बुध प्रदोष व्रत (Budha Pradosh Vrat) 2025

बुध प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पुण्य व्रत है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि के प्रदोष काल में किया जाता है। इस दिन की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

प्रदोष व्रत क्या है?

प्रदोष व्रत तब होता है जब त्रयोदशी तिथि का प्रदोष काल (संध्या समय) किसी विशेष दिन से मेल खाता है।

  • सप्ताह के अनुसार प्रदोष व्रत:
    • सोमवार → सोम प्रदोष
    • मंगलवार → भौम प्रदोष
    • बुधवार → बुध प्रदोष
    • गुरुवार → गुरु प्रदोष
    • शुक्रवार → शुक्र प्रदोष
    • शनिवार → शनि प्रदोष
    • रविवार → रवि प्रदोष

त्रयोदशी तिथि ही भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। परंतु प्रदोष काल में पूजा करना विशेष लाभदायक होता है।

ध्यान देने योग्य: प्रदोष व्रत समय शहर के सूर्यास्त समय पर निर्भर करता है। इसलिए एक ही देश के दो शहरों में यह व्रत अलग समय पर हो सकता है। कभी-कभी प्रदोष व्रत द्वादशी तिथि पर ही प्रारंभ हो जाता है

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बुध प्रदोष व्रत कब है?

  • भाद्रपद कृष्ण प्रदोष व्रत: बुधवार, 20 अगस्त 2025 (दिल्ली)
  • प्रदोष काल: 6:56 PM से 9:07 PM
  • भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तिथि: 20 अगस्त 2025 1:58 PM – 21 अगस्त 2025 12:44 PM

इस व्रत को अपने शहर के सूर्यास्त समय के अनुसार ही करना चाहिए।

प्रदोष व्रत में क्या करना चाहिए?

पूजा की सामग्री

पूजा की थाली में निम्नलिखित सामग्री रखें:

  • अबीर, गुलाल, चंदन
  • काले तिल, फूल, धतूरा
  • बिल्वपत्र, शमी पत्र, जनेऊ, कलावा
  • दीपक, कपूर, अगरबत्ती, फल

व्रत की विधि

  1. त्रयोदशी के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठें
  2. नित्यकर्मों के बाद भगवान भोलेनाथ का स्मरण करें।
  3. पूरे दिन उपवास रखें।
  4. सूर्यास्त से एक घंटा पूर्व स्नान करके श्वेत वस्त्र धारण करें।
  5. पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें और मंडप तैयार करें।
  6. पांच रंगों की रंगोली से मंडप सजाएँ।
  7. कुशा का आसन बिछाकर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिव पूजन करें।
  8. मंत्र “ऊँ नम: शिवाय” का जाप करते हुए जल अर्पित करें

प्रदोष व्रत का महत्व और महिमा

  • प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान देने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
  • कठिन समय में त्रयोदशी का व्रत रखने वाला व्यक्ति शिव की कृपा से जन्म-जन्मान्तर के कर्मों से मुक्त हो जाता है।
  • व्रत करने वाला मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होता है और उत्तम लोक प्राप्त करता है।

वार अनुसार प्रदोष व्रत फल

वारव्रत फल
रविवारआयु वृद्धि और आरोग्य
सोमवारमन: शांति, सभी मनोरथ सफल
मंगलवारऋण मोचन और स्वास्थ्य लाभ
बुधवारसभी कामनाओं की पूर्ति
गुरुवारशत्रु विनाश, पित्र तृप्ति, भक्ति वृद्धि
शुक्रवारसौभाग्य और दाम्पत्य सुख-शांति
शनिवारसंतान प्राप्ति

प्रदोष व्रत का उद्यापन

  • व्रत को 11 या 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद उद्यापन किया जाता है।
  • उद्यापन से पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है।
  • प्रातः मंडप सजाकर ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नमः’ मंत्र 108 बार जाप करते हुए हवन करें।
  • हवन में खीर का आहूति दें।
  • अंत में दो ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और दान-दक्षिणा दें।

