माँ दुर्गा स्तुति मंत्र
पहला मंत्र:
रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र |
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् ||
उपयोग: विश्वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिए।
दूसरा मंत्र:
देवी प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य |
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ||
उपयोग: महामारी या अन्य वैश्विक संकटों से सुरक्षा के लिए।
तीसरा मंत्र:
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते ||
उपयोग: स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए।
चौथा मंत्र:
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी |
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ||
उपयोग: भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।
पांचवा मंत्र:
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||
उपयोग: प्रसन्नता और व्यक्तिगत उन्नति के लिए।
छठा मंत्र:
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि |
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||
उपयोग: आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए।
सातवां मंत्र:
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||
उपयोग: पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए।
आठवां मंत्र:
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् |
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव ||
उपयोग: विश्व के अशुभ और भय का नाश करने के लिए।
नवां मंत्र:
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च |
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ||
उपयोग: सामूहिक कल्याण और सुरक्षा के लिए।
दसवां मंत्र:
देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |
तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||
उपयोग: सभी का कल्याण और मंगल की प्राप्ति के लिए।
सर्व शांति और मंगलकामना का मंत्र:
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥
उपयोग: समग्र शांति, समृद्धि और मंगलकामना के लिए।