शांति मंत्र (Shanti Mantra) हमें आत्मशांति, सामाजिक समरसता और ब्रह्मांडिक समाधान की ओर प्रेरित करता है। यह एक प्राचीन वैदिक मंत्र है जो संतुलन, स्थिरता और स्वास्थ्य के लिए शक्तिशाली माना जाता है। इसका उच्चारण करने से हमारी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और हमें अंतर्निहित शांति का अनुभव होता है। यह मंत्र हमें विचारशीलता, सहनशीलता, और समरसता की ओर अग्रसर करता है। शांति पाठ मंत्र के प्रत्येक शब्द में शांति की शक्ति निहित है जो हमें जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और समाधान की दिशा में ले जाती है।
वैदिक शांति पाठ मंत्र
वैदिक शांति मंत्र | Om Shanti Mantra in Hindi | यजुर्वेद शांति पाठ
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति:
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्वं शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
विश्वशांती शांति पाठ मंत्र
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
बृहदारण्यकोपनिषद् शांति मंत्र
इसे पवमान मन्त्र या पवमान अभयारोह मन्त्र कहा जाता है।
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्माऽमृतं गमय।
॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
तैत्तिरीय उपनिषद्, कठोपनिषद्, मांडूक्योपनिषद् तथा श्वेताश्ववतरोपनिषद् – उक्त शांति मंत्र
ॐ सह नाववतु ।
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
तैत्तिरीय उपनिषद् -उक्त शांति मंत्र
ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः ।
शं नो भवत्वर्यमा ।
शं नो इन्द्रो बृहस्पतिः ।
शं नो विष्णुरुरुक्रमः ।
नमो ब्रह्मणे ।
नमस्ते वायो ।
त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि ।
त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि ।
ॠतं वदिष्यामि ।
सत्यं वदिष्यामि ।
तन्मामवतु ।
तद्वक्तारमवतु ।
अवतु माम् ।
अवतु वक्तारम् ॥
॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
मुण्डक उपनिषद्, माण्डूक्य उपनिषद् तथा प्रश्नोपनिषद् -उक्त शांति पाठ
ॐ गणानां त्वा गणपति हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमं ।
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः शृण्वन्नूतिभिस्सीद सादनमं ।
ॐ महागणपतये नमः ||
ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवाः।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवा(गुं)सस्तनूभिः।
व्यशेम देवहितं यदायुः।
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्ताक्षर्यो अरिष्टनेमिः ।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
ॐ नमो ब्रह्मणे नमो अस्त्वग्नये नमः पृथिव्यै नम ओषधीभ्यः ।
नमो वाचे वाचस्पतये नमो विष्णवे बृहते करोमि ॥
॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
शांति पाठ मंत्र
ॐ यश्छन्दसामृषभो विश्वरूपः । छन्दोभ्योऽध्यमृताथ्सम्बभूव ।
स मेन्द्रो मेधया स्पृणोतु । अमृतस्य देवधारणो भूयासम् ।
शरीरं मे विचर्षणम् । जिव्हा मे मधुमत्तमा । कर्णाभ्यां भूरिविश्रुवम् ।
ब्रह्मणः कोशोऽसि मेधया पिहितः । श्रुतं मे गोपाय ॥
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
शांति पाठ मंत्र
ॐ तच्छं योरावृणीमहे । गातुं यज्ञाय । गातुं यज्ञपतये ।
दैवी स्वस्तिरस्तु नः । स्वस्तिर्मानुषेभ्यः । ऊर्ध्वं जिगातु भेषजम् ।
शं नो अस्तु द्विपदे । शं चतुष्पदे ।
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
तैत्तिरीयारण्यकम् -उक्त शांति पाठ
नमो वाचे या चोदिता या चानुदिता तस्यै वाचे
