Ekadashi 2025 List : एकादशी व्रत लिस्ट 2025 Pdf सहित

Ekadashi 2025 List: एकादशी का नाम सुनते ही भगवान विष्णु की भक्ति और व्रत का खास दिन याद आता है। इस पवित्र दिन पर भक्त उपवास रखते हैं, विष्णु जी की पूजा करते हैं, और प्रेरणादायक धार्मिक कथाएँ सुनते हैं। यह दिन भक्ति, शांति और आस्था से भरपूर होता है। आइए जानते हैं 2025 में आने वाली सभी एकादशियों की तारीखें:

एकादशी व्रत लिस्ट 2025 (Ekadashi 2025 List)

एकादशी का नामतिथि/तारीखपक्ष
पौष पुत्रदा एकादशी10 जनवरी 2025पौष शुक्ल
षटतिला एकादशी25 जनवरी 2025माघ कृष्ण
जया एकादशी08 फरवरी 2025माघ शुक्ल
विजया एकादशी24 फरवरी 2025फाल्गुन कृष्ण
आमलकी एकादशी10 मार्च 2025फाल्गुन शुक्ल
पापमोचिनी एकादशी25 मार्च 2025चैत्र कृष्ण
कामदा एकादशी08 अप्रैल 2025चैत्र शुक्ल
वरुथिनी एकादशी24 अप्रैल 2025वैशाख कृष्ण
मोहिनी एकादशी08 मई 2025वैशाख शुक्ल
अपरा एकादशी23 मई 2025ज्येष्ठ कृष्ण
निर्जला एकादशी06 जून 2025ज्येष्ठ शुक्ल
योगिनी एकादशी21 जून 2025आषाढ़ कृष्ण
देवशयनी एकादशी06 जुलाई 2025आषाढ़ शुक्ल
कामिका एकादशी21 जुलाई 2025श्रावण कृष्ण
श्रावण पुत्रदा एकादशी05 अगस्त 2025श्रावण शुक्ल
अजा एकादशी19 अगस्त 2025भाद्रपद कृष्ण
परिवर्तिनी एकादशी03 सितंबर 2025भाद्रपद शुक्ल
इन्दिरा एकादशी17 सितंबर 2025आश्विन कृष्ण
पापांकुशा एकादशी03 अक्टूबर 2025आश्विन शुक्ल
रमा एकादशी17 अक्टूबर 2025कार्तिक कृष्ण
देवुत्थान एकादशी02 नवंबर 2025कार्तिक शुक्ल
उत्पन्ना एकादशी15 नवंबर 2025मार्गशीर्ष कृष्ण
मोक्षदा एकादशी01 दिसंबर 2025मार्गशीर्ष शुक्ल
सफला एकादशी15 दिसंबर 2025पौष कृष्ण
पौष पुत्रदा एकादशी30 दिसंबर 2025पौष शुक्ल

एकादशी व्रत का महत्व

एकादशी व्रत भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। इसे “हरी दिन” और “हरि वासर” भी कहा जाता है। इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर होता है, जिसे पुण्यकाल माना जाता है।

इस दिन भक्त चावल और दाल जैसे अन्न का त्याग करते हैं, जो उनकी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। मान्यता है कि एकादशी व्रत पापों का नाश करता है, आत्मा को शुद्ध करता है, और स्वर्ग की प्राप्ति का मार्ग खोलता है।

यह व्रत भक्तों को भगवान के करीब लाकर उनकी आध्यात्मिक उन्नति और शांति का अनुभव कराता है।

एकादशी व्रत के नियम

  1. दशमी के नियम:
    • मांस, लहसुन, प्याज, और मसूर दाल जैसी निषेध चीजों का सेवन न करें।
    • रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें और भोग-विलास से दूर रहें।
  2. एकादशी के दिन:
    • लकड़ी का दातुन न करें, उपवासी पदार्थ खाएं और गीता का पाठ करें।
    • भगवान विष्णु को प्रणाम करें और दिल से प्रार्थना करें।
    • क्रोध न करें और मधुर वचन बोलें।
    • फलों का सेवन करें और हर चीज प्रभु को भोग लगाकर ही ग्रहण करें।
  3. द्वादशी के दिन:
    • ब्राह्मणों को मिष्ठान्न और दक्षिणा दें।
    • व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर ही करें।

एकादशी व्रत की पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र मन से पूजा की तैयारी करें।
  2. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  3. गंगा जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें और तुलसी व फूल अर्पित करें।
  4. भगवान की आरती गाएं और उन्हें भोग लगाएं।
  5. इस दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा करें ताकि धन, सुख और शांति बनी रहे।

पूजा सामग्री की सूची

  • श्री विष्णु जी की मूर्ति या चित्र
  • पुष्प, माला, तुलसी दल
  • नारियल, सुपारी, ऋतु फल (जैसे आंवला, बेर)
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • घी का दीपक, धूप, चावल
  • केले का पेड़ और मिठाई

एकादशी व्रत के फायदे

  1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  2. पापों का नाश और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  3. सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  4. विवाह में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।
  5. धन, समृद्धि और शांति का वास होता है।
  6. मोह-माया से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि होती है।
  7. हर कार्य में सफलता मिलती है।
  8. शत्रुओं और दरिद्रता का नाश होता है।
  9. पितरों को शांति मिलती है।
  10. प्रसिद्धि, सिद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत न केवल भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि यह जीवन में शांति, सुख और सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

एकादशी व्रत किसको करना चाहिए ?

एकादशी व्रत को सनातन हिंदू धर्म के अनुसार, सभी उम्र के लोग आचरण कर सकते हैं। एकादशी व्रत को सनातन हिंदू धर्म के अनुसार, सभी उम्र के लोग आचरण कर सकते हैं।

एकादशी व्रत का वैज्ञानिक महत्व ?

एकादशी व्रत के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। इस दिन वायुमंडलीय दबाव कम होता है, जिससे उपवास करना आसान हो जाता है। यह व्रत शरीर के पाचन तंत्र को साफ करता है, रक्त को शुद्ध करता है और पाचन तंत्र को आराम देता है।

एकादशी व्रत क्यों किया जाता है?

एकादशी व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है, जिन्हें श्रीहरि भी कहा जाता है। इस व्रत को करने से माना जाता है कि भगवान श्रीहरि की कृपा मिलती है, और साथ ही माता लक्ष्मी की भी विशेष कृपा होती है।

एकादशी व्रत की उत्पत्ति कैसे हुई?

एक बार भगवान विष्णु योग निद्रा में सो रहे थे, और उस समय दैत्य मुर ने उन पर हमला करने का प्लान बनाया। भगवान विष्णु ने अपनी शक्ति से देवी एकादशी को उत्पन्न किया। देवी एकादशी ने दैत्य मुर को पराजित कर धरती से उसका विनाश किया। तभी से, लोग एकादशी के दिन व्रत का पालन करते हैं।

एकादशी व्रत लिस्ट 2025 Pdf



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