Jagdish Ji Ki Aarti – Vishnu Bhagwan Ki Aaarti

Jagdish Ji Ki Aarti : जगदीश जी की आरती हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के एक महत्वपूर्ण रूप को दर्शाती है। यह आरती उनके दिव्य गुणों, कृपा, और महिमा का स्तुति करती है और उनके आशीर्वाद से हमें सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति होती है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन धार्मिक विधि-विधान के साथ उनकी पूजा-अर्चना की जाती है । इस आरती के पवित्र शब्दों के माध्यम से हम भगवान जगदीश की भक्ति में समर्पित होते हैं और उनके प्रति अपना श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करते हैं।

Jagdish Ji Ki Aarti – Vishnu Bhagwan Ki Aaarti

विष्णु भगवान की आरती ओम जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

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ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में Pdf

Jagdish Ji Ki Aarti - Vishnu Bhagwan Ki Aaarti

विष्णु भगवान की आरती Pdf


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