मकर संक्रांति, जो हिन्दू पंचांग में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मनाया जाता है, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। इस दिन सूर्य देव अपने उत्कृष्ट स्थान पर पहुंचते हैं और मकर संक्रांति को ‘उत्तरायण’ के रूप में जाना जाता है।
इस अद्वितीय अवसर पर, यहां पर हमने मकर संक्रांति समंधित १५ संस्कृत श्लोक (Makar Sankranti Sanskrit Shlok) शेयर किया हे, जो आप अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर करके उन्हें मकर संक्रांति की बधाई दे सकते हैं।
मकर संक्रांति पर संस्कृत श्लोक | Makar Sankranti Wishes in Sanskrit
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं संस्कृत में
मकरसंक्रांतिशुभाशयाः।
अर्थ : “मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ” या “मकर संक्रांति की शुभेच्छाएँ”।
Shlok #1 Makar Sankranti Sanskrit Shlok
सूर्यदेवाय नमः। शीतायाः शिशिरकालस्य समाप्तिः, मकरसंक्रान्तिः शुभाषयाः।
इस श्लोक का अर्थ है:
“सूर्य देव, हम आपको प्रणाम करते हैं। ठंडे मौसम के समाप्त होने का समय, मकर संक्रांति, आपको शुभकामनाएँ।”
#Shlok 2 मकर संक्रांति पर संस्कृत श्लोक
तिलगुडं आच्छाद्य, पतंगं पतंगयुधं सहितं, भोगी भाग्यं देहि।
इस वाक्य का अर्थ है:
“तिल और गुड़ का मिश्रण लेकर, पतंग को साथ में लेकर, भोगी को भाग्य दें।”
Shlok #3 Makar Sankranti Sanskrit Shlok
तिलवत् स्निग्धं मनोऽस्तु वाण्यां गुडवन्माधुर्यम्।
तिलगुडलड्डुकवत् सम्बन्धेऽस्तु सुवृत्तत्त्वम्।।
भावार्थः
मकर संक्रांति के अवसर पर, तिल की तरह हमारा मन सभी के प्रति स्नेहपूर्ण रहे, गुड़ की भाँति हमारे शब्दों में मिठास हो, और लड्डू में तिल और गुड़ की दृढ़ एकता के साथ, हमारे संबंध मजबूत और समृद्धि के साथ बने रहें।
Shlok #4 मकर संक्रांति श्लोक
भारतीयानां सुप्रभातं कुरु, मकरसंक्रान्तिः सर्वेभ्यः।
Shlok #5 मकर संक्रांति संस्कृत संपूर्ण श्लोक
यथा भेदं’ न पश्यामि शिवविष्ण्वर्कपद्मजान्।
तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकर: शंकर: सदा।।
तिलवत् स्निग्धं मनोऽस्तु वाण्यां गुडवन्माधुर्यम्।
तिलगुडलड्डुकवत् सम्बन्धेऽस्तु सुवृत्तत्त्वम्।।
नमोऽसत विद्यावितताय चक्रिणे।
समस्तधीस्थानकृते सदा नमः।।
उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।
मकरसंक्रांतिशुभाशयाः।
सहस्रकिरणोज्ज्वल। लोकदीप नमस्तेऽस्तु नमस्ते कोणवल्लभ।।
भास्कराय नमो नित्यं खखोल्काय नमो नमः। विष्णवे कालचक्राय सोमायामिततेजसे।।
अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम्।
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्।।
मकरसंक्रांतिशुभाशयाः।
shlok #6 Makar Sankranti Shlok
वाताटः वायुरज्जुभ्याम् आकाशं प्रति गच्छति।
जीवात्मा गुरुवृत्तिभ्याम् ऊर्ध्वं गच्छत्यसंशयम्॥
shlok #7 मकर संक्रांति संस्कृत श्लोक
तिलवत्स्नेहमादस्व गुडवन्मधुरं वद ।
shlok #8 Makar Sankranti Sanskrit Quotes
‘यथा भेदं’ न पश्यामि शिवविष्ण्वर्कपद्मजान्।
तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकर: शंकर: सदा।।
इस श्लोक का अर्थ है:
“मैं शिव, विष्णु और ब्रह्मा के भेद को नहीं देखता हूँ।
ऐसा हो, मेरा आत्मा हमेशा विश्व का एक रूपी शंकर हो।”
इस श्लोक में यह कहा गया है कि शिव, विष्णु, और ब्रह्मा में कोई भेद नहीं है, और जीवात्मा का असली स्वरूप विश्व का एक रूपी शंकर है। यह एक आध्यात्मिक भावनात्मक भाषा में एकता और एकत्व की महत्वपूर्णता को व्यक्त करता है।
shlok #9 Makar Sankranti Wishes in Sanskrit
भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते।
तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये।।
इस श्लोक का अर्थ है:
“जैसे सूर्य का तेज मकर राशि में बढ़ता है,
उसी प्रकार, मैं आपके तेज का विकास का कामना करता हूँ।”
इस श्लोक में सूर्य के तेज की तुलना से एक उत्कृष्ट उपमेय का उपयोग करते हुए यह कहा है कि वह चाहते हैं कि जैसे सूर्य का तेज मकर राशि में बढ़ता है, वैसे ही आपका तेज भी बढ़े।
shlok #10 मकर संक्रांति पर संस्कृत श्लोक
उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।
मकरसंक्रांतिशुभाशयाः।
इस श्लोक का अर्थ है:
“कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं, मनोरथों से नहीं।
बिल्कुल वैसे ही, सोते हुए सिंह के मुँह में मृग नहीं प्रविष्ट हो सकते।
मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ।”
इस श्लोक में कहा जा रहा है कि सफलता के लिए उद्यम और प्रयास की आवश्यकता होती है, सिर्फ मन की इच्छाओं से कार्य सिद्ध नहीं होते। सोते हुए भी एक सुप्त सिंह के मुँह में मृग नहीं प्रवेश कर सकता है, जिससे यह सिद्ध होता है कि समृद्धि और सफलता के लिए आग्रह और प्रयास की आवश्यकता है। मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ।
shlok #11 मकर संक्रांति की शुभकामनाएं संस्कृत में
अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम्।
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्।।
मकरसंक्रांतिशुभाशयाः।
इस श्लोक का अर्थ है:
“अष्टादश पुराणों में व्यास के दो वचन हैं।
परोपकार पुण्य के लिए है और पाप के लिए पराया पीड़न है।
मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ।”
इस श्लोक में कहा गया है कि व्यास ऋषि ने अपने दो वचनों के माध्यम से स्पष्ट किया है कि परोपकार से पुण्य होता है, जबकि पराया पीड़न करना पापकारी है। इसे अपनाने से हम अच्छाई और सहानुभूति की दिशा में कार्य कर सकते हैं। श्लोक के अनुसार, परोपकार करना हमें पुण्य की प्राप्ति में मदद करता है जबकि अन्यों को पीड़ित करना पाप की दिशा में है। मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ।
shlok #12 Makar Sankranti Shloka
सहस्रकिरणोज्ज्वल। लोकदीप नमस्तेऽस्तु नमस्ते कोणवल्लभ।।
भास्कराय नमो नित्यं खखोल्काय नमो नमः। विष्णवे कालचक्राय सोमायामिततेजसे।।
इस श्लोक का अर्थ है:
“हजारों किरणों से प्रकाशमान, जगत के दीपक, हे कोणवल्लभ!
