नारायण मंत्र का प्रभाव
एक बार नारद मुनि, विष्णु के पास आये, नमन किया तथा एक प्रश्न भगवान से पूछा ‘हे विश्व के विधाता ! जगन्नाथ! आपके सारे भक्तगण आपका नामोच्चारण निरंतर मंत्र की भांति करते रहते हैं।
उसकी महानता, माहात्मयम् का कृपया विवरण दीजिए। तब श्री महाविष्णु ने नारद से कहा ‘आप किसी भी प्राणी के कान में मेरा नाम ‘नारायण’ कहकर देखो कि उसके उच्चारण से क्या होता है?”
इसे सुनकर नारद ने अपना रास्ता पकड़ लिया। मार्ग में नारद को एक कीड़ा दिखाई दिया। नारद ने उसके कानों में लगातार नारायण’ नाम का उच्चारण किया। ‘नारायण’ नाम सुनते ही कीड़ा मर गया। नारद जी को यह बुरा लगा। लेकिन रास्ता मोलते चले। थोड़ी दूर जाने के बाद उनको फूल पर मंडराती एक तितली दिखाई दी। नारद जी ने कानों में दो बार ‘नारायण’ नाम का उच्चारण किया। नाम को सुनते ही तितली भी चल बसा। नारद जी चलते चले। थोड़ा चलने के बाद उनको हिरण का एक नवजात शिशु दिखाई दिया। नारद ने उसके कानों में भी ‘नारायण’ का मंत्र जाप किया। मृग शिशु भी मर गया।
नारद मुनि सीधे श्रीमहाविष्णु के पास गये और उनको हर किस्सा पूरे विस्तार के साथ सुनाया। मुनि ने ऐसा कहा हे भगवान! में ने जैसे ही आपका नाम सुनाया, तैसे ही कीड़ा, तितली तथा हिरण का नवजातशिशु ने मृत्यु को प्राप्त किया। में इस प्रकार मासूम प्राणियों की हत्या नहीं कर सकता। उस पाप को में दो नहीं सकता। कृपया आपके नाम मंत्र के उच्चारण के परिणाम तथा उसके माहात्य को सीधे सीधे मुझे वता दीजिए।

भगवान ने मुनि से कहा आप अंतिम बार प्रयास करके इस नाम का उच्चारण कीजिए। देखिए उधर एक गोवत्स अपनी माँ के पास खड़ा है। आप इस मंत्र को उसके कानों में सुनाइए ।’ मुनि ने भगवान के वचनों का पालन किया। नारायण का मंत्रोच्चारण करते ही गोवत्स भी बयास्वान मर गया ।
भगवान ने नारद मुनि से एक बात कही ‘हे मुनीन्द्र ! यह अंतिम बार है। वारणासी के राजा को अभी अभी पुत्र पैदा हुआ। आप जाकर इस मंत्र को उसके कानों में पहुँचाओ।’ नारद मुनि राजा के पास गये। राजा ने बड़े सम्मान के साथ मूनि का स्वागत किया। राजा ने कहा – में बहुत भाग्यशाली हूँ। अभी अभी मुझे पुत्र पैदा हुआ, आप कृपया उसे आशीर्वाद दो ।’
नारद मुनि ने नवजात शिशु के कानों में ‘नारायण’… ‘नारायण’… ‘नारायण’ का नाम लिया। आश्चर्य की बात है कि, जैसे ही ‘नारायण’ का नाम लिया, नवजातशिशु एकाएक बोलने लगा। यथा
‘हे महर्षि! तुम्हें मेरा नमस्कार! क्या अब आपको नारायण नाम मंत्र का माहात्य मालूम हुआ? उसने आगे कहा में ही कोड़ा था। जैसे ही में ने नारायण मंत्र को सुना, मैं मर गया, मैं ने तितली का जन्म लिया, उसके बाद हिरण का और उसके बाद गोवत्स का। अब अंततोगत्वा मुझे मानव की योनी मिली और मैं ने राजा के परिवार में जन्म लिया। यह सभी ‘नारायण’ महामंत्र के कारण ही हुआ। यही इस पवित्र मंत्र की महानता है।