Ganesh Shlok: जीवन के हर कदम पर मार्गदर्शन करने वाले श्लोक, जो आपकी दिनचर्या को देंगे नया दिशा!

भगवान गणेश, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता में से एक हैं। वे विद्या, विघ्ननाशक, बुद्धि और समृद्धि के स्वामी माने जाते हैं। गणेश जी के संस्कृत श्लोक हमारे जीवन में प्राथमिकता और आदर्शों की महत्वपूर्ण बातें सिखाते हैं। यहाँ  कुछ प्रमुख संस्कृत Ganesh Shlok दिए गए हैं, जो हमें उनके महत्वपूर्ण गुणों और महत्व को समझने में मदद करते हैं

 

गणेश जी के संस्कृत श्लोक | Ganesh Shlok in Hindi with Meaning

 

गणेश जी के संस्कृत श्लोक Ganesh Shlok in Hindi with Meaning

“ऊँ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने।

दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“हे विघ्नराज, सभी सुखों का प्रदानकर्ता, मैं तुझे नमस्कार करता हूँ।

दुष्टों और अशुभताओं का नाश करने वाले, श्रेष्ठ परमात्मा के लिए मेरी श्रद्धाभक्ति है॥”

 

“वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।

निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“वक्रतुण्ड (कुर्विंद), महाकाय (बड़े शरीर वाले), सूर्यकोटि समप्रभ (सूर्य की किरणों की तरह चमकने वाले) देव,

मेरे सभी कार्यों में बिना विघ्न के सफलता प्रदान करो, हे देव, हमेशा।”

 

“सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने।

मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“हे सिद्धिबुद्धि के प्रमुख और नाथ, सिद्धियाँ और बुद्धि की प्रदाता,

मायाओं का मायाणुकर्ता, मोह का कारण, मैं आपको नमस्कार करता हूँ॥”

 

“अभिप्रेतार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यः सुरासुरैः।

सर्वविघ्नच्छिदे तस्मै गणाधिपतये नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“जिनका पूजन सुरों और आसुरों द्वारा सिद्धि के लिए किया गया हो,

सभी विघ्नों को दूर करने वाले, मैं गणेशपति को नमस्कार करता हूँ॥”

“त्रिलोकेश गुणातीत गुणक्षोम नमो नमः।

त्रैलोक्यपालन विभो विश्वव्यापिन् नमो नमः॥

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“त्रिलोकेश (तीनों लोकों के इश्वर), गुणों से परे, गुणक्षय के स्वामी,

त्रैलोक्यों के पालन करने वाले, विश्व में व्याप्त, हे भगवान, हम आपको नमस्कार करते हैं॥”

 

“मायातीताय भक्तानां कामपूराय ते नमः।

सोमसूर्याग्निनेत्राय नमो विश्वम्भराय ते॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“माया के परे, भक्तों की कामनाओं के पूरणकर्ता, सोम, सूर्य, और अग्नि के नेता,

विश्व को संभालने वाले, हम आपको नमस्कार करते हैं॥”

 

“जय विघ्नकृतामाद्या भक्तनिर्विघ्नकारक।

अविघ्न विघ्नशमन महाविध्नैकविघ्नकृत्॥”

 

 

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“विघ्नों को प्रकट करने वाले, पहले और अंत में, भक्तों के विघ्नों को दूर करने वाले,

विघ्न को नष्ट करने वाले, महाविघ्न के एकमात्र निर्माता, हम आपको जय बोलते हैं॥”

 

गणेश श्लोक संस्कृत

गणेश श्लोक संस्कृत

 

“लम्बोदराय वै तुभ्यं सर्वोदरगताय च।

अमायिने च मायाया आधाराय नमो नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“हे लम्बोदर (मोटे बालक) वान्दे, जो सभी उदरों में बसे हुए हैं,

और माया का आधार बिना स्वयं मायासे बिना, मैं आपको नमस्कार करता हूँ॥”

 

“मूषिकवाहन् मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बित सूत्र।

वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“जिनके वाहन मूषक हैं, जिनके हाथ मोदक हैं, चामरकर्ण से विभूषित हैं, सूत्र विलम्बित हैं,

