अर्जुन के 12 नाम : भारतीय साहित्य और धार्मिक ग्रंथों में अर्जुन को अनेक नामों से संबोधित किया गया है। इन नामों का अर्थ और महत्व अर्जुन के चरित्र, गुण और कर्तव्यों से जुड़ा है। वे महाभारत के महान वीर हैं, जिनका जीवन एक अद्भुत कहानी है। अर्जुन के 12 नाम संबंधित कथाओं के साथ जुड़े हैं जो आज भी लोगों को विरोचन करती हैं। इस लेख में, अर्जुन के 12 प्रमुख नामों की एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
अर्जुन के 12 नाम
- धनञ्जय: यह नाम अर्जुन को राजसूय यज्ञ के समय बहुत से राजाओं को जीतने के कारण प्राप्त हुआ। इसका अर्थ है ‘धन का जीतनेवाला’ या ‘धन से प्राप्त’।
- कपिध्वज: अर्जुन के रथ की ध्वजा पर महावीर हनुमान का चिन्ह था। इसका अर्थ है ‘वानरों का ध्वजवान’।
- गुडाकेश: ‘गुडा’ का अर्थ होता है निद्रा। अर्जुन ने निद्रा को जीत लिया था, इसीलिए उन्हें गुडाकेश कहा गया।
- पार्थ: अर्जुन की माता कुंती का दूसरा नाम ‘पृथा’ था, इसलिए वे पार्थ कहलाये।
- परन्तप: जो अपने शत्रुओं को ताप पहुँचाने वाला हो, उसे परन्तप कहते हैं।
- कौन्तेय: कुंती के नाम पर ही अर्जुन कौन्तेय कहे जाते हैं।
- पुरुषर्षभ: ‘ऋषभ’ श्रेष्ठता का वाचक है। पुरुषों में जो श्रेष्ठ हो, उसे पुरुषर्षभ कहते हैं।
- भारत: भरतवंश में जन्म लेने के कारण ही अर्जुन का भारत नाम हुआ।
- किरीटी: इन्द्र ने अपने विजय के प्रतीक रूप में अर्जुन को किरीट (मुकुट) पहनाया था, इसीलिए उन्हें किरीटी कहा गया।
- महाबाहो: अर्जुन के आजानुबाहु होने के कारण उन्हें महाबाहो कहलाया।
- फाल्गुन: फाल्गुन का महीना और इंद्र का नामान्तर है। अर्जुन इंद्र के पुत्र हैं, इसलिए उन्हें फाल्गुन भी कहा जाता है।
- सव्यसाची: इस नाम का अर्थ है ‘दोनों हाथों से धनुष का संधान करने वाला’। यह नाम अर्जुन की कुशलता और शक्ति को व्यक्त करता है।
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अर्जुन के अतिरिक्त नाम
अर्जुन के 12 नाम के अतिरिक्त, निम्नलिखित नाम भी हैं जो उनके व्यक्तित्व और योग्यताओं को व्यक्त करते हैं:
- विजय: किसी भी संघर्ष में जाने पर अर्जुन शत्रुओं को जीते बिना कभी नहीं लौटे। उन्हें विजय कहा जाता है क्योंकि वे हमेशा अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।
- श्वेतवाहन: अर्जुन के रथ पर सदैव सुनहरे और श्वेत अश्व जुते रहते हैं। इससे उन्हें श्वेतवाहन कहा जाता है, जो उनके वीरता और शानदार रथ को संदर्भित करता है।
- बीभत्सु: युद्ध के समय अर्जुन कभी भी कोई भयानक काम नहीं करते। उन्हें बीभत्सु कहा जाता है, जिससे उनकी धैर्यवानता और मानवीयता का प्रतीक बनता है।
- जिष्णु: अर्जुन ने दुर्जय का दमन किया और उन्हें पराजित किया। इसके कारण उन्हें जिष्णु कहा जाता है, जिससे उनकी वीरता और विजय की प्रशंसा होती है।
- कृष्ण: अर्जुन का वर्ण श्याम और गौर के बीच का था, इसलिए उन्हें कृष्ण भी कहा गया। यह नाम उनकी अद्वितीय रंगबिरंगी प्रकृति को व्यक्त करता है।
इन नामों से हम अर्जुन की विविधता, धैर्य, शक्ति और विजय की प्रतीक्षा को समझ सकते हैं। ये नाम उनकी विशेष गुणों को उजागर करते हैं और हमें उनके प्रति सम्मान और प्रेरणा देते हैं।
गीता में अर्जुन के नाम
‘गीता’ में आने वाले अर्जुन के सम्बोधन नाम उनके व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण पहचान हैं और उनके चरित्र के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करते हैं। ये नाम अर्जुन के विभिन्न धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण योगदान को संकेतित करते हैं।