हम हमेशा आपके प्रकाशमान रूप को प्रणाम करते हैं, आपको हमारा शत्-शत् नमस्कार है।
भगवान सूर्य, जो हमेशा प्रकाशित रहते हैं, हम आपको नमस्कार करते हैं।
विष्णु भगवान, जिनका कालचक्र है, और चंद्रमा, जिनकी अमित तेजस्वी किरणों से सुशोभित हैं, हम उनको नमस्कार करते हैं।”
shlok #13 Makar Sankranti Sanskrit Shlok
सत्यं ब्रूयात् प्रियम् ब्रूयात् ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।
प्रियम् च नानृतं ब्रूयादेष धर्मः सनातनः।।
मकरसंक्रांतिशुभाशयाः।
इस श्लोक का अर्थ है:
“सत्य बोलें, प्रिय बोलें, और प्रिय सत्य बोलें।
प्रिय बोले और असत्य न बोले, यह सनातन धर्म है।
मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ।”
यह श्लोक उस आदिकालीन धार्मिक नीति को संकेत करता है जो कहती है कि हमें हमेशा सत्य बोलना चाहिए, परंतु उसे प्रियता के साथ बोलना भी एक सान्त्वना और सहानुभूति का अभ्यास करना चाहिए। इसमें धर्म की अद्वितीय और सनातन स्वरूपता को बताने का प्रयास किया गया है। मकर संक्रांति के इस अद्भुत अवसर पर यह शुभकामना है।
shlok #14 Happy Makar Sankranti in sanskrit
मकरसंक्रमण
आशास्महे नूतनहायनागमे भद्राणि पश्यन्तु जनाः सुशान्ताः।
निरामयाः क्षोभविवर्जितास्सदा मुदा रमन्तां भगवत्कृपाश्रयाः।
इस श्लोक का अर्थ है:
“हम आशा करते हैं कि नए वर्ष के आगमन में सभी लोग भद्र को देखें और सुशान्त रहें।
वे सदा निरोगी और उत्साहित रहें, और हमेशा भगवान की कृपा में आश्रित रहें।”
इस श्लोक के माध्यम से एक शुभकामना व्यक्त की जा रही है, जो नए वर्ष के साथ लोगों को सुख, शांति, और आरोग्य की कामना करती है और भगवान की कृपा में सदा आश्रित रहने की प्रार्थना करती है।
shlok #15 मकर संक्रांति पर संस्कृत श्लोक
आशासे यत् मकरसंक्रांतिशुभाशयाः भवतु मङ्गलकरम् अद्भुतकरञ्च।
जीवनस्य सकलकामनासिद्धिरस्तु।
इस श्लोक का अर्थ है:
“आशा है कि मकर संक्रांति की शुभकामनाएं आपके लिए मङ्गलकारी और आद्भुत कारण बनें। आपके जीवन की सभी कामनाएं पूर्ण हों।”
इस श्लोक के माध्यम से यह शुभकामना व्यक्त की जा रही है कि मकर संक्रांति के अद्वितीय अवसर पर व्यक्ति के जीवन में मङ्गल, शांति और सकारात्मक परिवर्तन हो।
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मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?
मकर संक्रांति के दिन, सूर्य देव को पूजा जाता है। सूर्य देव हिन्दू धर्म में दिन का स्वामी होते हैं और उनकी पूजा विभिन्न प्रांतों में विभिन्न रूपों में मनाई जाती है। मकर संक्रांति का दिन, सूर्य देव का उत्तरायण होता है, जिससे सूर्य नक्षत्र कुंभ राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है।
मकर संक्रांति किसका प्रतीक है?
मकर संक्रांति का त्योहार उत्साह और खुशी का प्रतीक है। इस दिन, लोग मंदिरों में जाकर भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, जो उनके जीवन को तेजस से भर देने का सिम्बोल है।
मकर संक्रांति किसकी याद में मनाई जाती है?
मकर संक्रांति को भारतीय सांस्कृतिक में पितृदेवता और पूर्वजों की याद में मनाने का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन, लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा के शांति की कामना करते हैं।
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