School Prayer In Hindi : भारतीय संस्कृति में प्रार्थना का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक कार्य की शुरुआत में हम ईश्वर से उसकी सफलता हेतु प्रार्थना करते हैं। विद्यालय में भी बच्चे पठन-पाठन से पहले प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं, जिससे मन व ह्रदय को मजबूती मिलती है और ईश्वर को धन्यवाद अर्पित कर कृतज्ञता प्रकट की जाती है।
प्रार्थना से मन स्थिर होता है, जिससे बच्चे पढ़ाई में अधिक ध्यान लगा पाते हैं। सुबह की प्रार्थना पूरे दिन को सकारात्मक बनाती है और यह ‘महान शक्ति’ से संबंध जोड़ने का माध्यम मानी जाती है। इस लेख में हम 22 प्रमुख स्कूल प्रार्थनाओं (School Prayer In Hindi ) पर नजर डालेंगे। अपने सुझाव कृपया कमेंट बॉक्स में साझा करें।
School Prayer In Hindi
1. सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
ॐ सहनाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवाव है।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषाव है।
असतो मा सदगमय ॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
2. हम होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन…
होगी शांति चारों ओर, होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
होगी शांति चारों ओर एक दिन…
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन…
नहीं डर किसी का आज
नहीं डर किसी का आज, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
नहीं डर किसी का आज एक दिन…
3. हर देश में तू, हर भेष में तू,
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है॥
सागर से उठा बादल बनके,
बादल से फटा जल हो करके।
फिर नहर बना नदियाँ गहरी,
तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
चींटी से भी अणु-परमाणु बना,
सब जीव-जगत् का रूप लिया।
कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना,
सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
यह दिव्य दिखाया है जिसने,
वह है गुरुदेव की पूर्ण दया।
तुकड़e कहे कोई न और दिखा,
बस मैं अरु तू सब एकही है॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है॥
4. मानवता के मनन मन्दिर में
मानवता के मनन मन्दिर में
ज्ञान का दीप जला दो
करुणा निधान भगवान मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो
करुणा निधान भगवान मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो
दुःख दरिद्रता का नाश करो
मानव के कष्ट मिटा दो
अमृत की वर्षा बरसाकर
भूख की आग मिटा दो
खेतों में हरियाली भर दो
धान के ढेर लगा दो
करुणा निधान भगवान मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो
मानवता के मनन मन्दिर में
ज्ञान का दीप जला दो
करुणा निधान भगवान मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो
नव प्रभात फिर महक उठे
मेरे भारत की फुलवारी
सब हो एक समान जगत में
कोई न रहे भिखारी
एक बार माँ वसुंधरा को
नव शृंगार करा दो
करुणा निधान भगवान मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो
भारत को स्वर्ग बना दो
भारत को स्वर्ग बना दो
5. जयति जय जय माँ सरस्वती
जयति जय जय माँ सरस्वती,
जयति वीणा धारिणी॥
जयति पद्मासना माता,
जयति शुभ वरदायिनी।
जयति जय जय माँ सरस्वती,
जयति वीणा धारिणी॥
जगत का कल्याण कर माँ,
तुम हो वीणा वादिनी।
जयति जय जय माँ सरस्वती,
जयति वीणा धारिणी॥
कमल आसन छोड़कर आ,
देख मेरी दुर्दशा मां।
जयति जय जय माँ सरस्वती,
जयति वीणा धारिणी॥
ज्ञान की सरिता बहा मॉं,
हे सकल जगतारणी।
जयति जय जय माँ सरस्वती,
जयति वीणा धारिणी॥
6. माँ सरस्वती वरदान दो
मुझको नवल उत्थान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥
माँ शारदे! हंसासिनी,
वागीश! वीणावादिनी ।
मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥
मुझको नवल उत्थान दो।
निष्काम हो मनोकामना,
मेरी सफल हो साधना ।
नव गति, नई लय तान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ।
मुझको नवल उत्थान दो ॥
हो सत्य जीवन-सारथी,
तेरी करूँ नित आरती ।
समृद्धि, सुख, सम्मान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ।
मुझको नवल उत्थान दो ॥
मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो,
मेरा महान चरित्र हो ।
विद्या, विनय, बल दान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥
सौ वर्ष तक जीते रहें,
सुख-अमिय हम पीते रहें ।
निज चरण में सुस्थान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ।
मुझको नवल उत्थान दो ॥
यह विश्व ही परिवार हो,
सबके लिए सम प्यार हो ।
आदेश लक्ष्य महान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥
मुझको नवल उत्थान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥
7. हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी – सरस्वती वंदना
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएँ भारत,
वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥
हे हंसवाहिनी…..
