क्षमा प्रार्थना मंत्र । Kshama Prarthana

क्षमा प्रार्थना मंत्र हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र मंत्र है, जिसे व्यक्ति अपने द्वारा की गई गलतियों, पापों और अपराधों के लिए भगवान से क्षमा मांगने के लिए उच्चारित करता है। यह मंत्र आध्यात्मिक शुद्धिकरण और आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन काल से ही ऋषियों और मुनियों ने क्षमा की महत्ता को समझाया है और इसे जीवन के प्रत्येक पहलू में अपनाने की सलाह दी है।

इस मंत्र का नियमित उच्चारण करने से मनुष्य के भीतर सहिष्णुता, दया, और प्रेम का विकास होता है, जिससे समाज में शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है। कुल मिलाकर, क्षमा प्रार्थना मंत्र एक साधन है, जो व्यक्ति को आत्मनिरीक्षण, सुधार और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

क्षमायाचना मंत्र का महत्व

पूजा के दौरान, हम विशेष रूप से सभी देवी-देवताओं के मंत्रों का जाप करते हैं। यह मंत्र हर पूजा संबंधित क्रिया के लिए होते हैं, जैसे प्रार्थना, स्नान, ध्यान, और भोग। साथ ही, पूजा करते समय हमसे होने वाली भूल चूक के लिए क्षमा मांगने का भी एक विशेष मंत्र होता है – जो क्षमायाचना मंत्र के नाम से जाना जाता हैं ।

पूजा के समय, हम अक्सर अनजाने में गलतियाँ कर जाते हैं। इन गलतियों के लिए, हमें भगवान से क्षमा मांगना चाहिए। यह मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना और उनके लिए माफी मांगना चाहिए। क्षमा के भाव से हमारे अहंकार को घटा और हमारे रिश्तों में प्रेम और समर्पण का भाव बना रहता है। इसलिए, पूजा में क्षमा मांगना न केवल हमारे धार्मिक आचरण का हिस्सा होता है, बल्कि यह हमें दैनिक जीवन में भी सही दिशा में चलने की प्रेरणा देता है।

इसे भी पढ़े: शुद्धिकरण मंत्र हिंदी में

क्षमा प्रार्थना मंत्र । Kshama Prarthana
क्षमा प्रार्थना मंत्र

क्षमा प्रार्थना मंत्र । Kshama Prarthana

पूजा में क्षमा मांगने के लिए यह मंत्र बोला जाता है ।

संपूर्ण क्षमा प्रार्थना संस्कृत में

अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्‍वरि॥१॥

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्‍वरि॥२॥
(आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनं।
स्तवनं चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्‍वरि॥
)

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्‍वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥३॥

अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत्।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः॥४॥

सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरू॥५॥

अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्‍वरि॥६॥

कामेश्‍वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्‍वरि॥७॥

गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्‍वरि॥८॥

अतिरिक्त :
प्रसीद भगवत्यम्ब प्रसीद भक्तवत्सले ।
प्रसादं कुरु मे देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥९॥

  • यहां मंत्र संख्या 2 का एक अन्य प्रकार भी प्रस्तुत किया गया है। इस मंत्र का भावनात्मक उद्देश्य यह होता है कि जिस प्रतिमा का विसर्जन नहीं कर रहे हैं, उसके लिए विसर्जन का उच्चारण अनपेक्षित होता है।
  • इसके अतिरिक्त, एक और मंत्र संख्या 9 भी है जो माता से कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

क्षमा प्रार्थना हिंदी में अर्थ सहित

1. अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्‍वरि॥१॥

हिंदी अर्थ:

हे परमेश्वरी! मुझसे दिन-रात हजारों अपराध होते हैं। मुझे अपना दास समझकर कृपया मुझे क्षमा करें।

2. आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्‍वरि॥२॥

हिंदी अर्थ:

मैं आवाहन कैसे करूँ, विसर्जन कैसे करूँ, और पूजा कैसे करूँ, मुझे इसका ज्ञान नहीं है। हे परमेश्वरी! कृपया मुझे क्षमा करें।

3. मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्‍वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥३॥

हिंदी अर्थ:

हे सुरेश्वरी! मन्त्रहीन, क्रियाहीन, और भक्तिहीन होने पर भी जो कुछ मैं आपकी पूजा करता हूँ, वह संपूर्ण हो जाए। ऐसी मेरी प्रार्थना है।

4. अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत्।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः॥४॥

हिंदी अर्थ:

सौ अपराध करके भी जो कोई जगदम्बा के नाम से ऊँचाई को प्राप्त करता है, उस गति को ब्रह्मा आदि देवताएँ भी नहीं प्राप्त करती॥4॥

5. सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरू॥५॥

हिंदी अर्थ:

हे जगदम्बे! मैं अपराधी हूँ और आपकी शरण में आया हूँ। अब मुझ पर अनुकम्पा करें और मुझे वैसा ही करें जैसा आप चाहती हैं॥5॥

6. अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्‍वरि॥६॥

हिंदी अर्थ:

हे परमेश्वरी! अज्ञान से, विस्मृति से, और भ्रांति से होने वाले सभी त्रुटियों को क्षमा करें। आप हम पर कृपा करें।

7. कामेश्‍वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्‍वरि॥७॥

हिंदी अर्थ:

हे कामेश्वरी, जगदम्बे, सच्चिदानंद स्वरूपिणी! कृपया इस पूजा को प्रेम से स्वीकार करें। हे परमेश्वरी, कृपा करो॥७॥

8. गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्‍वरि॥८॥

हिंदी अर्थ:

देवी! आप गोपनीय से भी गोपनीय वस्तुओं की रक्षा करने वाली हैं। मेरे द्वारा किए गए जप को स्वीकार करें। आपकी कृपा से ही मुझे सिद्धि प्राप्त हो।

9. प्रसीद भगवत्यम्ब प्रसीद भक्तवत्सले।
प्रसादं कुरु मे देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥९॥

हिंदी अर्थ:

हे भगवती माँ, कृपा करें। हे भक्तों के प्रिय, कृपा कीजिए। हे देवी दुर्गा, मुझे अपनी कृपा प्रदान करें। नमस्ते तुम्हे।

FaQs

क्षमा प्रार्थना मंत्र का उद्देश्य क्या है?

इसका मुख्य उद्देश्य हमें अपने कर्मों के लिए ईश्वर से क्षमा मांगना और आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त करना होता है।

क्या किसी विशेष अवस्था में क्षमा प्रार्थना मंत्र का उपयोग किया जा सकता है?

हां, जब हम किसी भी धार्मिक कार्य या पूजा करते हैं और अनजाने में गलती हो जाती है, तो हम क्षमा प्रार्थना मंत्र का उपयोग कर सकते हैं।

क्षमा प्रार्थना मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

इसका जाप एक बार भी प्रभावी हो सकता है, लेकिन यदि संभव हो तो इसे अन्य मंत्रों के साथ सामाहित करके अनेक बार उच्चारित किया जा सकता है।

Leave a Comment

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
100% Free SEO Tools - Tool Kits PRO
error: Content is protected !!