- पार्थ: यह नाम अर्जुन के माता कुंती के द्वारा पुकारे जाने के कारण उन्हें दिया गया। यह नाम उनके पिता के नाम पांडु से संबंधित है और इससे उनका क्षत्रिय धर्म का प्रतीकात्मक सम्बोधन है।
- भारत: अर्जुन का भारत नाम उनके जन्म के क्षेत्र के रूप में प्रशंसा करता है और इससे उनका राष्ट्रीयता और समाज सेवा के प्रति समर्पण को संकेतित किया जाता है।
- धनंजय: यह नाम अर्जुन के शूरवीरता, साहस और वीरता को दर्शाता है, जो उन्हें धन के रूप में विजय प्राप्त करने वाले के रूप में संबोधित करता है।
- पृथापुत्र: इस नाम से अर्जुन का पार्थिव संबंध दर्शाता है, जिससे उनका राजपुत्र होने का संबंध है।
- परन्तप: यह नाम अर्जुन के शत्रुओं के प्रति अद्वितीय प्रतिक्रिया और उनके युद्ध कुशलता को संकेतित करता है।
- गुडाकेश: अर्जुन के इस नाम से उनकी निद्रा के पराजय की प्रशंसा होती है, जो उनकी अंतरात्मा की जीत को दर्शाता है।
- निष्पाप: यह नाम अर्जुन के धर्मयुद्ध में स्थानांतरित होने की उनकी शुद्धता और निष्कपटता को संकेतित करता है।
- महाबाहो: अर्जुन के युद्ध में महान शस्त्रशक्ति और साहस को दर्शाने के लिए इस नाम का उपयोग किया गया है। यह नाम उनके वीरता और बल को प्रशंसा करता है।
इन सम्बोधन नामों के माध्यम से ‘गीता’ में अर्जुन की उनकी विभिन्न गुणों, कर्तव्यों और धार्मिक साधनाओं को प्रशंसा किया गया है और यह हमें उनकी श्रेष्ठता और धार्मिक समर्पण के प्रति प्रेरित करते हैं।
गीता के अध्याय अनुसार अर्जुन के विभिन्न नाम
उपरोक्तो अर्जुन के 12 नाम के अतिरिक्त, निम्नलिखित नाम भी हैं। इस तालिका में, प्रत्येक अध्याय में अर्जुन के विभिन्न नामों की सूची दी गई है।
संख्या | अध्याय | नाम |
---|---|---|
1 | प्रथम | धनंजय |
2 | कपिध्वज | |
3 | गुदकेश | |
4 | पृथापुत्र | |
5 | अर्जुन | |
6 | द्वितीय | गुदकेश |
7 | परंतप | |
8 | पुरुषश्रेष्ठ | |
9 | भारतवंशी अर्जुन | |
10 | भारत | |
11 | पार्थ | |
12 | धनंजय | |
13 | कौन्तेय | |
14 | महाबाहो | |
15 | तृतीय | कुरु श्रेष्ठ |
16 | परंतप | |
17 | चौथा | महाबाहो |
18 | पार्थ | |
19 | कुरुनन्दन | |
20 | कुंती पुत्र | |
21 | सातवां, आठवां, नौवां, और दसवां | महाबाहो |
22 | पार्थ | |
23 | कुरुनन्दन | |
24 | कुंती पुत्र | |
25 | ग्यारह | पाण्डु पुत्र |
26 | सव्यसाचिन | |
27 | कुरु प्रवीर |
अर्जुन के इन विभिन्न नामों का उल्लेख महाभारत के विभिन्न पार्वों में किया गया है और यह नाम उनके विभिन्न गुणों और कार्यों को प्रकट करते हैं। इन नामों से हम अर्जुन के व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण पहचान और उनके कर्तव्यों की महत्वपूर्ण विशेषताओं को समझ सकते हैं।
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गीता में अर्जुन को कितने नामों से बुलाया गया है?
अर्जुन को गीता में कुल 18 नामों से संबोधित किया गया है। उनके नाम हैं – पार्थ, अर्जुन, भारत, कौंतेय, धनंजय, परंतप, पांडव, भरतवर्षभ, महाबाहु, गुडाकेश, कुरुनंदन, किरीटी, कुरुप्रवीर, कुरुश्रेष्ठ, कुरुसत्तम, भरतश्रेष्ठ, भरतसत्तम और सव्यसाची।
अर्जुन की कितनी पत्नियाँ थी और उनके नाम क्या थे?
अर्जुन की चार पत्नियाँ थीं। उनके नाम थे – द्रौपदी, उलूपी, चित्रांगदा और सुभद्रा।
अर्जुन के कुल कितने पुत्र थे?
अर्जुन के तीन पुत्र थे। उन्होंने श्रीकृष्ण की बहन ‘सुभद्रा’ से विवाह किया, जिससे उन्हें वीर पुत्र ‘अभिमन्यु’ के पिता बनने के गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने ‘उलूपी’ और ‘चित्रांगदा’ से भी विवाह किया था, जिनसे उनके दो पुत्र हुए थे – ‘इरावत’ और ‘बभ्रुवन’।
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