वामनरूप और महेश्वर के पुत्र, विघ्नविनायक, हम आपके पादों में नमस्कार करते हैं॥”

 

“शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।

प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“शुक्ल वस्त्र पहने हुए, चार बाहुओं वाले, शशिवर्ण (सोने की तरह चमकने वाले) देवता को ध्यान करें,

जिनका प्रसन्न चेहरा हो, सभी विघ्नों का शांति करने के लिए।”

“एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।

विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“एक दांत वाले, महाकाय (बड़े शरीर वाले), लम्बोदर (मोटे बालक), गजानन (गज वाहन वाले) देवता को,

विघ्नों को नष्ट करने वाले, हेरम्ब (देवी पार्वती का नाम) को मैं प्रणाम करता हूँ।”

 

“विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“विघ्नों के ईश्वर, वरदान करने वाले, सुरों के प्रिय, लम्बोदर (मोटे बालक),

सबके लिए हितकारी, नागानन (नाग वाहन वाले), श्रुति और यज्ञों की विभूषित, गौरीकुमार (गणेशपति) को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“द्वविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिवं।

राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम्।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“भूमि को साँप जैसे अपने बिल में ग्रसता है,

राजा को उन्नति प्राप्त करने के लिए उत्तरायण काल में यज्ञ करना चाहिए,

और ब्राह्मण को निवास करने के लिए दक्षिणायन काल में।”

 

 

Ganesh Shlok in Hindi

Ganesh Shlok in Hindi

 

“गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।

 

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“गजानन (गज वाहन वाले), भूतगणों की पूजित, कपित्थ और जामुन फलों का सुंदर भोजन करने वाले,

उमाकुमार (पार्वतीपुत्र), शोक का नाश करने वाले, विघ्नेश्वर (गणेश) के पादपङ्कज को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।

भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“गणेश, तू हमें रक्षा करो, गणों के आदिपति, त्रैलोक्य की सुरक्षा करने वाले,

भक्तों का अभय देने वाले, संसार सागर को पार करने वाले, हे भवभय से बचाने वाले देवता!”

 

“केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं।

सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“केयूर (बाजुबंद), हार (माणी की माला), किरीट (मुकुट) धारण करने वाले, चार बाहुओं वाले,

पाश और अभय दिखाने वाले, सृणि (झूले) धारण करने वाले, त्रिनेत्र (तीन आँखों वाले),

सचामर (स्वर्णिम चामर) और स्त्रीयुगल (द्वितीय आँख वाली स्त्री के साथ) से युक्त देवता!”

 

“गजाननाय महसे प्रत्यूहतिमिरच्छिदे।

अपारकरुणापूरतरङ्गितदृशे नमः।।”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“गजानन (गज वाहन वाले), महासे (महादेव के पुत्र), अंधकार की आँखों को प्रकाशित करने वाले,

अपार करुणा के समुद्र में तरंगों की भाँति भरपूर, हम आपको नमस्कार करते हैं।”

“पुराणपुरुषं देवं नानाक्रीडाकरं मुद्रा।

मायाविनां दुर्विभावयं मयूरेशं नमाम्यहम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“पुराणपुरुष, देव, नानाक्रीडाएँ करने वाले, मुद्रा (सिक्का) धारण करने वाले,

मायाविनों के भय को दूर करने वाले, मयूरेश (मोराय वाहन वाले) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुगमम्

उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“प्रातः को गणनाथ (गणेश), मनाथ (मनों के स्वामी), बन्धु (सबके भगवान के भाई),

सिन्दूर से आभूषित गण्डयुग (सिन्दूर के आभूषण धारी) को स्मरण करता हूँ,

उद्दण्ड (विघ्नों के उद्धारण का कारक) और अखंडन (विघ्नों का अखंडन करने वाले) को धारण करने वाले,

चण्ड (भयंकर) और दण्ड (दंडने वाले) को, माखण्डल (मुकुट पहने हुए) और सुरों के नायक को मैं वन्दना करता हूँ।”

 

