भारतीय संस्कृति में नवजात शिशु के स्वागत के लिए कई पारंपरिक विधियाँ और मंत्र होते हैं जो उसकी स्वास्थ्य, दीर्घायु, और समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं।शिशु के जन्म के समय उसे शुभ आशीर्वाद देने और उसकी सुरक्षा की कामना करने के लिए विशेष मंत्र और श्लोकों का उपयोग किया जाता है। ये मंत्र शिशु के जीवन को सुखद, समृद्ध और निरोग बनाने के लिए प्राचीन विद्या और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित होते हैं।
इस लेख में, हम नवजात शिशु की देखभाल और आशीर्वाद देने की पारंपरिक विधियों और मंत्रों को विस्तार से जानेंगे, जो शिशु के सुखद और स्वस्थ जीवन की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण हैं।
नवजात शिशु के स्वागत के लिए शास्त्रीय श्लोक और मंत्र :स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना
1. नवजात शिशु के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए:
शिशु के जन्म के समय और उसके बाद की देखभाल के लिए प्राचीन शास्त्रों में कई श्लोक और मंत्र दिए गए हैं जो शिशु को शुभ स्वास्थ्य, दीर्घायु और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण श्लोक और मंत्र हैं:
2. शिशु की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए | Shlok for Newborn Baby in Hindi
‘अंगादंगात्सम्भवसि हृदयादभिजायसे।
आत्मा वै पुत्रनामाऽसि सञ्जीव शरदां शतम्।
शतायुः शतवर्षोऽसि दीर्घमायुरवाप्नुहि।
नक्षत्राणि दिशो रात्रिरहश्च त्वाऽभिरक्षतु।’
अर्थ:
“हे बालक! तुम मेरे अंग-अंग से उत्पन्न हुए हो और मेरे हृदय से उत्पन्न हुए हो। तुम मेरी आत्मा हो किंतु पुत्र नाम से पैदा हुए हो। तुम सौ वर्षों तक जीयो। तुम शतायु होओ, सौ वर्षों तक जीनेवाले होओ। तुम दीर्घायु को प्राप्त करो। सभी नक्षत्र, दसों दिशाएँ दिन-रात तुम्हारी चारों ओर से रक्षा करें।”
3. शिशु की सुरक्षा और समृद्धि के लिए:
‘ॐ अश्मा भव। तू चट्टान की तरह अडिग रहनेवाला बन।
ॐ परशुः भव। विघ्न-बाधाओं को, प्रतिकूलताओं को ज्ञान के कुल्हाड़े से काटनेवाला बन।
ॐ हिरण्यमयस्त्वं भव। तू सुवर्ण के समान चमकनेवाला बन।
यशस्वी भव। तेजस्वी भव। सदाचारी भव। तथा समाज, कुल, घर व स्वयं के लिए भी शुभ फलदायी कार्य करनेवाला बन।’
4. शिशु की शुभ शुरुआत के लिए:
‘ॐ चन्द्राय नमः।
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ गणेशाय नमः।
ॐ देवी भगवती नमः।’
अर्थ:
“हे चंद्रमा, सूर्य, गणेश और देवी भगवती! इस नवजात शिशु को आशीर्वाद दें और उसके जीवन को शुभ और सफल बनाएं।”
5. शिशु की शांति और सुख के लिए:
‘सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
माकश्चित् दुखभाग्भवेत्।’
अर्थ:
“सभी सुखी हों। सभी निरोग हों। सभी भलाई देखें। कोई भी दुखी न हो।”
6. शिशु के लिए शुभ आशीर्वाद:
‘गायत्री मंत्र:
ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत्सवितुः वरिण्यम्।
भर्गो देवस्य धीमहिः।
धियो यो नः प्रचोदयात्।’
अर्थ:
“हे भगवान! आप हमारे मन को शुद्ध करें और हमें ज्ञान और प्रकाश प्रदान करें।”
इन मंत्रों और श्लोकों का उच्चारण नवजात शिशु के स्वास्थ्य, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए किया जाता है। यह शिशु को मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी सशक्त बनाते हैं।
निष्कर्ष
नवजात शिशु का स्वागत करते समय इन श्लोकों और मंत्रों का उच्चारण करने से शिशु के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, और सुख का संचार होता है। यह प्राचीन विद्या और सांस्कृतिक मान्यताओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो शिशु की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए आवश्यक हैं। माता-पिता और परिवार के सदस्य इन मंत्रों का उच्चारण करके अपने नवजात के प्रति अपनी शुभकामनाएँ प्रकट कर सकते हैं।
इन मंत्रों और श्लोकों का उपयोग शिशु के स्वागत के साथ-साथ उसके स्वास्थ्य, खुशहाली, और समृद्धि की कामना के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।