भक्तों के लिए सेवा
हयन चुडि नामक एक गाँव में मारन नामक एक शिव भक्त रहा करता था। भगवान शिव के वे अनन्य भक्त थे। उसके पास जितने भी भक्त आते वे सबको खाना खिलाते थे ।
वह खाना खिलाते समय सच्चे शिव भक्त तथा शिव के नाम पर ढोंग करने वालों में कोई भेद नहीं रखता था। एक दिन मारन के घर
बहुत सारे भक्त एक साथ आये जो अपने आपको शिव भक्त कहकर ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप कर रहे थे। मारन ने उन सबको स्नान करके अतिथि बनने की प्रार्थना की।
इससे पहले उसने अपनी सारी संपत्ति शिवभक्तों को खिला खिलाकर खर्च कर दिया था। उसने अपने सेवकों से ऐसा कहा था ‘मेरे पास अब पैसा नहीं है। में दरिद्र वन गया हूँ। मैं आपको पैसा दे नहीं सकता। आप सभी मेरे वहाँ काम करना बंद कर दो।”
वह लगातार शिव भक्तों को खिलाता गया। उसने अपनी पत्नी के सारे आभूषण बेच डाले, रसोई के सारे वर्तन बेच डाले और उसकी जगह मिट्टी के वर्तन इस्तेमाल करने लगा ।
एक दिन मूसलादार वर्षा हो रही थी और भगवान शिव अपने शिष्य की परीक्षा लेना चाह रहा था।
एक भक्त मारन के घर भीगकर आया। उसने मारन को घर आकर कहने लगा ‘में बहुत भूखा हूँ। में भीग गया हूँ। मुझे लगा कि मुझे आपके घर में निस्संदेहपूर्वक खाना मिलेगा ।
मारन ने अतिथि को घर में बुलाया। मारन की पत्नी ने मारन से कहा कि खाना बनाने के लिए धान्य विलकुल ही नहीं है। मारन ने पत्नी से कहा ‘आज मैंने चावल के बीज बोये हैं, देखकर आऊँगा कि धान उग आयें हैं कि नहीं, तुम चिन्ता मत करो।’ मारन ने खेत से धान ला दिये । फिर घर में चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी नहीं था। मारन ने पनी से कहा- तुम धान कूटकर चावल बनाओ। मैं घर के छत से कुछ लकड़ी खींच निकालकर तुम्हें चूला जलाने के लिए दूँगा। मारन की पत्नी ने खाना बनाया। मारन अतिथि को बुलाने के लिए गया, लेकिन अतिथि वहीं नहीं था। बाहर वर्षा ही रही थी, उसी वारिश में अतिथि को ढूँढते
मारन घर से चाहर निकला। मारन ने सोचा ‘अतिथि ने हमारी कमजोरी एवं दरिद्रता को पहचान लिया होगा और इसलिए निकल गया होगा।’
मारन को अतिथि दिखाई नहीं दिया। वह निराश और चिन्ताग्रस्त होकर घर वापस लौटा। मारन और उसकी पत्नी विना खाये चिन्तामग्न हो बैठ गये। तभी अचानक भगवान शिव उनके सामने प्रत्यक्ष हुए। उन्होंने कहा ‘में ही वृद्ध के रूप में आपकी परीक्षा लेने आया था। मेरे भक्तों के प्रति तुम्हारी जो श्रद्धा है, वह प्रशंसनीय है। तुम्हारे घर में मेरे असंख्य भक्तों को खिलाने के लिए आवश्यकतानुरूप धान उपलब्ध रहेगा। तुम्हारे और तुम्हारी पत्नी के प्रति मेरे आशीर्वचन सदा रहेंगे।
मास्न और उसकी पत्नी ने ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय का उधारण करते हुए भगवान किए। अपने साष्टांग नमस्कार प्रस्तुत