“आवाहये तं गणराजदेवं रक्तोत्पलाभासमशेषवन्द्दम्।

विध्नान्तकं विध्नहरं गणेशं भजामि रौद्रं सहितं च सिद्धया॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“आवाहन करता हूँ उस गणराज देव को, जिनका रक्तोत्पलाभास (रक्त और उत्पल की तरह चमकने वाला) है,

जिनकी वन्दना अशेष वंदनाओं से युक्त है, विघ्नों के अन्तक (विघ्नों का नाश करने वाले),

विध्नहर (विघ्नों को हरने वाले) और सिद्धियों के साथ, मैं भगवान गणेश को रौद्र रूप में भजता हूँ।”

 

“परात्परं चिदानन्दं निर्विकारं हृदि स्थितम्।

गुणातीतं गुणमयं मयूरेशं नमाम्यहम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“परात्पर (सबसे उच्च), चिदानंद (ज्ञान और आनंद के स्वरूप), निर्विकार (बिना विकार), हृदय में स्थित,

गुणों से परे, गुणमय (गुणों से युक्त) मयूरेश (मोराय वाहन वाले) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“तमोयोगिनं रुद्ररूपं त्रिनेत्रं जगद्धारकं तारकं ज्ञानहेतुम्।

अनेकागमैः स्वं जनं बोधयन्तं सदा सर्वरूपं गणेशं नमामः ॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“तमोयोगि (अंधकारी योगी), रुद्र रूप (रुद्र के समान रूप धारण करने वाले),

त्रिनेत्र (तीन आँखों वाले), जगद्धारक (जगत् की रक्षा करने वाले), तारक (तारक श्लोक वाले),

ज्ञान के हेतु, अनेक आगमों से परिपूर्ण, अपने भक्तों को सदा सब रूप में प्रकट करने वाले गणेश को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

गणेश जी स्टेटस श्लोक (Ganesh Shlok With Hindi Meaning)

 

 

“सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया।

सर्वविध्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“जो सृष्टि करता है, पालन करता है और संहार करता है, अपनी इच्छा से,

सभी विघ्नों को हरने वाले देव, मयूरेश (मोराय वाहन वाले) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरं विभुम्।

सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“सब शक्तियों से युक्त देवता, सब रूपों को धारण करने वाले, सर्वव्यापी भगवान,

सब विद्याओं के प्रवक्ता, मयूरेश (मोराय वाहन वाले) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम्।

भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“पार्वती के पुत्र, शम्भु की आनंदिता, आनंद को बढ़ाने वाले,

भक्तों की आनंद को देने वाले, नित्य आनंदकर, मयूरेश (मोराय वाहन वाले) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“तमः स्तोमहारनं जनाज्ञानहारं त्रयीवेदसारं परब्रह्मसारम्।

मुनिज्ञानकारं विदूरेविकारं सदा ब्रह्मरुपं गणेशं नमामः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“अंधकार को हरने वाले, जनों के ज्ञान को हरने वाले, त्रयी (वेदों की तीनों विभागों का) सार होने वाले,

परब्रह्म (अतीत परम ब्रह्म) का सार होने वाले, मुनियों के ज्ञान के सारे कारण कारण वाले, विदूर (दूरस्थ) और विकार (विकृति) से रहित,

सदा ब्रह्मरूप, गणेश को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम्।

सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“सभी ज्ञानों को हरने वाले, सभी ज्ञान का स्रोत और कर्ता,

शुद्ध (पवित्र), सत्य और ज्ञान से परिपूर्ण भगवान, मयूरेश (मोराय वाहन वाले) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

“अनेककोटिब्रह्याण्डनायकं जगदीश्वरम्।

अनन्तविभवं विष्णु मयूरेशं नमाम्यहम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“अनेक कोटि ब्रह्माण्डों के नायक, जगदीश्वर (विश्वाधिपति) होने वाले,

अनन्त विभूतियों के स्वामी, विष्णु, मयूरेश (मोराय वाहन वाले) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“गजाननाय पूर्णाय साङ्ख्यरूपमयाय ते।

विदेहेन च सर्वत्र संस्थिताय नमो नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“गजानन (हाथी मुख धारण करने वाले), पूर्ण (परिपूर्णता के स्वरूप), साङ्ख्य रूप (सांख्य दर्शन के स्वरूप) होने वाले,

