🌙 चंद्र दर्शन क्या है?
चंद्र दर्शन अमावस्या के अगले दिन चंद्रमा के पुनः उदय और उनके प्रथम दर्शन की पावन परंपरा है। जैसे सूर्य के दर्शन शुभ और उर्जादायक माने जाते हैं, वैसे ही चंद्रमा के दर्शन भी मानसिक शांति, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करने वाले माने गए हैं।
अमावस्या की रात में जब चंद्रमा बिल्कुल दिखाई नहीं देता, तब उसके बाद के दिन आकाश में चंद्रमा की हल्की झलक को देखने का विशेष महत्व होता है। इसीलिए इस उत्सव को चंद्र दर्शन पर्व कहा जाता है।
📅 चंद्र दर्शन 2025 की तिथि और समय
भाद्रपद चंद्र दर्शन 2025
🗓️ तिथि – रविवार, 24 अगस्त 2025
⏰ समय – सायं 6:51 बजे से 7:29 बजे तक
👉 चंद्र दर्शन का महत्व तभी है जब इसे सूर्यास्त के बाद पहली बार देखा जाए।
🙏 चंद्र दर्शन की पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान और संकल्प – सुबह स्नान करके भगवान विष्णु, शिव और चंद्रमा का ध्यान करें।
- व्रत और संयम – अनेक भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और सूर्यास्त तक अन्न-जल का त्याग करते हैं।
- सूर्यास्त के बाद चंद्र दर्शन – जैसे ही चंद्रमा आकाश में दिखाई दें, जल, दूध और अक्षत (चावल) अर्पित करें।
- चंद्रमा को अर्घ्य – चाँदी या मिट्टी के पात्र में दूध व जल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- मंत्र जप – “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः”
इस मंत्र का 11 या 21 बार जप करने से मन शांत होता है और चंद्रमा की कृपा मिलती है। - दान-पुण्य – ब्राह्मणों को वस्त्र, चावल, चीनी, दूध, सफेद वस्तुएँ दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
🌟 चंद्र दर्शन का महत्व
- धन, सौभाग्य और समृद्धि – चंद्र देव को प्रसन्न करने से परिवार में सुख-शांति और आर्थिक उन्नति होती है।
- मानसिक शांति – चंद्रमा मन और भावनाओं का स्वामी है। पूजा से तनाव और चिंता दूर होती है।
- रोग मुक्ति – आयुर्वेद में चंद्रमा को शीतलता और औषधियों का अधिपति माना गया है।
- वैवाहिक सुख – मान्यता है कि चंद्रमा विवाहित जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ाते हैं।
- ज्योतिषीय महत्व – चंद्रमा जन्मकुंडली का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है। इसकी कृपा से व्यक्ति की सफलता और मानसिक संतुलन सुनिश्चित होता है।
📖 पौराणिक कथा
पुराणों में वर्णन है कि चंद्र देव का विवाह प्रजापति दक्ष की 27 कन्याओं (27 नक्षत्रों) से हुआ था। किंतु चंद्रमा को रोहिणी से विशेष स्नेह था। इससे अन्य पत्नियाँ दुखी होकर पिता दक्ष से शिकायत करने लगीं।
दक्ष ने चंद्र को शाप दिया कि वे क्षीण होकर लुप्त हो जाएँ। तब चंद्र देव ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें शाप से मुक्ति दिलाई और अपने मस्तक पर धारण किया। इसी कारण शिवजी का एक नाम चंद्रशेखर पड़ा।
इस कथा के अनुसार, चंद्रमा का क्षीण और पुनः पूर्ण होना शाप और वरदान दोनों का परिणाम है। अमावस्या के बाद चंद्रमा का पहला दर्शन इसीलिए शुभ माना जाता है।
🪔 संबंधित परंपराएँ और लोकमान्यताएँ
- कई क्षेत्रों में इसे “चांद देखना” पर्व भी कहा जाता है।
- महिलाएँ चंद्रमा को पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख के लिए देखती हैं।
- किसानों के लिए भी चंद्र दर्शन महत्वपूर्ण है क्योंकि चंद्रमा की गति और रोशनी का फसल और जलवायु पर सीधा प्रभाव होता है।
- कुछ स्थानों पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद घर में खीर या दूध से बनी मिठाई खाने की परंपरा है।
📌 2025 के आगामी चंद्र दर्शन तिथियाँ
- 23 सितम्बर 2025
- 23 अक्टूबर 2025
- 22 नवम्बर 2025
- 21 दिसम्बर 2025
✅ इस प्रकार, चंद्र दर्शन केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि खगोलीय और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।