | Sesame | तिल |
3. धान (Dhan) | Oryza Sativa | चावल | Rice | तण्डुल |
4. मूँग (Moong) | Vigna Radiata | मूँग | Mung Bean, Green Gram | मुद्ग |
5. कँगनी (Kangani) | Setaria Italica | कँगनी | Foxtail Millet | प्रियङ्गु |
6. चना (Chana) | Cicer Arietinum | चना | Chickpea | चणक |
7. गेहूँ (Gehun) | Triticum | गेहूँ | Wheat | गोधूम |
सप्त धान्य और विभिन्न ग्रहों का संबंध
नाम |
ग्रह |
जौ |
बृहस्पति |
गेहूं |
सूर्य |
धान |
चंद्रमा |
तिल |
शुक्र |
कंगनी |
मंगल |
उड़द |
बुध |
मूंग |
शनि |
इन सप्तधान्यों का दान करने से उनका संबंध विशेष ग्रहों से होता है, और इससे उक्त ग्रहों के दोष का निवारण होता है। गरुण पुराण में इन्हें सात धान के रूप में उल्लिखित किया गया है और यहां उनका विवरण दिया गया है।
सप्त धान्य दान । Sapta Dhanya Daan
- होलिका दहन: होलिका दहन के अवसर पर, सप्त धान्य को होलि की अग्नि में समर्पित किया जाता है।
- नवरात्रि पूजा: नवरात्रि के दौरान, जब नवरात्रि कलश का पूजन किया जाता है, तो सप्त धान्य को कलश के नीचे वेदी में बोना जाता है।
- ग्रह दोष से मुक्ति : विभिन्न ग्रहों के लिए भी सप्त धान्य का दान विहित किया जाता है, जैसे कि राहु के लिए।सप्तधान दान से ग्रह शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।शनिदेव को कर्मफलदाता माना जाता है और उनके प्रकोप से व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिष में शनि के प्रकोप से बचाव और उनको प्रसन्न करने के कई उपायों का उल्लेख किया गया है, जैसे सात प्रकार के अनाज (सप्तधान) का सेवन। इसमें गेहूं, जौ, चावल, तिल, कंगनी, उड़द, और मूंग शामिल होते हैं। इस उपाय के तहत, इन धान्यों को शनिदेव के मंदिर में चढ़ाया जाता है ताकि शनि की बुरी दृष्टि से बचा जा सके।
- पितृदोष का निवारण: सप्त धान्य पितृदोष का भी निवारण होता है।ज्येष्ठ अमावस्या” हिन्दू पितृ पक्ष का हिस्सा है, जिसमें सप्तधान दान का महत्वपूर्ण आचरण किया जाता है। यह दान पितृगण की आत्माओं को संतुष्ट करने और धन की वृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है, जो पितरों की आत्माओं की शांति और आशीर्वाद में मदद करता है।
- अन्य पूजाएं: किसी भी अन्य पूजा (एकादशी, पूर्णिमा, आदि) के दौरान भी, सप्त धान्य को कलश के नीचे वेदी में बोना जाता है.
- सप्तधान्य उबटन: सप्त धान्य उबटन का प्रयोग करके व्यक्ति पापों को दूर करने और ऊर्जा को शुद्ध करने का प्रयास करता है।
- नजर उतारने: सप्त धान्य को नजर उतारने के उपाय के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
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सप्तधान्य श्लोक क्या है?
सप्तधान्य श्लोक – “यवधान्यतिलाः कंगु मुद्गचणकश्यामकाः। एतानि सप्तधान्यानि सर्वकार्येषु योजयेत्।।श्लोक का हिंदी अनुवाद :”जौ, धान, तिल, कँगनी, मूँग, चना, और सांवा।इन सात धान्यों को सभी कार्यों में उपयोग में लाना चाहिए।”
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