सानंद मानंद वने वसंतम Meaning in hindi | काशी विश्वनाथ मंत्र

सानंद मानंद वने वसंतम श्लोक | सानंद मानंद वने वसंतम Lyrics

इस श्लोक का अर्थ है:

जो भगवान शिव काशी (आनंदवन) में आनंदपूर्वक निवास करते हैं, जो परमानंद के मूल स्रोत हैं और समस्त पापों का नाश करने वाले हैं, जो वाराणसी के स्वामी और अनाथों के नाथ हैं, मैं उन श्री विश्वनाथ की शरण में जाता हूँ।

सानंद मानंद वने वसंतम Meaning in Hindi

सानंद मानंद वने वसंतम Meaning in hindi काशी विश्वनाथ मंत्र
सानंद मानंद वने वसंतम Meaning in hindi

इस श्लोक में भगवान शिव की महिमा का सुंदर वर्णन है, जो काशी के अधिपति और अनाथों के नाथ माने जाते हैं। यहाँ भगवान शिव को “सानन्दमानन्दवने वसन्तं” कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे आनन्दवन (काशी) में सदा आनंदपूर्वक निवास करते हैं। काशी, जिसे वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है, शिव का परम धाम है, और उनकी उपस्थिति से यह स्थान परम पवित्र और मोक्षप्रदायक बन गया है। ऐसा माना जाता है कि काशी में निवास करने या यहाँ शिव की भक्ति करने से मनुष्य को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शिवजी को यहाँ “आनन्दकन्दं” कहा गया है, जिसका अर्थ है “आनंद के मूल कारण”। भगवान शिव सृष्टि के आदिकारण हैं और हर तरह के आनंद का स्रोत भी हैं। उनके दिव्य स्वरूप में परम शांति और आनंद का वास होता है, और जो भी उनकी शरण में जाता है, उसे आत्मिक संतोष और आनंद की अनुभूति होती है। उनके इस रूप में वे अपने भक्तों को प्रेम और कृपा से भर देते हैं, जिससे जीवन में आने वाली समस्याएँ भी सहजता से हल हो जाती हैं।

श्लोक में शिव को “हतपापवृन्दम्” भी कहा गया है, जिसका अर्थ है “पापों का नाश करने वाले”। भगवान शिव अपने भक्तों के समस्त पापों का नाश करते हैं और उन्हें पवित्र बना देते हैं। शिव के शरण में जाने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं, और वह अपने जीवन में पवित्रता और शुद्धता का अनुभव करता है। यह विशेषता शिवजी के भक्तवत्सल और कृपालु स्वरूप को दर्शाती है।

“वाराणसीनाथमनाथनाथं” में भगवान शिव को वाराणसी के नाथ और अनाथों के नाथ के रूप में संबोधित किया गया है। शिवजी उन सभी का सहारा हैं, जिनके पास कोई सहारा नहीं है। वे अनाथों के लिए पिता समान हैं और उन्हें सुरक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। शिवजी का यह स्वरूप उनके करुणामयी और दयालु व्यक्तित्व को दर्शाता है, जिससे हर भक्त उनके पास जाने का साहस करता है।

अंत में, “श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये” में यह कहा गया है कि मैं श्री विश्वनाथ की शरण में जाता हूँ। यह पंक्ति भक्त की पूर्ण समर्पण भावना को दर्शाती है, जिसमें वह अपने सभी भय, शंकाएँ और कष्टों को छोड़कर भगवान की शरण में जाता है। काशी के श्री विश्वनाथ का आश्रय लेने से सभी दुखों का अंत होता है, पापों का नाश होता है, और मनुष्य को मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है।

इस प्रकार, इस श्लोक के माध्यम से भगवान शिव की महिमा का वर्णन करते हुए उनके विभिन्न गुणों की स्तुति की गई है, जो सभी भक्तों के लिए प्रेरणादायक है। शिवजी का यह स्वरूप हमें भक्ति, समर्पण और मुक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

शिव मंत्र लिस्ट

1Uma Maheshwar Stotraउमा महेश्वर स्तोत्र
2Shri Parvati Vallabh Ashtakamश्री पार्वतीवल्लभ अष्टकम
5Shiv Raksha Stotraशिव रक्षा स्तोत्रम्
6Shiv Amritwaniशिव अमृतवाणी
8Shivaya Parameshwarayaशिवाय परमेश्वराय
10Shiv Pushpanjali Mantraशिव मंत्र पुष्पांजली
11Shiva Swarnamala Stutiशिव स्वर्णमाला स्तुति
13Chandrachooda Shiva Shankara Parvatiचंद्रचूड़ा शिव शंकरा पार्वती
23Shiva Bramhand Mantra शिव ब्रह्मांड मंत्र
25Karpur Gauram Karunavtaramकर्पूर गौरं करुणावतारम्
26Shiva Dhyana Mantraशिव ध्यान मंत्र
27Vande Shivam Shankaramवन्दे शिवं शंकरम्
28Shiv 108 Mantraशिव के 108 नाम
29Shiv Panchakshar Stotraशिव पंचाक्षर स्तोत्रम्
30Rudraksha Shiddhi Mantraरुद्राक्ष सिद्धि मंत्र
31Shiv Aahvaan Mantraशिव आह्वान मंत्र
32Shiv Lingashtakamशिव लिंगाष्टकम
34Dwadash Jyotirlinga Stotramद्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्
39Shiv Rudrashtakamशिव रुद्राष्टकम

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