WhatsApp चैनल फॉलो करें

Join Now

हनुमान अवतार (Hanuman Avatar) – शिव का भक्ति, शक्ति और सेवा रूप

By Admin

Updated on:

हनुमान अवतार (Hanuman Avatar) – शिव का भक्ति, शक्ति और सेवा रूप

भगवान शिव के 19 अवतारों में से एक अत्यंत प्रसिद्ध, श्रद्धेय और विश्ववंदनीय अवतार है – हनुमान अवतार। यह अवतार केवल शक्ति और पराक्रम का नहीं, बल्कि भक्ति, सेवा, निष्ठा और नम्रता का भी अद्भुत संगम है। भगवान शिव ने इस रूप में यह दिखाया कि जब ईश्वर स्वयं अपने आराध्य की सेवा करना चाहते हैं, तो वे किसी देवता के रूप में नहीं, बल्कि एक विनम्र सेवक के रूप में अवतरित होते हैं। हनुमान न केवल रामभक्त हैं, वे स्वयं शिव हैं – और यह ज्ञान उन्हें और अधिक दिव्य बना देता है।

हनुमानजी की उत्पत्ति की कथा रामायण, शिवपुराण और अन्य अनेक ग्रंथों में विस्तार से मिलती है। जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर श्रीराम के रूप में अवतार लेने का संकल्प किया, तो भगवान शिव ने भी यह निश्चय किया कि वे इस अवतार में राम की सेवा के लिए स्वयं धरती पर उतरेंगे। उन्होंने माता अंजना के गर्भ से वानर रूप में जन्म लेने का निश्चय किया। अंजना पूर्व जन्म में एक अप्सरा थीं, जो श्रापवश वानरी बनीं थीं, और उन्होंने कठोर तप कर शिव से वर माँगा था कि वे उनके पुत्र बनें।

शिव की कृपा से अंजना को एक दिव्य तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ – जो वानर जाति से होते हुए भी देवताओं से अधिक शक्तिशाली, बुद्धिमान और तेजस्वी था। यही थे हनुमान। उनके नाम में ही उनका चरित्र छिपा है – ‘हनु’ यानी ठोड़ी, जो बचपन में सूर्य को निगलते समय इंद्र के वज्र से घायल हुई थी। तभी वायुदेव ने नाराज होकर संसार की प्राणवायु को रोक दिया था, जिससे सभी देवता भयभीत हो उठे और बालक हनुमान को अपूर्व वरदान दिए – अमरता, ज्ञान, बल, चपलता, बुद्धि, और आत्मज्ञान।

हनुमान बचपन से ही अति चंचल और उत्साही थे। उनका ज्ञान केवल बाह्य नहीं, आंतरिक भी था। उन्हें स्वयं नहीं पता था कि वे कौन हैं, लेकिन उनका मन एक अनदेखे आकर्षण की ओर खिंचता था – और वह आकर्षण था राम। जब उन्होंने पहली बार श्रीराम को देखा, उनका अंतर्मन पुलकित हो उठा। उन्हें ज्ञात हो गया कि यही वह प्रभु हैं जिनकी सेवा के लिए उन्होंने जन्म लिया है।

हनुमानजी का संपूर्ण जीवन सेवा का उदाहरण है। उन्होंने कभी अपने लिए कुछ नहीं माँगा – न फल, न पद, न सम्मान। उनका प्रत्येक कार्य श्रीराम के चरणों में समर्पित था। चाहे सीता माता की खोज हो, लंका दहन हो, या संजीवनी लाना हो – हर कार्य में उनका भाव था, “प्रभु आज्ञा ही मेरा धर्म है।” उन्होंने अपने पराक्रम से देवताओं को भी चकित किया, परंतु उनके मुख से कभी अहंकार नहीं निकला। यह शिव के उस रूप का प्रतीक है जो अपार शक्ति होते हुए भी स्वयं को शून्य मानता है।

हनुमानजी केवल राम के दास नहीं, वे राम के गुरु भी हैं। उन्होंने राम को यह सिखाया कि एक राजा को अपने सेवकों, मित्रों और स्त्री की मर्यादा की रक्षा कैसे करनी चाहिए। श्रीराम ने स्वयं स्वीकार किया कि हनुमान उनके सबसे प्रिय भक्त हैं, और उन्हें यह वरदान दिया कि जब तक रामकथा इस पृथ्वी पर कही जाएगी, तब तक हनुमान अमर रहेंगे और वहाँ उपस्थित रहेंगे।

भगवान शिव ने हनुमान रूप में केवल भक्ति की महिमा को प्रकट नहीं किया, बल्कि उन्होंने यह भी बताया कि कैसे सेवा ही सबसे बड़ी साधना है। उन्होंने यह दिखाया कि शक्ति का उपयोग केवल तब करना चाहिए जब उसका उद्देश्य परहित हो। हनुमान का जीवन यह सिद्ध करता है कि विनम्रता में भी वीरता होती है, और दासता में भी दिव्यता

आज भी करोड़ों लोग हनुमानजी की पूजा करते हैं। उन्हें संकटमोचक, बाल ब्रह्मचारी, एकाक्षर ब्रह्म, और कलियुग के जीवित देवता के रूप में माना जाता है। वे केवल मूर्ति नहीं, चेतना हैं – जो हर भक्त के मन में निवास करते हैं। उनके मंत्र, जैसे “ॐ हनुमंते नमः” और “रामदूताय नमः”, केवल शब्द नहीं, शक्तिशाली ऊर्जा हैं, जो भय, दुःख, मोह और संकट को हरने में सक्षम हैं।

हनुमान अवतार भगवान शिव का वह अमूल्य रूप है जहाँ वे यह दर्शाते हैं कि ईश्वर को पाने का मार्ग कोई जटिल योग या रहस्य नहीं, बल्कि निष्काम सेवा और पूर्ण समर्पण है। हनुमान वही हैं जो “राम काजु कीन्हें बिनु, मोहि कहाँ विश्राम” कहकर यह सिखाते हैं कि जीवन तब तक अधूरा है जब तक वह किसी उच्च उद्देश्य के लिए न समर्पित हो।

हनुमानजी आज भी अमर हैं, केवल शरीर से नहीं, चेतना से। वे हर स्थान पर हैं जहाँ भक्ति है, जहाँ राम है, जहाँ सेवा है। भगवान शिव का यह अवतार हर युग के लिए आवश्यक है – क्योंकि यह हमें हमारी सीमाओं से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है। हनुमान में हमें एक साथ शक्ति, भक्ति, ज्ञान और सेवा मिलते हैं – और यही तो पूर्ण शिवत्व है।

Leave a Comment

Start Quiz