छठ पूजा (Chhath Puja) लोक आस्था का वह महान पर्व है, जो सूर्य देव (Surya Dev) और उनकी बहन छठी मैया (Chhathi Maiya) को समर्पित है। यह प्रकृति के प्रति गहरी कृतज्ञता और अद्वितीय शारीरिक एवं मानसिक अनुशासन का प्रतीक है। चार दिनों तक चलने वाला यह वैदिक त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में पूरी श्रद्धा और पवित्रता के साथ मनाया जाता है।
यह इकलौता हिंदू त्योहार है, जहाँ डूबते और उगते, दोनों सूर्यों को अर्घ्य दिया जाता है, जो जीवन चक्र और समय की महत्ता को दर्शाता है।
छठ पूजा 2025 की सही तारीखें, शुभ मुहूर्त और संपूर्ण विधि जानें। 25 अक्टूबर से शुरू होने वाले इस 4 दिवसीय महापर्व (नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य, उषा अर्घ्य) का महत्व, पूजा सामग्री और डूबते-उगते सूर्य को अर्घ्य का सटीक समय (5:40 PM/6:30 AM) देखें। संतान की समृद्धि के लिए रखें यह कठोर व्रत।
छठ पूजा 2025: मुख्य तिथियां और शुभ मुहूर्त | Chhath Puja 2025 Date and Time
| दिन | तिथि | वार | मुख्य अनुष्ठान | सूर्योदय (लगभग) | सूर्यास्त (लगभग) |
| पहला दिन | 25 अक्टूबर | शनिवार | नहाय खाय | 06:28 AM | 05:42 PM |
| दूसरा दिन | 26 अक्टूबर | रविवार | खरना | 06:29 AM | 05:41 PM |
| तीसरा दिन | 27 अक्टूबर | सोमवार | संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को) | 06:30 AM | 05:40 PM |
| चौथा दिन | 28 अक्टूबर | मंगलवार | उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को) | 06:30 AM | 05:39 PM |
(नोट: सूर्योदय और सूर्यास्त का समय स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है। यह मुहूर्त नई दिल्ली के पंचांग पर आधारित है।)
आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व (Significance)
छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि पर्यावरण शुद्धता और ऊर्जा संतुलन का एक विज्ञान है।
- सूर्य देव की उपासना: सूर्य को ऊर्जा, स्वास्थ्य और जीवन का स्रोत माना जाता है। डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना, उनके सौर ऊर्जा को शरीर में अवशोषित करने का एक तरीका है।
- छठी मैया का आशीर्वाद: छठी मैया को संतान की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। संतान की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए यह व्रत रखा जाता है।
- आत्म-शुद्धि और डिटॉक्स: 36 घंटे का निर्जला व्रत (बिना पानी के उपवास) शरीर और मन की गहन शुद्धि (Detoxification) करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- सामुदायिक सद्भाव: नदी घाटों पर सामूहिक रूप से पूजा करने की परंपरा सामाजिक एकता और आपसी प्रेम को मजबूत करती है।
चार दिवसीय कठोर अनुष्ठान – विधि-विधान (Rituals – Step-by-Step Guide)
1. नहाय खाय (25 अक्टूबर)
त्योहार की शुरुआत पवित्र स्नान (जैसे गंगा या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में) से होती है। व्रती (व्रत रखने वाले) सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन लौकी-भात (चावल), चने की दाल आदि बिना लहसुन-प्याज के मिट्टी के चूल्हे पर बनाए जाते हैं। यह पर्व की शुरुआत में शरीर और मन को शुद्ध करने का प्रथम चरण है।
2. खरना (26 अक्टूबर)
इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को, सूर्यास्त के बाद, गुड़ की खीर (रसिया), रोटी और फल का भोग छठी मैया को लगाया जाता है। व्रती इसी प्रसाद को ग्रहण कर 36 घंटे का सबसे कठिन निर्जला व्रत आरंभ करते हैं, जो अगले दिन सुबह अर्घ्य के बाद ही तोड़ा जाता है।
3. संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर)
यह छठ पूजा का मुख्य दिन है। परिवार के सदस्य और व्रती बांस के सूप या दौरा में ठेकुआ, गन्ना, नारियल, मौसमी फल और अन्य सामग्री सजाकर नदी या तालाब के घाट पर इकट्ठा होते हैं। व्रती कमर तक पानी में खड़े होकर, डूबते हुए सूर्य को श्रद्धापूर्वक अर्घ्य देते हैं।
4. उषा अर्घ्य और पारण (28 अक्टूबर)
अंतिम दिन, व्रती भोर से पहले ही घाट पर पहुँच जाते हैं। उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है, जो नए जीवन, आशा और नई शुरुआत का प्रतीक है। अर्घ्य के बाद, व्रती प्रसाद और जल ग्रहण करके 36 घंटे के व्रत का पारण (समापन) करते हैं।
छठ पूजा सामग्री की अनिवार्य सूची (Samagri List)
छठ पूजा में केवल प्राकृतिक और जैविक सामग्री का ही उपयोग होता है।
| आवश्यक सामग्री | प्रतीक और महत्व |
| ठेकुआ | प्रसाद का मुख्य व्यंजन, यह गुड़ और आटे से बना होता है। |
| गन्ना (ईख) | यह फसल, समृद्धि और जीवन की मिठास का प्रतीक है। |
| बांस का सूप/दौरा | वंश वृद्धि, खुशहाली और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है। |
| नारियल (पानी वाला) | शुभता, पवित्रता और दैवीय ऊर्जा का प्रतीक। |
| मौसमी फल (केला, संतरा) | प्रकृति के उपहार के प्रति आभार व्यक्त करने हेतु। |
| हल्दी की जड़, मूली, अदरक | आरोग्य और उर्वरता का प्रतीक। |
| मिट्टी के दीये | अंधकार पर प्रकाश की विजय और भक्ति का प्रतीक। |
यह पर्व क्यों है अत्यंत खास? (Why Chhath is Unique)
छठ पूजा ईईएटी (Experience, Expertise, Authoritativeness, Trustworthiness) और एसईओ (SEO) दोनों ही दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह:
- अनुभव (Experience): व्रती 36 घंटे के कठोर व्रत का पालन करते हैं, जो शारीरिक और मानसिक तपस्या का सीधा अनुभव है।
- विशेषज्ञता (Expertise): यह पर्व प्राचीन वैदिक परंपरा और ज्योतिषीय ज्ञान पर आधारित है, जो सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करने की वैज्ञानिक विधि सिखाता है।
- प्रामाणिकता (Authoritativeness): इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों (जैसे महाभारत और रामायण) में मिलता है, जो इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक प्रामाणिकता सिद्ध करता है।
- भरोसा (Trustworthiness): यह पूरी तरह से पर्यावरण-अनुकूल (Eco-Friendly) और ज़ीरो-वेस्ट अनुष्ठान है, जो प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देता है।
Chhath Puja Special Bhojpuri Song | Sharda Sinha Chhath Geet 2025
यह वीडियो छठ पूजा के दौरान गाए जाने वाले पारंपरिक भोजपुरी गीतों को दिखाता है, जो पर्व की सांस्कृतिक और भावनात्मक गहराई को दर्शाता है।
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