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हरतालिका तीज 2025: तिथि, पूजा विधि, कथा और महत्व

By Admin

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🗓️ हरतालिका तीज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में सुहागिन औरतें अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं।

  • तिथि प्रारंभ: 27 अगस्त 2025, सुबह 06:15 बजे से
  • तिथि समाप्त: 28 अगस्त 2025, सुबह 08:05 बजे तक
  • व्रत दिनांक: 27 अगस्त 2025 (बुधवार)
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातःकाल और सायंकाल व्रती स्त्रियों द्वारा पूजा-अर्चना करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
हरतालिका तीज 2025 तिथि, पूजा विधि, कथा और महत्व

🙏 हरतालिका तीज व्रत का महत्व

हरतालिका तीज का संबंध माता पार्वती और भगवान शिव से है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके शिवजी को अपने पति रूप में प्राप्त किया था। इस व्रत को करने वाली महिलाएँ माता पार्वती के समान अखंड सौभाग्यवती होती हैं।

  • यह व्रत निर्जला (बिना जल पिए) और निराहार (बिना भोजन किए) किया जाता है।
  • यह व्रत केवल विवाहित महिलाएँ ही नहीं, बल्कि अविवाहित कन्याएँ भी करती हैं ताकि उन्हें मनचाहा वर प्राप्त हो सके।
  • माना जाता है कि इस दिन किया गया व्रत कष्ट हरने वाला और सौभाग्य देने वाला होता है।

🌿 हरतालिका तीज पूजा विधि

हरतालिका तीज की पूजा मुख्य रूप से पारंपरिक और भक्ति भाव से की जाती है।

  1. व्रत का संकल्प
    सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनकर माता पार्वती और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  2. मूर्ति स्थापना
    रेत, मिट्टी या लकड़ी से भगवान शिव-पार्वती और गणेशजी की प्रतिमा बनाकर स्थापित करें।
  3. श्रृंगार का महत्व
    सुहागिन स्त्रियाँ 16 श्रृंगार करके माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करती हैं। इसमें चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, साड़ी, बिछिया आदि शामिल होते हैं।
  4. व्रत कथा श्रवण
    हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनना और सुनाना अनिवार्य माना गया है।
  5. भजन-कीर्तन
    रात्रि जागरण किया जाता है और भक्ति गीतों से वातावरण को मंगलमय बनाया जाता है।
  6. व्रत पूर्णता
    अगले दिन प्रातःकाल भगवान शिव-पार्वती की पूजा करके ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान देकर व्रत का समापन करें।

📖 हरतालिका तीज की कथा

हरतालिका तीज की कथा का संबंध माता पार्वती और भगवान शिव से है।

एक बार नारदजी ने पार्वतीजी के पिता हिमवान को बताया कि उनकी पुत्री के लिए भगवान विष्णु उचित वर हैं। विवाह की तैयारी होने लगी। लेकिन जब पार्वतीजी को इसका पता चला तो उन्होंने अपनी सहेलियों को साथ लेकर घने जंगल में जाकर कठोर तपस्या प्रारंभ कर दी।

उन्होंने कई दिनों तक निर्जल और निराहार रहकर शिवजी की आराधना की। उनकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से यह व्रत सुहागिनों के लिए अखंड सौभाग्य और अविवाहित कन्याओं के लिए उत्तम वर प्राप्ति का व्रत माना जाता है।

हरतालिका तीज व्रत कथा

🌺 हरतालिका तीज का महत्व

  • यह व्रत अखंड सौभाग्य प्रदान करता है।
  • इससे वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
  • अविवाहित कन्याओं को योग्य पति की प्राप्ति होती है।
  • दांपत्य जीवन में आने वाले संकट और बाधाएँ दूर होती हैं।
  • यह व्रत स्त्रियों को मानसिक दृढ़ता और आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।

🌍 क्षेत्रीय मान्यताएँ और उत्सव

  • उत्तर भारत: उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश में यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
  • राजस्थान: महिलाएँ नई साड़ी पहनकर झूले झूलती हैं और तीज माता के गीत गाती हैं।
  • बिहार और झारखंड: महिलाएँ रात्रि भर जागरण करती हैं और शिव-पार्वती की विशेष आराधना करती हैं।
  • उत्तर प्रदेश: गाँव-गाँव में तीज के मेले लगते हैं और श्रृंगार की सामग्रियों की विशेष खरीददारी होती है।

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