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गणेश जी को हाथी का सिर क्यों मिला – पौराणिक कथा

By Admin

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बुधवार का दिन श्री गणेश का माना जाता है। इस दिन कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। श्रीगणेश माता पार्वती और शिवजी के बेटे हैं। हालांकि, इनके जन्म को लेकर कई तरह की कथाए हैं। वराहपुराण और शिवपुराण में विनायक के जन्म को लेकर दो अलग-अलग कथाए हैं।

गणेश जी को हाथी का सिर क्यों मिला – पौराणिक कथा

गणेश जी को हाथी का सिर क्यों मिला – पौराणिक कथा

वराहपुराण के मुताबिक भगवान शिव ने गणेशजी को पचंतत्वों से बनाया है। जब भगवान शिव गणेश जी को बना रहे थे तो उन्होंने विशिष्ट और अत्यंत रुपवान रूप पाया। इसके बाद यह खबर देवताओं को मिली। देवताओं को जब गणेश के रूप और विशिष्टा के बारे में पता लगा तो उन्हें डर सताने लगा कि कहीं ये सबके आकर्षण का केंद्र ना बन जाए। इस डर को भगवान शिव भी भांप गए थे, जिसके बाद उन्होंने उनके पेट को बड़ा कर दिया और मुंह हाथी का लगा दिया।

वहीं शिवपुराण में कथा इससे अलग है। इसके मुताबिक माता पार्वती ने अपने शरीर पर हल्दी लगाई थी, इसके बाद जब उन्होंने अपने शरीर से हल्दी उतारी तो उससे उन्होंने एक पुतला बना दिया। पुतले में बाद में उन्होंने प्राण डाल दिए। इस तरह से विनायक पैदा हुए थे। इसके बाद माता पार्वती ने गणेश को आदेश दिए कि तुम मेरे द्वार पर बैठ जाओ और उसकी रक्षा करो, किसी को भी अंदर नहीं आने देना।

कुछ समय बाद शिवजी घर आए तो उन्होंने कहा कि मुझे पार्वती से मिलना है। इस पर गणेश जी ने मना कर दिया और कहा कि खबरदार कोई भी अंदर नहीं जाएगा। शिवजी को नहीं पता था कि ये कौन हैं। इसके बाद दोनों में विवाद हो गया और उस विवाद ने युद्ध का रूप धारण कर लिया। इस दौरान शिवजी ने अपना त्रिशुल निकाला और गणेश का सिर काट डाला।

पार्वती को पता लगा तो वह बाहर आईं और रोने लगीं। उन्होंने शिवजी से कहा कि आपने मेरे बेटा का सिर काट दिया। शिवजी ने पूछा कि ये तुम्हारा बेटा कैसे हो सकता है। इसके बाद पार्वती ने शिवजी को पूरी कथा बताई। हालांकि, पार्वती भड़क जाती हैं और शिवजी पर गुस्सा करने लगती हैं। इसके बाद शिवजी ने पार्वती को मनाते हुए कहा कि ठीक है मैं इसमें प्राण डाल देता हूं, लेकिन प्राण डालने के लिए एक सिर चाहिए। इस पर उन्होंने अपने गणों से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और वहां कोई भी प्राणी मिले उसका सिर ले जाओ। वहां उन्हें भगवान इंद्र का हाथी एरावत मिलता है और वे उसका सिर ले आए। इसके बाद भगवान शिवजी ने गणेश के अंदर प्राण डाल दिए। इस तरह श्रीगणेश को हाथी का सिर लगा।

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