Varsha Ritu Par Anuched in Sanskrit | वर्षा ऋतु पर संस्कृत अनुच्छेद

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Varsha Ritu Par Anuched – वर्षा ऋतू पर अनुछेद

वर्षा ऋतू – वर्षा वर्णनम्

वर्षाकाल सुखकरः भवति । अस्मिन् काले विशेषतया कृषकाः प्रसन्नाः भवन्ति । ते कृषिकार्य कुर्वन्ति । अस्मिन् काले आकाशे मेघाः भवन्ति । नभः मेघाछन्नम् भवति । ग्रीष्मकालस्य आतपस्य शान्तिः भवति । सरः जलपूर्णं भवति । पन्थाः कर्दमपूर्णाः नवैः हरितैः तृणैः पृथ्वी आच्छन्ना भवति । मंडूकाः जलाशयेषु गीतं गायन्ति । नभसि इन्द्रधनुः अतीव रमणीयम् दृश्यते । नद्यः जलपूर्णाः प्रवाहपूर्णाश्च भवन्ति ।

हिन्दी अनुवाद :

वर्षाकाल सुखकारी होता है। इस समय में विशेषकर किसान प्रसन्न होते हैं। वे कृषिकार्य करते हैं। इस समय में आकाश में मेघ (बादल) होते हैं। आकाश मेघ से छाए होते हैं। (बादल छाए होते हैं) गर्मी काल के धूप की शान्ति होती है। तालाब में जल भरे होते हैं। रास्ता कर्दपूर्ण (धान) से नयी हरी घास से धरती बिछी होती है। मेढक जलों में गीत गाते हैं। आकाश में इन्द्रधनुष बहुत रमणीय (सुन्दर) दिखते हैं। नदीयाँ जलपूर्ण (जल से भरा) और प्रवाहपूर्ण (धारापूर्ण) होती हैं।

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