विदेह (मिथिला देश के राजा) भी सर्वत्र स्थित, भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते।

मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“अमेय (अत्यंत अपरिमित), हेरम्ब (वन्दनीयतम), परशु धारक (परशु वाहन धारण करने वाले) भगवान,

मूषक (मूषक वाहन वाले) वाहन के सहित, विश्वेश (विश्व के स्वामी) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“अनन्तविभायैव परेषां पररुपिणे।

शिवपुत्राय देवाय गुहाग्रजाय ते नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“अनन्त विभाव (अनन्त भगवान के अनंत विभूतियों के स्वामी), परेषां (परों के) पररूपिणे (पर के रूप धारण करने वाले),

शिवपुत्र (शिव के पुत्र), देव (दिव्य), गुहाग्रज (गुहा के स्वामी) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“पार्वतीनन्दनायैव देवानां पालकाय ते।

सर्वेषां पूज्यदेहाय गणेशाय नमो नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“पार्वती के पुत्र, देवताओं के पालने वाले, सभी की पूजनीय आत्मा, गणेशाय (गणेश) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

गणेश जी श्लोक अर्थ सहित (Ganesh Shlok With Hindi Meaning)

 

गणेश जी श्लोक अर्थ सहित (Ganesh Shlok With Hindi Meaning)

 

“स्वनन्दवासिने तुभ्यं शिवस्य कुलदैवत।

विष्णवादीनां विशेषेण कुलदेवताय ते नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“स्वनन्द आश्रय, शिव के कुलदेवता, विष्णुआदिकों के विशेष रूप से कुलदेवता, तुझको मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“योगाकाराय सर्वेषां योगशान्तिप्रदाय च।

ब्रह्मेशाय नमस्तुभ्यं ब्रह्मभूतप्रदाय ते॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“सबके लिए योग के आकार होने वाले, योग की शान्ति प्रदान करने वाले,

ब्रह्मा के स्वामी, तुझको मैं नमस्कार करता हूँ, जो ब्रह्मभूति (ब्रह्मत्व की प्राप्ति) प्रदान करते हैं।”

 

“नमस्ते गणनाथाय गणानां पतये नमः।

भक्तिप्रियाय देवेश भक्तेभ्यः सुखदायक॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“नमस्कार है तुझको, गणनायक (गणेश) हे गणों के पति, भक्तियों के प्रिय, देवेश (देवताओं के राजा), भक्तों को सुख देने वाले॥”

 

“एकदन्तं महाकायं तप्तकाञ्चनसन्निभम्।

लम्बोदरं विशालाक्षं वन्देऽहं गणनायकम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“एक दंत (एक दंत धारण करने वाले), महाकाय (अत्यंत विशाल शरीर वाले), तप्त काञ्चन (तप्त स्वर्ण की तरह चमकने वाले) समान,

लम्बोदर (विशाल पेट धारण करने वाले), विशालाक्ष (विशाल आँखों वाले) भगवान गणनायक (गणों के पति) को मैं वंदना करता हूँ।”

“मात्रे पित्रे च सर्वेषां हेरम्बाय नमो नमः।

अनादये च विघ्नेश विघ्नकर्त्रे नमो नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“सभी माताओं और पिताओं को, हेरम्बा (माता पार्वती) को मैं नमस्कार करता हूँ।

अनादि (आदि से अगम्य), विघ्नेश (विघ्नहर्ता), विघ्न कर्ता (विघ्न उत्पन्न करने वाले) भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपशोभितम्।

अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूहविनाशनम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“लम्बोदर (लम्बे पेट धारण करने वाले), महावीर्य (अत्युत्तम शौर्य), नागयज्ञ (नाग यज्ञ से पुष्ट होने वाले) द्वारा प्रसन्न दिखने वाले,

अर्धचंद्र धारी (अर्धचंद्र की अवस्था में रहने वाले) भगवान, विघ्नव्यूह को नष्ट करने वाले भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“गुरुदराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय।

