कर्पूर गौरम करुणावतारं श्लोक

WhatsApp चैनल फॉलो करें
Join Now
हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ें
Join Now
Category:
Published:
20 March 2024
16

यह कर्पूर गौरम करुणावतारं श्लोक सजीवता और आत्मीयता की भावना को स्थापित करता है, जिससे पूजन की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता में वृद्धि होती है। आरती के समय इन मंत्र श्लोक का उच्चारण, आस्था और भक्ति के साथ किया जाता है, जो मन को पवित्र और शांतिपूर्ण बनाता है।

मंदिरों या घरों में पूजन कार्यक्रम में, आरती के समय विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। यह मंत्र देवी-देवताओं की प्रशंसा और स्तुति में समर्पित होता है। इस पावन कार्य के दौरान, विशेष ध्यान देवी या देवता की कृपा और आशीर्वाद की मांग के साथ रखा जाता है।

यहाँ कवर किए गए टॉपिक्स

Toggle

कर्पूर गौरम करुणावतारं श्लोक

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

हिंदी अर्थ

कर्पूरगौरं करुणावतारं – जो कपूर के समान गोरा और करुणा के अवतार हैं।

संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् – जो सम्पूर्ण संसार का सार हैं और सर्पों के राजा के हार हैं।

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे – जो हमेशा हृदय के अंतर में बसे हुए हैं।

भवं भवानीसहितं नमामि – मैं उन्हें नमस्कार करता हूँ, जो भवानी के साथ हैं।

अर्थात, हे शिव, आप कर्पूर के समान गौर वर्णवाले हैं, आप करुणा के अवतार हैं, आप संसार का सार हैं, और आप सर्प का हार धारण करने वाले हैं। हे शंकर, आप माता भवानी के साथ मेरे हृदय में सदा वास करें। हे शिव, हम आपको हमारा प्रणाम समर्पित करते हैं।

कर्पूर गौरम करुणावतारं पूरा श्लोक

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

मंगलम भगवान् विष्णु
मंगलम गरुड़ध्वजः |
मंगलम पुन्डरी काक्षो
मंगलायतनो हरि ||

सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव

कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ||

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे
हे नाथ नारायण वासुदेव |
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव
गोविन्द दामोदर माधवेती ||

आरती के बाद क्यों बोलते हैं कर्पूर गौरम करुणावतारं श्लोक ?

आरती के बाद “कर्पूर गौरम करुणावतारं श्लोक का पाठ करने का कारण है कि यह श्लोक भगवान शिव की महिमा और उनके दिव्य स्वरूप का स्तुति करता है। इसमें शिव को “कर्पूरगौरं” कहा गया है, जो कपूर के समान गोरा हैं, और “करुणावतारं” हैं, जो करुणा के अवतार हैं। यह श्लोक शिव-पार्वती के विवाह के समय भगवान विष्णु द्वारा गाया गया था, जिससे उनका अद्भुत स्वरुप दर्शाया जाता है। इसके अलावा, यह श्लोक भगवान शिव की उच्च महिमा को स्मरण करने के लिए बोला जाता है, और उन्हें प्रसन्न करने के लिए आराधना की जाती है। इसके माध्यम से भक्त शिव की पूजा और आराधना करते हैं, और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

कर्पूर गौरम करुणावतारं पूरा श्लोक Pdf


इसे बी जरूर पढ़े :

Aaj ki Tithi