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
साहस शील हृदय में भर दे,
जीवन त्याग-तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥१॥
हे हंसवाहिनी ….
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम
मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा मां,
फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥२॥
हे हंसवाहिनी……
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
8. माँ शारदे कहाँ तू,
माँ शारदे कहाँ तू,
वीणा बजा रही हैं,
किस मंजु ज्ञान से तू,
जग को लुभा रही हैं ॥
किस भाव में भवानी,
तू मग्न हो रही है,
विनती नहीं हमारी,
क्यों माँ तू सुन रही है ।
हम दीन बाल कब से,
विनती सुना रहें हैं,
चरणों में तेरे माता,
हम सर झुका रहे हैं ।
॥ मां शारदे कहाँ तू, वीणा…॥
अज्ञान तुम हमारा,
माँ शीघ्र दूर कर दो,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में,
माँ शारदे तू भर दे ।
बालक सभी जगत के,
सूत मात हैं तुम्हारे,
प्राणों से प्रिय है हम,
तेरे पुत्र सब दुलारे,
तेरे पुत्र सब दुलारे ।
॥ मां शारदे कहाँ तू, वीणा…॥
हमको दयामयी तू,
ले गोद में पढ़ाओ,
अमृत जगत का हमको,
माँ ज्ञान का पिलाओ ।
मातेश्वरी तू सुन ले,
सुंदर विनय हमारी,
करके दया तू हर ले,
बाधा जगत की सारी ।
॥ मां शारदे कहाँ तू, वीणा…॥
9. हे शारदे माँ
शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ, हे शारदे माँ॥
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ हे शारदे माँ॥
तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे
हम है अकेले, हम है अधूरे
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ॥
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने
विद्या का हमको अधिकार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ॥
तू श्वेतवर्णी, कमल पर विराजे
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे
मन से हमारे मिटाके अँधेरे
हमको उजालों का संसार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ॥
शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ॥
10. दया कर दान विद्या का
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
दया कर दान विद्या का,
हमें परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में,
शुद्धता देना।
हमारे ध्यान में आओ,
प्रभु आँखों में बस जाओ,
अँधेरे दिल में आकर के,
प्रभु ज्योति जगा देना।
बहा दो प्रेम[१] की गंगा,
दिलों में प्रेम का सागर,
हमें आपस में मिल-जुल के,
प्रभु रहना सीखा देना।
हमारा धर्म हो सेवा,
हमारा कर्म हो सेवा,
सदा ईमान हो सेवा,
व सेवक जन बना देना।
वतन के वास्ते जीना,
वतन के वास्ते मरना,
वतन पर जाँ फिदा करना,
प्रभु हमको सीखा देना।
दया कर दान विद्या का,
हमें परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में,
शुद्धता देना।
ॐ सह नाववतु ।
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
11. ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
ऐसे हों हमारे करम
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम…
ये अँधेरा घना छा रहा तेरा इंसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर, कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रौशनी में जो दम
तू अमावास को कर दे पूनम
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम,
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम…
जब जुल्मों का हो सामना तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करे हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम और मिटे बैर का ये भरम
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम…
बड़ा कमज़ोर है आदमी, अभी लाखों हैं इसमें कमी
पर तू जो खड़ा है दयालू बड़ा
तेरी किरपा से धरती थमी
दिया तूने हमे जब जनम
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम..
12. इतनी शक्ति हमे देना दाता
इतनी शक्ति हमें देगा दाता
मन का विश्वास, कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना।
दूर अज्ञान के हों अँधेरे,
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे।
हर बुराई से बचते रहें हम,
चोट जितनी बड़ी जिन्दगी दे॥
बैर हो न किसी का किसी से,
भावना मन में बदले की हो ना,
हम चले नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना॥
हम न सोचें हमें क्या मिला है,
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाँटे सभी में,
सबका जीवन भी बन जाये मथुबन।
अपनी करुणा का जल तू बहा दे,
करदे पावन हर एक मन का कोना,
हम चले नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना॥
13. मारी मुट्ठी में आकाश सारा
हमारी ही मुद्ठी में आकाश सारा
जब भी खुलेगी चमकेगा तारा।
कभी न ढले जो, वो ही सितारा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ।
हथेली पे रेखाएँ हैं सब अधूरी
किसने लिखी हैं, नहीं जानना है।
सुलझाने उनको, ना आएगा कोई, समझना है
उनको ये अपना करम है ।
अपने करम से दिखाना है सबको
खुदका पनपना, उभरना है खुदको।
अँधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा
हमारे पीछे कोई आए ना आए !