गोप्याय गोपिताशेषभुवनाय चिदात्मने॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“गुरुदेवाय (गुरुवर) को, गुरुवे (गुरु स्वरूप) को, गोप्त्रे (संरक्षक) को, गुह्यासिताय (गुह्य रूप से बात करने वाले) को,

गोप्याय (गोपनीय स्वरूप से व्यवहार करने वाले) को, गोपिताशेष भुवनाय (सम्पूर्ण भूतों के स्वामी) को, चिदात्मने (चित्तमय आत्मा) को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

 

Ganesh Shlok in Sanskrit

 

“विश्वमूलाय भव्याय विश्वसृष्टिकराय ते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुणिडने॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“विश्व की उत्पत्ति के मूल भगवान, भव्य (महिमा से युक्त), विश्व सृष्टि करने वाले भगवान, नमस्कार है तुझको,

सत्य स्वरूप, सत्य पूर्ण (सच्चाई में परिपूर्ण), शुणिड (स्वयंभूत ब्रह्म) को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“वेदान्तवेद्यं जगतामधीशं देवादिवन्द्यं सुकृतैकगम्यम्।

स्तम्बेरमास्यं नवचन्द्रचूडं विनायकं तं शरणं प्रपद्ये॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“वेदान्त के अध्ययन में प्रमुख, जगत के आदि ईश्वर, देवताओं द्वारा पूजनीय, सुकृतों द्वारा आवश्यक माने जाने वाले,

स्तम्बेर (चिड़ योगी शिव) के समान, नवचंद्रचूड (नवचंद्र मुख) धारण करने वाले, विनायक (विघ्नहर्ता) को मैं शरण में आता हूँ।”

“नमामि देवं धिरदाननं तं यः सर्वविघ्नं हरते जनानाम्।

धर्मार्थकामांस्तनुते ऽखिलानां तस्मै नमो विघ्नविनाशनाय॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“मैं विघ्नहर्ता धिरदानन देवता का नमस्कार करता हूँ, जो सभी जनों के सभी विघ्नों को हरता है।

वह धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति के लिए सभी लोगों की प्रार्थनाएँ स्वीकार करता है, उनकी पूरी करता है।”

 

“धिरदवदन विषमरद वरद जयेशान शान्तवरसदन।

सदनवसादन सादनमन्तरायस्य रायस्य॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“विषमरद (विघ्नहर्ता), धिरदवदन (विशाल चेहरे वाले), वरद (वरदान करने वाले), जयेश (विजयकारी), शान्तवरसदन (शान्ति देने वाले),

सदनवसादन (सभी सदनों को शोभा देने वाले), सादन (सदन) और मन्तरायस्य (मन्त्रों का आदिपति) रायस्य का मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“सर्वविघ्नहरं देवं सर्वविघ्नविवर्जितमम्

सर्वसिद्धिप्रदातारं वन्देऽहं गणनायकम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“सभी विघ्नों को हरने वाले देवता, सभी विघ्नों से मुक्त, सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाले भगवान को मैं वन्दन करता हूँ।”

 

 

 

गणेश श्लोक मंत्र lyrics

 

गणेश श्लोक मंत्र lyrics

 

“विश्वमूलाय भव्याय विश्वसृष्टिकराय ते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुण्डिने॥”

 

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“विश्व की उत्पत्ति के मूल भगवान, भव्य (महिमा से युक्त), विश्व सृष्टि करने वाले भगवान, नमो नमस्ते तुझको,

सत्य स्वरूप, सत्य पूर्ण (सच्चाई में परिपूर्ण), शुण्डिने (अग्नि रूपी) को मैं नमस्कार करता हूँ।”

 

“एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।

प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्तिविनाशिने॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“एकदंत (एक दंतवाले), शुद्ध (शुद्ध स्वरूप), सुमुख (सुन्दर चेहरे वाले) को मैं नमस्कार करता हूँ,

प्रपन्न जनों के पालन करने वाले, प्रणतार्ति को नष्ट करने वाले भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।”

“प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।

भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“गौरीपुत्र विनायक देवता को शिरसा प्रणाम करता हूँ, जो भक्तों के वास स्थान है।