स्कन्द पुराण में प्रदोष व्रत

॥ सूत उवाच ॥
साधु पृष्टं महाप्राज्ञा भवद्भिर्लोकविश्रुतैः ॥
अतोऽहं संप्रवक्ष्यामि शिवपूजाफलं महत् ॥४॥
त्रयोदश्यां तिथौ सायं प्रदोषः परिकीर्त्तितः ॥
तत्र पूज्यो महादेवो नान्यो देवः फलार्थिभिः ॥५॥
प्रदोषपूजामाहात्म्यं को नु वर्णयितुं क्षमः ॥
यत्र सर्वेऽपि विबुधास्तिष्ठंति गिरिशांतिके ॥६॥
प्रदोषसमये देवः कैलासे रजतालये ॥
करोति नृत्यं विबुधैरभिष्टुतगुणोदयः ॥७॥
अतः पूजा जपो होमस्तत्कथास्तद्गुणस्तवः ॥
कर्त्तव्यो नियतं मर्त्यैश्चतुर्वर्गफला र्थिभिः ॥८॥
दारिद्यतिमिरांधानां मर्त्यानां भवभीरुणाम् ॥
भवसागरमग्नानां प्लवोऽयं पारदर्शनः ॥९॥
दुःखशोकभयार्त्तानां क्लेशनिर्वाणमिच्छताम् ॥
प्रदोषे पार्वतीशस्य पूजनं मंगलायनम् ॥३.३.६.१०॥

स्कन्दपुराणम्/खण्डः ३ (ब्रह्मखण्डः)/ब्रह्मोत्तर खण्डः/अध्यायः ६

इसमें बताया गया है कि प्रदोष व्रत अत्यंत मंगलकारी है और सभी दुखों का निवारण करता है

बुध प्रदोष व्रत के लाभ

  • सर्व मनोकामना पूर्ण होती है।
  • जीवन में शांति, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त होती है।
  • कठिन समय में शिव की कृपा बनी रहती है।

संबंधित जानकारियाँ (Related Information)

अगले प्रदोष व्रत (Upcoming Pradosh Vrats 2025)

तारीखव्रत का प्रकार
20 August 2025बुध प्रदोष व्रत
5 September 2025प्रदोष व्रत
19 September 2025प्रदोष व्रत
4 October 2025प्रदोष व्रत
18 October 2025प्रदोष व्रत
3 November 2025प्रदोष व्रत
17 November 2025प्रदोष व्रत
2 December 2025प्रदोष व्रत
17 December 2025प्रदोष व्रत

व्रत की आवृत्ति और अवधि

  • आवृत्ति: अर्ध मासिक
  • समय: 1 दिन
  • शुरुआत तिथि: त्रयोदशी
  • समाप्ति तिथि: त्रयोदशी
  • महीना: प्रत्येक त्रयोदशी

मंत्र और भक्ति

  • मंत्र: ॐ नमः शिवाय, बोल बम, बम बम, बम बम भोले, हर हर महादेव
  • कारण: भगवान शिव का पसंदीदा दिन
  • उत्सव विधि: व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, गौरी-शंकर मंदिर में पूजा, रुद्राभिषेक

महत्वपूर्ण स्थान

  • सभी ज्योतिर्लिंग
  • ऋषिकेश
  • पशुपतिनाथ
  • स्थानीय श्री शिव मंदिर
  • घर में पूजा स्थल

पिछले प्रदोष व्रत (Past Pradosh Vrats)

तारीखव्रत का प्रकार
6 August 2025बुध प्रदोष व्रत
22 July 2025भौम प्रदोष व्रत
8 July 2025भौम प्रदोष व्रत
23 June 2025सोम प्रदोष व्रत
8 June 2025रवि प्रदोष व्रत
24 May 2025शनि प्रदोष व्रत
9 May 2025शुक्र प्रदोष व्रत
25 April 2025शुक्र प्रदोष व्रत
10 April 2025गुरु प्रदोष व्रत
27 March 2025गुरु प्रदोष व्रत
11 March 2025भौम प्रदोष व्रत
25 February 2025भौम प्रदोष व्रत
9 February 2025रवि प्रदोष व्रत
27 January 2025सोम प्रदोष व्रत
11 January 2025शनि प्रदोष व्रत
28 December 2024शनि प्रदोष व्रत
13 December 2024शुक्र प्रदोष व्रत
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