मंगलम भगवान विष्णु मंत्र – भगवान विष्णु का जयकार, गरुणध्वज का आशीर्वाद, पुण्डरीकाक्ष की कृपा, ऐसे आशीर्वादमय वचन हैं जो हमें मंत्र के रूप में प्राप्त होते हैं। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जिसे भगवान विष्णु की स्तुति और आराधना के लिए जपा जाता है। इसे विवाह मंत्र के नाम से भी जाना जाता है और इसका उच्चारण अकसर विवाह के मंडप में किया जाता है। हालांकि, इसका नियमित जप भी बेहद ही लाभकारी माना जाता है।
मंगलम भगवान विष्णु मंत्र । मंगलम भगवान विष्णु श्लोक इन संस्कृत
विवाह मंत्र हिंदी में
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
शादी में इस मंत्र (मंगलम भगवान विष्णु मंत्र) का ज्यादा सुना जाता है, लेकिन इस मंत्र को किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पूर्व जप करना हमारे उस कार्य की सफलता को निश्चित करता है। आपको भी अपने किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पूर्व इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
इस मंत्र में भगवान विष्णु का गुणगान किया गया है, आइए जानें इसका अर्थ।भगवान विष्णु के यह मंत्र उनकी स्तुति करता है और बताता है कि उनकी स्तुति करना हमारे लिए मंगलमय है। यह कहता है कि भगवान विष्णु, जो गरुड़ चिन्ह वाले ध्वज के वाहक हैं, जिनकी कमल की भांति आँखें हैं, और जो इस संसार के सभी दुखों को हरने वाले हैं, हम उनका कोटि-कोटि नमन करते हैं, और कामना करते हैं कि वे हमारे कार्य को शुभ और सफल बनाएं।
पुंडरीकाक्ष कौन थे ?
‘पुण्डरीकाक्ष‘ शब्द का अर्थ है ‘श्वेत कमल के समान नेत्र वाला’। ‘मंगलाय तनो’ के बजाय ‘मंगलायतनो’ का उपयोग सही होता है, क्योंकि ‘तनो’ का विभक्ति संधि के नियमों के अनुसार ‘नो’ में परिणत होता है।
पुण्डरीकाक्ष, जो भगवान विष्णु के एक प्रसिद्ध नाम हैं, भगवान शिव की पूजा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने शिवजी की पूजा के लिए काशी नगर का दौरा किया। उन्होंने काशी के मणिकार्णिका घाट पर स्नान किया और फिर एक हजार स्वर्ण कमलों से भगवान शिव की पूजा का संकल्प लिया।
इस कथा में, भगवान विष्णु के आंखों को कमल के समान सुंदर माना जाता है। उनके पुण्डरीकाक्ष के दर्शन करने से ही उनके भक्तों को आनंद और शांति का अनुभव होता है। इस प्रकार, भगवान विष्णु का यह नाम उनके सुंदर दर्शनीय आंखों के प्रति भक्तों की श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। उन्हें “पुण्डरीकाक्ष” भी कहा जाता है क्योंकि उनके आंखों के दर्शन करने से जीवन की समस्त संघर्षों और संदेहों का समाप्त हो जाता है, और भक्तों को उनके दर्शन से नई प्रेरणा और ऊर्जा प्राप्त होती है।
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