मैं उन्हें नित्य ध्यान करके आयु, काम और अर्थ की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता हूँ।”

 

“नमस्ते योगरूपाय सम्प्रज्ञातशरीरिणे।

असम्प्रज्ञातमूर्ध्ने ते तयोर्योगमयाय च॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“योगरूप (योग में स्थित) भगवान, सम्प्रज्ञात शरीर में स्थित (सच्चे जीवन में), असम्प्रज्ञात मूर्धने (अनजान में) और तेरे योगमय स्वरूप में नमस्कार है॥”

 

“वामाङ्गे भ्रान्तिरूपा ते सिद्धिः सर्वप्रदा प्रभो।

भ्रान्तिधारकरूपा वै बुद्धिस्ते दक्षिणाङ्गके॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“वाम अंग में भ्रान्ति रूप विद्या सिद्धि, सभी के लिए प्रदानकर्ता है, और दक्षिण अंग में भ्रान्ति धारक रूप विद्या सिद्धि भगवान, तेरी दक्षिणांग में स्थित है॥”

 

“मायासिद्धिस्तथा देवो मायिको बुद्धिसंज्ञितः।

तयोर्योगे गणेशान त्वं स्थितोऽसि नमोऽस्तु ते॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“माया सिद्धि और मायिक बुद्धि सिद्धि देवता, उनके योग में गणेश भगवान, तुझमें स्थित हैं, तुझको नमस्कार हो।”

 

“जगद्रूपो गकारश्च णकारो ब्रह्मवाचकः।

तयोर्योगे गणेशाय नाम तुभ्यं नमो नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“जगद्रूप (जगत के रूप), गकार (गणपति का बीज श्लोक), णकार (नगी बीज श्लोक), ब्रह्म वाचक (ब्रह्म को सूचित करने वाले) हैं, उनके योग में गणेश भगवान, तुझको नामोस्तु नमोऽस्तु तुझको नमो नमः॥”


श्री गणेश श्लोक

 

श्री गणेश श्लोक

 

“ब्रह्मभ्यो ब्रह्मदात्रे च गजानन नमोऽस्तु ते।

आदिपूज्याय ज्येष्ठाय ज्येष्ठराजाय ते नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“ब्रह्मा और ब्रह्मदाता, गजानन, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। आपको प्रारम्भ में पूज्य और विशेषत: पूज्य, ज्येष्ठ और ज्येष्ठराज आपको नमस्कार है॥”

 

“अनामयाय सर्वाय सर्वपूज्याय ते नमः।

सगुणाय नमस्तुभ्यं ब्रह्मणे निर्गुणाय च॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“सभी को रोगरहित, सभी को पूजनीय, आपको नमस्कार है। सगुण रूप वाले और निर्गुण रूप वाले ब्रह्म को भी आपको नमस्कार है॥”

 

“चौरवद्भोगकर्ता त्वं तेन ते वाहनं परम्।

मूषको मूषकारूढो हेरम्बाय नमो नमः॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“चोरों के तरह भोग उपभोग करने वाले, तेरे द्वारा मूषक को अपना वाहन चुनकर तू सबसे श्रेष्ठ है। हे मूषकारूढ़! तुझको नमस्कार है॥”

 

“किं स्तौमि त्वां गणाधीश योगशान्तिधरं परम्।

वेदादयो ययुः शान्तिमतो देवं नमाम्यहम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“हे गणाधीश! क्या मैं आपकी स्तुति करूँ, आपको योग और शान्ति के धारक और वेदादिगण जिन्होंने शांति की प्राप्ति की है, उन देवता को नमस्कार करता हूँ॥”

 

“गजवक्त्रं सुरश्रेष्ठं कर्णचामरभूषितम्।

पाशाङ्कुशधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“गजवक्त्र, सुरों के श्रेष्ठ, कर्णचामर से सजीवित, पाश और अङ्कुश धारण करने वाले भगवान, मैं आपको नमस्कार करता हूँ, गणनायकम्॥”

 

