महाज्ञानी शुकदेव

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महाज्ञानी शुकदेव


वेदव्यास जो महाभारत तथा अन्य पुराणों के प्रणेता हैं, उस मुनि के पुत्र शुकदेव हैं। शुकदेव महान विद्वान तथा प्रबुद्ध पंडित थे। उन्होंने शुकदेव को सब कुछ सिखाया था। एक दिन वेदव्यास ने शुकदेव से कहा ‘हे पुत्र!’ मैं ने तुम्हें सब कुछ सिखाया जो मैं जानता था। अब मैं तुम्हें मिथिला नरेश जनक के पास भेजूंगा। शुकदेव ने पूछा ‘आप मुझे जनक के पास क्यों भेज रहे हो?’ वेदव्यास ने कहा ‘ये तुम्हें ब्रह्म विद्या सिखायेगे ।’ जनक महाराज शासक होने पर भी वे एक मुनि है। वे सांसारिक वंधनों से मुक्त रहते हैं। तपोबल के कारण जनक को मालूम था कि शुकदेव उनके पास आयेंगे। उन्होंने अपने सिपाहियों को बुलाकर कहा ‘हे

सैनिकों! शुकदेव यहाँ आनेवाले हैं। किसी को भी उन्हें स्वागत या सम्मान देने की आवश्यकता नहीं है।’ शासक के आदेश को सुनकर सभी आश्चर्यचकित हुए।

महाज्ञानी शुकदेव

शुकदेव राजभवन में आये। किसी ने उनका स्वागत नहीं किया । किसी ने उनसे बातचीत तक नहीं की। शुकदेव पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे तीन दिनों तक विना व्याकुल हुए भवन के द्वार पर आरम से बैठे रहे। चौथे दिन को स्वयं शासक अपने सैनिक तथा मंत्रियों सहित शुकदेव के पास आये तथा उनका स्वागत किया। उनका सम्मान इसलिए किया गया था कि वे महान श्रेष्ठ मुनि थे।

कुछ दिन ऐसे ही बीत गये। शुकदेव कभी व्याकुल नहीं हुए। ये जब नजरंदाज किये गये तव भी दुःखी नहीं हुए और आदर के समय इतना संतुष्ट भी नहीं। दसवें दिन उन्हें संगीत एंव नृत्य से मनोरंजन किया गया था। मनोरंजन के दौरान राजा ने एक कटोरी में दूध भरकर शुकदेव को दिया तथा कहा कि ‘हे शुकदेव वत्स ! तुम को इसे लेकर पूरे कमरे में सात बार घूमकर आना होगा, लेकिन याद रखना, एक बूँद दूध को भी नीचे गिराना नहीं चाहिए। शुकदेव के लिए यह असंभव कार्य नहीं था। वह भले ही छोटा बालक था, लेकिन बड़ा ज्ञानी था। मनोरंजन का संगीत या नृत्य उसे बेचैन करनेवाले उपाय नहीं थे। शुकदेव ने बड़ी आसानी से अपने काम को पूरा किया। शुकदेव ने एक बूंद दूध भी नीचे नहीं गिराया। जनक महाराज बहुत संतुष्ट हुए। उन्होंने शुकदेव से कहा हे वत्स! में ने जितनी परीक्षायें आप पर चलाया, उनसे पता चला कि आप पहले से ही ब्रह्मज्ञानी हो। मेरे पास आप को सिखाने के लिए कुछ नयी बात नहीं रही। ब्रह्मज्ञान का अर्थ होता है सांसारिक बंधनों से मुक्त रहने की शाक्ति रखना। तुमने उसे पहले से ही प्राप्त कर लिया।

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