नमकहराम कुत्ता
एक जंगल में अग्रप्रभा नामक मुनि एक छोटे कुटीर में रहा करते थे। उनके साथ जंगली जानवर भी किसी को नुकसान पहुँचाये बिना रहा करते थे। उसी आश्राम में एक पालतू कुत्ता भी रहता था ।
एक दिन कुत्ता जंगल के अंदर चला गया। उसे एक चीता पीछा करने लगा। किसी प्रकार वह कुत्ता भाग निकलकर मुनि के आश्रम में पहुँचा। उसने मुनि से प्रार्थना की ‘हे मुनि! मेरी रक्षा करो, एक चीता मुझे मारने के लिए मेरा पीछा कर रहा है।
मुनि ने उस कुत्ते को बचाने के लिए उस कुत्ते को अपने तपोबल से चीता के रूप में बदल दिया, तथा उससे कहा ‘अब तुम सुरक्षित हो ना?’
एक और चीता को पाकर, वह चीता जंगल में वापस लौट गया । जो चीता नये सिरे से रूप धारण किया वह जंगल में आराम से बिना भय के घूमने लगी ।

इस चीता ने पुनः मुनि के पास जाकर प्रार्थना की कि वे उसे बाघ में बदल दें। एक जंगली शेर इस शेर को देखकर वापस चला गया ।
एक दिन यह पालतू कुत्ता बाघ में परिणत हुआ, उसने एक बडे हाथी को अपनी ओर आते हुए देखा। भय खाकर वह पुनः मुनि के पास गया।
मुनि ने फ़िर से बाघ को हाथी में बदल दिया। जंगल के सभी जानवर इस कुत्ता शेर से भय खाने लगे। उसके कारण कुत्ता शेर बहुत गर्वीला जानवर बन गया। उसके मन में एक बुरी सोच पनपी । वह ऐसा था ‘मैं अब इस जंगल का राजा हूँ। मुनि के पास तपोशक्ति है। वह मुनि, मुझ जैसे किसी अन्य प्राणी को भी मेरी तरह शेर में बदलने की शक्ति रखता है। तब मेरा शत्रु सामने आ जायेगा। उसके कारण मैं हीन हो जाऊँगा। मुझे अपने स्थान को बनाये रखने के लिए, उस मुनि को मार डालना है ।’
मुनि ने अपने तपोबल से शेर की कुत्सित सोच को जान लिया था। मुनि ने शेर को पुनः कुत्ते के रूप में यह कहते हुए बदल दिया ‘तुम ! नमक हरामी हो, तुम को कुत्ते के अलावा और कोई शरीर जंचता नहीं है।’