हमें ही तो पहले पहुँचना वहाँ है।
जिन पर है चलना नई पीढ़ियों को
उन्हीं रास्तों को बनाना हमें है।
जो भी साथ आएँ उन्हें साध ले लें
अगर ना कोई साध दे तो अकेले।
सुलगा के खुद को मिटा ले अँधेरा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा।
14. वीणा वादिनि विमल वाणी दे
वीणा वादिनि विमल वाणी दे
वीणा वादिनि विमल वाणीदे, विद्या दायिनि वन्दन।
जय विद्या दायिनि वन्दन
अरुण लोक से वरुण लहर तक गुंजारित तव वाणी
ब्रह्मा विेष्णु रूद्र इन्द्रदिक, करते सब अभिनन्दन।
जय विद्या दायिनि वन्दन
तेरा भव्य भण्डार भारती, है अद्भुत गतिवारा
ज्यों खर्चे त्यों बढे निरन्तर, है सबका अवलम्बन।
जय विद्या दायिनि वन्दन
नत मस्तक हम माँग रहे, विद्या धन कल्याणी
वरद हस्त रख हम पर जननी रहे न जग में क्रन्दन
जय विद्या दायिनि वन्दन
15. दयालु नाम है तेरा
दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ।
हरि सब तुमको कहते हैं हमारा दुःख हर लीजे ॥
दयालु…
विषय और भोग में निशिदिन फँसा रहता है मन मूरख ।
इसे अब ज्ञान देकर सत्य मारग पर लगा दीजे ॥
दयालु…
तुम्हारी भूल कर महिमा, किए अपराध अति भारी |
शरण अज्ञान है तेरे, क्षमा अपराध सब कीजे ॥
दयालु…
तुम्हीं माता-पिता जग के, तुम्हीं हो नाथ धन विद्या ।
तुम्हीं हो मित्र सब जग के, दयाकर भक्तिवर दीजे ॥
दयालु…
न चाहूँ राज-धन-वैभव न है कुछ कामना मेरी ।
रख सकूँ शुद्ध सेवाभाव, शुभ वरदान ये दीजे ॥
दयालु…
16. ए मालिक तेरे बंदे हम
ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हों! हमारे करमा
नेकी पर चलें और बदी से ढले,
ताकि हँसते हुए निकले दम
ऐ मालिक…………
ये अँधेरा घना छा रहा
तेरा इंसान घबरा रहा।
हो रहा बेखबर, कुछ न आता नजर
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम
जो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चलें और बदी से ढले
वाकि हँसते हुए निकले दम।
ऐ मालिक ………
जब जुल्मों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना।
वो बुराई करें हम भलाई करें
नहीं बदलेगी ये भावना।
बढ़ उठे प्यार का हर कदम
और मिटे बैर का ये भरम।
नेकी पर चलें और बदी से ढले
गाकि हँसते हुए निकले दम।
ऐ मालिक ………
17. सुख के सब साथी
सुख के सब साधी, दुःख में न कोई
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम इक सांचा, दूजा न कोई ।
१.जीवन आनी-जानी छाया
झूठी माया झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरिया
पाप की गठरी ढोए
२.ना कुछ तेरा जा कुछ मेरा
ये जय-जोगी-वाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का
अंत एक सा होए।
३.बाहर की तू माटी फांके
मन के भीतर क्यों ना झाँके
उजले तन पर मान किया
और मन की मैल ना धोई।
18. हम को मन की शक्ति देना
हम को मन की शक्ति देगा, मन विजय करें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें।
भेदभाव अपने दिल से साफ कर सकें
दोस्तों से भूल हो तो माफ कर सकें
झूठ से बचे रहें, सच का दम भरें
दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें॥
मुश्किलें पड़ें तो हम पे इतना कर्म कर
साथ दें तो धर्म का, मरें तो धर्म पर
खुद पे हौसला रहे बदी से न डरे
दूसरों की जय से पहले छुद को जय करें।
19. सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
हाँ, विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
तुम्ही से है आगाज़ तुम्हीं से अंजाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
हाँ, इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
तुम्हीं से है हर सुबह तुम्ही से शाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
20. हे जग त्राता विश्व विधाता
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे।
प्रेम के सिन्धु, दीन के बन्धु,
दु:ख दारिद्र विनाशन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
नित्य अखंड अनंन्त अनादि,
पूरण ब्रह्म सनातन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
जग आश्रय जग-पति जग-वन्दन,
अनुपम अलख निरंजन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
प्राण सखा त्रिभुवन प्रति-पालक,
जीवन के अवलंबन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
