Category Shlok

पापोहं पापकर्माहं श्लोक | Papoham Papakarmaham Mantra Shiv Mantra

पापोहं पापकर्माहं श्लोक भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली क्षमा प्रार्थना है। इस Papoham Papakarmaham Mantra का अर्थ, लाभ और जाप विधि पढ़ें। शिव भक्तों के लिए यह मंत्र पापों ....

Sanskrit Shlok

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित-1 संस्कृत श्लोक अर्थ सहित – 2 संस्कृत भाषा में सुविचार तथा सूक्तियाँ – 3 संस्कृत सुभाषित – 4 संस्कृत श्लोक लिस्ट हनुमान ....

ऋग्वेद का प्रथम श्लोक | ऋग्वेद का पहला श्लोक

ऋग्वेद का प्रथम श्लोक (ऋग्वेद का पहला श्लोक) ॐ अग्निमीले पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्। होतारं रत्नधातमम्। ॥१॥ ऋग्वेद का प्रथम श्लोक, “ॐ अग्निमीले पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्। होतारं रत्नधातमम्।” वैदिक परंपरा का ....

Sanskrit Shlok Collection ᐅ संस्कृत श्लोक संग्रह

संस्कृत श्लोक ज्ञान, आध्यात्मिकता और गहरी समझ से भरे हुए कालजयी पद्य हैं। ये श्लोक न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं, बल्कि प्रेरणा, मार्गदर्शन और शांति ....

Navratri Shlok : 70 शक्तिशाली नवरात्रि संस्कृत श्लोक

3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र का आगाज़ हो रहा है, जो 11 अक्टूबर तक चलेगा। इस पर्व के दौरान भक्तजन देवी दुर्गा की आराधना में लीन रहते हैं, और उनका ....

उदारता पर संस्कृत श्लोक | उदारता से संबंधित संस्कृत के श्लोक

उदारता (generosity) का अर्थ है दूसरों की सहायता करने और परोपकार करने की भावना। यह एक महत्वपूर्ण गुण है जो व्यक्ति को निस्वार्थ सेवा और दान की प्रेरणा देता है। ....

त्याग पर संस्कृत श्लोक | Tyag Sanskrit Shlok

त्याग की अवधारणा संस्कृत श्लोकों में गहरी और अर्थपूर्ण ढंग से व्यक्त की गई है। यहाँ कुछ प्रमुख श्लोक दिए गए हैं जो त्याग के महत्व और उसके विभिन्न पहलुओं ....

ज्ञान पर संस्कृत श्लोक

ज्ञान पर संस्कृत श्लोकों में आत्मज्ञान, विवेक और सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है। ये श्लोक मनुष्य को अज्ञानता से मुक्ति दिलाने और सच्चे ज्ञान की ओर प्रेरित ....

प्रेम पर संस्कृत श्लोक

प्रेम, एक गहरी और विशिष्ट भावना है, जो सभी प्रकार के रिश्तों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संस्कृत में प्रेम और इसके विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करने वाले कई अद्वितीय ....

घमंड पर संस्कृत श्लोक – विवरण और भावार्थ:

घमंड या अहंकार वह नकारात्मक भाव है जो व्यक्ति को अपनी क्षमताओं, उपलब्धियों या संपत्ति के प्रति अत्यधिक गर्वित और दूसरों के प्रति असम्मानजनक बना देता है। संस्कृत शास्त्रों और ....

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