“अम्बिकाहृदयानन्दं मातृभिः परिवेष्टितम्।

भक्तिप्रियं मदोन्मत्तं वन्देऽहं गणनायकम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“जिनका हृदय आम्बिका की आनंद से परिपूरित है, जिनकी परिवेशित होकर मातृगण उनके चारों ओर हैं, जो भक्तों की प्रियता है, जो मदविलासित है, उन गणनायक भगवान को मैं वंदन करता हूँ॥”

 

“मौञ्जीकृष्णाजिनधरं नागयज्ञोपवीतिनम्।

बालेन्दुशकलं मौलौ वन्देऽहं गणनायकम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“मौञ्जीकृष्णा की धारण करने वाले, नागयज्ञोपवीती धारण करने वाले, बालेन्दुशकला के समान, मौलि के ऊपर बालकनायक को मैं वंदन करता हूँ॥”

 

गणेश श्लोक मंत्र hindi

 

 

“गजराजमुखाय ते नमो मृगराजोत्तमवाहनाय ते।

द्विजराजकलाभृते नमो गणराजाय सदा नमोऽस्तु ते॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“हे गजराजमुख! आपको नमस्कार है, हे मृगराजोत्तम वाहनधारक! आपको नमस्कार है, द्विजराजकलाधारक! हमेशा आपको नमस्कार हो।”

 

“जननीजनकसुखप्रदो निखलानिष्ठहरोऽखिलेष्टदः।

गणनायक एव मामवेद्रदपाशाङ्कुमोदकान् दधत्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“हे जननी और जनक के सुखदाता, सबकी निष्ठा को हरने वाले, सभी के इच्छाओं को पूर्ण करने वाले, आप ही गणनायक हैं, आप ही मुझे वेदों को और पाशाङ्कुश और मोदक को देते हैं॥”

 

“मूषिकोत्तममारुह्य देवासुरमहाहवे।

योद्धुकामं महावीर्यं वन्देऽहं गणनायकम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“भगवान ने मूषक की रीढ़ में से उत्पन्न होकर देव-दानव युद्ध में भाग लिया, जो बलवान और वीर्यवान है, वह गणनायक भगवान को मैं वंदन करता हूँ॥”

 

“गणनाथ गणेश विघ्नराट् शिवसूनो जगदेकसद्गुरो।

सुरमानुषगीतमद्यशः प्रणतं मामव संसृतेर्भयात्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“गणनाथ, गणेश, विघ्नराज, शिवकुमार, जगत के एकमात्र सद्गुरु, सुरों और मनुष्यों के गानों में प्रमुख, मैं आपको भय से मुक्त करने वाले शिवकुमार को नमस्कार करता हूँ॥”

 

“जय सिद्धिपते महामते जय बुद्धीश जडार्तसद्गते।

जय योगिसमूहसद्गुरो जय सेवारत कल्पनातरो॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“जय हो सिद्धिपति, महामति, बुद्धिशाली, जड़ अर्थवान, सद्गति प्राप्त करने वाले, योगिसमूह के गुरु, सेवारत कल्पनाओं में अवतरित होने वाले को॥”

 

“चित्ररत्नविचित्राङ्गं चित्रमालाविभूषितम्।

कायरूपधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम्॥”

 

इस श्लोक का अर्थ है:

“जिनकी रूपरंगीनी अत्यंत चित्रमय है, जिनकी आभूषणों में विचित्रता है, जिनके शरीर में चित्रमाला है, कायरूप धारी भगवान को मैं वंदन करता हूँ॥”

 

 

गणेश श्लोक मंत्र pdf | Ganesh mantra pdf download

 


यह भीं पढ़े :

  1. शिव ध्यान मंत्र
  2. शिव मंत्र पुष्पांजली
  3. वीरभद्र गायत्री मंत्र
  4. शिव आवाहन मंत्र
  5. हनुमान शाबर मंत्र

 

FaQs

भगवान गणेश का पहला नाम क्या है?

भगवान गणेश का पहला नाम “गणपति” है। “गणपति” का अर्थ होता है “गणों के प्रमुख” या “गणों का नेता”। गणेश जी को गणपति के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे देवताओं के गणों के प्रमुख और नेता हैं।

Leave a Comment

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
100% Free SEO Tools - Tool Kits PRO
error: Content is protected !!