हे सुख शांति निकेतन हे,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
21. हर देश में तू, हर भेष में तू
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥
सागर से उठा बादल बनके,
बादल से फटा जल हो करके ।
फिर नहर बना नदियाँ गहरी,
तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
चींटी से भी अणु-परमाणु बना,
सब जीव-जगत् का रूप लिया ।
कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना,
सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
यह दिव्य दिखाया है जिसने,
वह है गुरुदेव की पूर्ण दया ।
तुकड़या कहे कोई न और दिखा,
बस मैं अरु तू सब एकही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥
22. हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए,
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।
लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,
ब्रह्मचारी धर्म-रक्षक वीर व्रत धारी बनें।
॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए…॥
निंदा किसी की हम किसी से भूल कर भी न करें,
ईर्ष्या कभी भी हम किसी से भूल कर भी न करें।
सत्य बोलें, झूठ त्यागें, मेल आपस में करें,
दिव्या जीवन हो हमारा, यश तेरा गाया करें।
॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए…॥
जाए हमारी आयु हे प्रभु लोक के उपकार में,
हाथ डालें हम कभी न भूल कर अपकार में।
कीजिए हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा,
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा।
॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए…॥
प्रेम से हम गुरु जनों की नित्य ही सेवा करें,
प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें।
योग विद्या ब्रह्म विद्या हो अधिक प्यारी हमें,
ब्रह्म निष्ठा प्राप्त कर के सर्व हितकारी बनें।
॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए…॥
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए,
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए॥
निष्कर्ष
इस लेख में हमने 22 प्रमुख स्कूल प्रार्थनाओं (School Prayer In Hindi) को साझा किया है जो शिक्षा और सफलता के मार्ग को प्रशस्त करने में सहायक हैं। भारतीय संस्कृति में प्रार्थना का विशेष स्थान है और यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है बल्कि विद्यार्थियों के मनोबल को भी बढ़ाती है। प्रार्थना से मन स्थिर होता है और विद्यार्थियों को उनकी पढ़ाई में अधिक एकाग्रता प्राप्त होती है।
सुबह की प्रार्थना न केवल दिन की शुरुआत को सकारात्मक बनाती है, बल्कि ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का एक माध्यम भी है। हमें आशा है कि ये प्रार्थनाएं विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगी और उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करेंगी। आपके सुझाव और विचारों का स्वागत है, कृपया कमेंट बॉक्स में साझा करें।
FaQs
स्कूल प्रार्थना (School Prayer ) क्या है?
स्कूल प्रार्थना एक धार्मिक अभिव्यक्ति है जो विद्यालय में छात्रों और शिक्षकों द्वारा समूहिक रूप से किया जाता है। इसका उद्देश्य छात्रों को शिक्षा के अवसरों की उपेक्षा न करने के लिए प्रेरित करना होता है।
स्कूल प्रार्थना क्यों महत्वपूर्ण है?
स्कूल प्रार्थना (School Prayer ) छात्रों को धार्मिकता, संयम, और समर्पण की भावना सिखाती है। यह उन्हें एक साथ आए, समृद्धि के लिए प्रार्थना करने की आदत डालती है और उनकी अध्ययन शक्ति को बढ़ाती है।
स्कूल प्रार्थना कब और कैसे होती है?
स्कूल प्रार्थना सामान्यत: स्कूल दिन की शुरुआत में होती है, जब छात्र और शिक्षक सभी मिलकर एक स्थान पर इकट्ठा होते हैं। इसमें आमतौर पर धार्मिक मंत्रों, श्लोकों, और प्रार्थनाओं का पाठ होता है।
स्कूल प्रार्थना किस भाषा में होती है?
School Prayer विद्यालय के संस्कृति और क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग भाषाओं में होती है। भारत में अधिकतर स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी या स्थानीय भाषा में प्रार्थना की जाती है।