नमो नमो वाचे नमो वाचस्पतये नम ऋषिभ्यो
मन्त्रकृद्भ्यो मन्त्रपतिभ्यो मा मामृषयो मन्त्रकृतो
मन्त्रपतयः परा दुर्माहमृषीन्मन्त्रकृतो मन्त्रपतीन्परादाम्
वैश्वदेवीं वाचमुद्यासँ शिवामदस्तां जुष्टां देवेभ्यः
शर्म मे द्यौः शर्म पृथिवी शर्म विश्वमिदं जगत् शर्म चन्द्रश्च सूर्यश्च शर्म ब्रह्मप्रजापती
भूतं वदिष्ये भुवनं वदिष्ये तेजो वदिष्ये यशो वदिष्ये तपो वदिष्ये ब्रह्म वदिष्ये सत्यं वदिष्ये
तस्मा अहमिदमुपस्तरणमुपस्तृण उपस्तरणं मे प्रजायै पशूनां भूयादुपस्तरणमहं प्रजायै पशूनां भूयासम्
प्राणापानौ मृत्योर्मा पातं प्राणापानौ मा मा हासिष्टम्
मधु मनिष्ये मधु जनिष्ये मधु वक्ष्यामि मधु वदिष्यामि मधुमतीं देवेभ्यो वाचमुद्यासँ शुश्रूषेण्यां
मनुष्येभ्यस्तं मा देवा अवन्तु शोभायै पितरोऽनु मदन्तु
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
ॐ मधुवाता ऋतायते मधुरक्षन्ति सिन्धवः । माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः ।
मधु नक्तमुतोषसि मधुमत्पार्थिवं रजः । मधुद्यौरस्तु नः पिता ।
मधुमान्नो वनस्पति-र्मधुमां अस्तु सूर्यः । माध्वीर्गावो भवन्तु नः ॥
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
ऐतरेय उपनिषद् -उक्त शांति मंत्र
ॐ वां मे मनसि प्रतिष्ठिता ।
मनो मे वाचि प्रतिष्ठितम् ।
आविराविर्म एधि ।
वेदस्य म आणीस्थः ।
श्रुतं मे मा प्रहासीः ।
अनेनाधीतेनाहोरात्रान्सन्दधामि ।
ऋतं वदिष्यामि ।
सत्यं वदिष्यामि ।
तन्मामवतु ।
तद्वक्तारमवतु ।
अवतु माम् ।
अवतु वक्तारामवतु वक्तारम् ॥
॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
बृहदारण्यक उपनिषद् तथा ईशावास्य उपनिषद्
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्ण मेवावशिष्यते ॥
॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
ॐ इडा देवहूः मनुः यज्ञनीः बृहस्पति रुक्थामदानि शंसिषद्विश्वे देवाः सूक्तवाचः पृथिविमातर्मा मा हिंसीर्मधु मनिष्ये मधु जनिष्ये मधु वक्ष्यामि मधु वदिष्यामि मधुमतीं देवेभ्यो वाचमुद्या संशुश्रूषेण्यां मनुष्येभ्यस्तं मा देवा अवन्तु शोभायै पितरोऽनुमदन्तु ॥
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
परिवार की सुख-शांति के लिए मंत्र
परिवार की सुख-शांति को बनाए रखना हर व्यक्ति की प्राथमिकता होती है। एक सुखी और शांत परिवार जीवन के हर पहलू में आनंद और समृद्धि का स्रोत होता है। इसके लिए भगवान को आह्वान करने वाले विशेष मंत्र होते हैं जो परिवार के सदस्यों के बीच सद्भाव, समरसता, और प्रेम को बढ़ावा देते हैं। ये मंत्र परिवार की एकता और सहयोग को स्थायी बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे हर व्यक्ति अपने जीवन में खुशहाली और शांति का अनुभव कर सकता है।
ॐ शृंग ॐ रिंग श्रृंग रिंग कलिंग सिद्धेस्वरए नमः
om shring om ring shring ring kling sidheswaraye namah:
शांति पाठ मंत्र का लाभ
शांति मंत्र का लाभ व्यक्ति के जीवन के कई पहलुओं में दिखाई जा सकता है। यह ध्यान और आध्यात्मिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। यहां कुछ मुख्य लाभ दिए गए हैं:
- शांति और सामर्थ्य: शांति मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति अधिक संतुलित और सामर्थ्यवान महसूस करता है।
- स्वस्थ मन और शरीर: इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य बढ़ता है, जिससे शरीरिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- कार्यक्षमता में वृद्धि: शांति मंत्र के जाप से मानसिक शांति मिलने के कारण कार्यक्षमता में वृद्धि होती है और कार्यों को पूरा करने की क्षमता में सुधार होता है।
