पापोहं पापकर्माहं श्लोक | Papoham Papakarmaham Mantra Shiv Mantra

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Published:
25 November 2006
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पापोहं पापकर्माहं श्लोक भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली क्षमा प्रार्थना है। इस Papoham Papakarmaham Mantra का अर्थ, लाभ और जाप विधि पढ़ें। शिव भक्तों के लिए यह मंत्र पापों से मुक्ति और शांति का सर्वोत्तम साधन है।

🕉️  पापोहं पापकर्माहं श्लोक 

पापोहं पाप कर्माहं, पापात्मा पाप संभवः।
त्राहिमां पार्वतीनाथ! सर्वपापहरो भव।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सदाशिवं।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्णं तदस्तु मे।।
 

पापोहं पापकर्माहं श्लोक का अर्थ ( Meaning)

🔹 अर्थ (Meaning in Hindi – Expanded)

“हे पार्वतीनाथ भगवान शिव!
मैं अपने आपको पापमय मानता हूँ — मेरे द्वारा अनेक पापकर्म हुए हैं,
मेरा जीवन भी पाप से उत्पन्न हुआ है।
अब मैं आपके चरणों में शरण लेता हूँ, कृपा करके मेरे सभी पापों को नष्ट करें।

हे सदाशिव! यदि मेरी पूजा में कोई कमी रह गई हो —
चाहे वह मंत्र में गलती हो, कर्म में त्रुटि हो या भक्ति में कमी हो —
तो कृपया अपनी असीम करुणा से उसे पूर्ण मान लीजिए।”

🔹 भावार्थ (Spiritual Interpretation)

यह श्लोक केवल क्षमा याचना नहीं, बल्कि “आत्म-समर्पण” का प्रतीक है।
भक्त अपने भीतर के दोषों को स्वीकार करके ईश्वर से कहता है कि —

“हे प्रभु! मेरे कर्म चाहे जैसे भी हों, मैं अब पूर्ण श्रद्धा से आपके शरण में आया हूँ।
मेरी पूजा छोटी हो सकती है, लेकिन मेरी भावना सच्ची है।”

यह भाव नम्रता, पश्चाताप और पूर्ण भक्ति का सच्चा उदाहरण है।


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