PDF Name | संपूर्ण हवन विधि मंत्र PDF | Saral Havan Vidhi |
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No. of Pages | 68 |
PDF Size | 3.58 MB |
Language | Hindi |
PDF Category | Hindu Books |
Last Updated | Aug 19, 2024 |
Source / Credits | archive.org |
Comments | ✎ 0 |
Uploaded By | R.Shivani |
हवन या यज्ञ एक महत्वपूर्ण वैदिक कर्मकांड है जिसे भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र माना जाता है। हवन के माध्यम से घर की शुद्धि, सुख-शांति, समृद्धि, और ईश्वर की कृपा प्राप्त की जा सकती है। इस लेख में हम आपको हवन करने की संपूर्ण विधि और आवश्यक मंत्रों के बारे में जानकारी देंगे। इस प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक करने से निश्चित ही आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा।
संपूर्ण हवन विधि मंत्र PDF: घर में हवन के लिए सम्पूर्ण दिशा-निर्देश
हवन की तैयारी
हवन करने से पहले निम्नलिखित सामग्री एकत्रित करें:
- श्रीफल (नारियल)
- हवन सामग्री: 1 पैकेट
- धूपबत्ती और अगरबत्ती
- कलावा (मौली)
- सुपारी: 9
- पान के पत्ते: 5
- बताशे: 250 ग्राम
- पंचफल: ऋतु के अनुसार 5 फल
- पंचमेवा: 200 ग्राम
- रोली और सिन्दूर: 2 रुपये का प्रत्येक
- चन्दन चूरा: 50 ग्राम या 10 ग्राम
- कलश (मिट्टी का या लोटा)
- आम की टहनी, बन्दनवार, कुशा, दूर्वा
- गंगाजल, हल्दी, सूखा आबा
- अबीर, गुलाल (लाल, हरा, पीला, नीला): 50 ग्राम प्रति
- लौंग: 10 ग्राम
- पीली या काली सरसों: 50 ग्राम
- जौ: 1.5 किलो
- तिल: 2 किलो
- शक्कर या चीनी: 250 ग्राम
- कर्पूर: 20 ग्राम
- शुद्ध घी: 1 किलो
- हवन की लकड़ी: आम, पीपल, और ढाक की लकड़ी
- नवग्रह समिधा: आक, खदिर, अश्वत्थ, उदुम्बर, ओंगा, पलास, शमी, कुशा, दूर्वा
- पंचपल्लव: आम, पीपल, बरगद, जामुन, गूलर के पत्ते
- पंचगव्य: गौमूत्र, गोबर, घी, दही, दूध
- पंचरत्न: सोना, चाँदी, तांबा, लोहा, पीतल
- यज्ञोपवीत, रुई, दिया (दीपक)
हवन की संपूर्ण विधि
- स्थान का चयन: हवन के लिए घर में एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें। हवन कुंड को इस स्थान पर रखें और कुंड के चारों ओर पंचपल्लव रखें।
- शुद्धिकरण: सबसे पहले गंगाजल से हवन कुंड और स्थान को शुद्ध करें। इसके बाद स्वंय को शुद्ध करने के लिए पवित्रीकरण मंत्र का उच्चारण करें।
- कलश स्थापना: हवन स्थल के पास एक कलश में जल भरकर उसमें आम की टहनी, दूर्वा, और पुष्प डालें। कलश के मुख पर मौली बांधकर उसका पूजन करें।
- दीप प्रज्वलन: एक दीपक में शुद्ध घी डालकर उसे प्रज्वलित करें और हवन कुंड के पास रखें। दीपक को प्रज्वलित करते समय “ऊँ दीपज्योति: परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः। दीपो मे हरतु पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥” मंत्र का उच्चारण करें।
- भगवान का आह्वान: हवन की शुरुआत भगवान गणेश के आह्वान से करें। “ऊँ गं गणपतये नमः” का जप करें और भगवान गणेश को रोली, अक्षत, पुष्प, और नैवेद्य अर्पित करें।
- आहुतियाँ देना: हवन सामग्री को हाथ में लेकर “ऊँ स्वाहा” के मंत्र के साथ आहुति दें। हवन सामग्री में शुद्ध घी, तिल, चावल, और पंचमेवा मिलाकर आहुतियों के लिए तैयार करें। प्रत्येक मंत्र के बाद आहुति दी जानी चाहिए।
हवन के प्रमुख मंत्र
- गणपति आह्वान मंत्र:
“ऊँ गं गणपतये नमः” - भगवान विष्णु मंत्र:
“ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा” - भगवान शिव मंत्र:
“ऊँ नमः शिवाय स्वाहा” - दुर्गा मंत्र:
“ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा” - सूर्य देव मंत्र:
“ऊँ घृणि सूर्याय नमः स्वाहा” - नवग्रह मंत्र:
“ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः स्वाहा”
(राहु के लिए, प्रत्येक ग्रह के लिए अलग मंत्र होता है) - स्वस्ति वाचन:
“स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥”
हवन की समापन प्रक्रिया
हवन की समाप्ति के बाद “पूर्णाहुति” दी जाती है। इसमें हवन सामग्री के साथ-साथ नारियल, सुपारी, पंचमेवा आदि अग्नि में अर्पित किए जाते हैं। पूर्णाहुति के बाद सभी देवताओं का ध्यान करते हुए क्षमायाचना करें और प्रसाद का वितरण करें।
समापन मंत्र
“ऊँ यज्ञेन कल्पतां विश्वे देवाः, यज्ञेन कल्पतां यज्ञपतयः,
यज्ञेन कल्पतां द्यावापृथिवी, यज्ञेन कल्पतां विश्वमिदम् स्वाहा।”
हवन की संपूर्ण विधि और मंत्रों का पालन करते हुए आप अपने घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। हवन को शुद्ध हृदय से करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी संकटों का निवारण होता है।
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