- संबंधों में सुधार: इस मंत्र के जाप से व्यक्ति की अन्तरात्मा में शांति और संतुष्टि का अनुभव होता है, जिससे वह अपने संबंधों में सुधार देखता है।
- स्वाभाविक उत्थान: यह मंत्र व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, जो उसे अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने में मदद करता है।
- आध्यात्मिक विकास: शांति मंत्र के जाप से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है, जिससे वह अपने जीवन को समझने और उसमें गहराई से समाहित होता है।
इन सभी लाभों के अलावा, शांति मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति का आत्मविश्वास और सामर्थ्य में वृद्धि होती है, जिससे वह अपने जीवन के समस्त क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है।
शांति पाठ मंत्र का जाप कैसे करें
शांति मंत्र का जाप करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- ध्यान का समय: सुबह का समय, विशेष रूप से सूर्योदय के समय (सुबह 6 बजे से 8 बजे तक), शांति मंत्र का जाप करने के लिए उत्तम है। जप करने से पहले, कुछ समय ध्यान और शांति में व्यतीत करना फायदेमंद होता है। इससे आपका मन शांत होता है और आपके जप के लिए तैयार होते हैं।
- आसन: स्थिर और सुखद आसन में बैठें। यह आपको जप के दौरान मानसिक स्थिरता प्रदान करेगा।
- मंत्र का जप: मंत्र का उच्चारण करें। शांति मंत्र का जाप करते समय, उसे ध्यान से और सांगोपांग ध्यान से उच्चारण करें।
- मंत्र का अर्थ समझें: मंत्र के उच्चारण के साथ-साथ उसका अर्थ और महत्व को समझें। इससे आपका जप गहराई से होगा।
- नियमित जप: शांति मंत्र का नियमित जप करें। नियमितता से ही आप इसके अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- ध्यान समाप्ति: जप के समापन के बाद, कुछ समय ध्यान में बने रहें और अपने अनुभवों को अनुभव करें।
ध्यान रखें कि मंत्र का जप करते समय आपके मन को खाली रखना और ध्यान में बने रहना महत्वपूर्ण है। यह सुन्दरता, स्थिरता, और आनंद को अनुभवने में मदद करेगा।
शांति पाठ मंत्र PDF | विभिन्न शान्ति मन्त्र Pdf
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शांति का मूल मंत्र क्या है?
शांति का मूल मंत्र विभिन्न धर्म और संस्कृतियों में अलग-अलग हो सकता है, लेकिन वैदिक संस्कृति में “ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः” (Om Shanti Shanti Shanti) यह मंत्र शांति का प्रतीक है। यह मंत्र तीन बार उच्चारित किया जाता है, जो किसी भी परिस्थिति में शांति, आत्मिक शांति, और विश्व के सभी जीवों की शांति की कामना करता है। इसे वेदों और उपनिषदों में प्रचलित माना जाता है और यह ध्यान और प्रार्थना का एक महत्वपूर्ण संज्ञान है।
घर में सुख शांति के लिए कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?
घर में सुख शांति के लिए शांति मंत्र रोजाना पाठ करें – ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षॅं शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्र्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वॅंशान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि।। ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।।
परिवार की सुख-शांति के लिए कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?
परिवार की सुख-शांति के लिए यह मंत्र पढ़ना चाहिए – ॐ शृंग ॐ रिंग श्रृंग रिंग कलिंग सिद्धेस्वरए नमः