24 गायत्री मंत्र । 24 Gayatri Mantra in Hindi
गायत्री मन्त्र में मूल रूप से 24 अक्षर हैं, जिनमें से आठ-आठ अक्षरों के तीन चरण होते हैं।। प्रत्येक अक्षर एक देवता की शक्ति को प्रतिष्ठित करता है। इस प्रकार, गायत्री मन्त्र वास्तव में 24 देवताओं की सामूहिक शक्ति का पुंजीभूत रूप है। यह मन्त्र भगवान् के 24 अवतारों की शक्ति को भी सम्मिलित करता है।
यह मन्त्र विश्वामित्र के सूक्त के एक मन्त्र के रूप में है, लेकिन इसका अर्थ ऋषियों ने आरंभ में ही समझ लिया था और इस मन्त्र के अर्थ की गहन व्याख्या ऋग्वेद के सम्पूर्ण 10,000 मन्त्रों में की गई है। महर्षियों ने सामान्य साधकों की सुविधा के लिए प्रत्येक देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए मन्त्रों को अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत किया है।
इस तरीके से, साधक विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संबंधित देवता को प्रसन्न कर सकता है। इस व्यवस्था में, समस्त देवताओं (24) के लिए अलग-अलग मन्त्र निर्धारित किए गए हैं। यह 24 गायत्री मंत्र इस प्रकार हे –
१. गणेश – गायत्री मन्त्र
ओइम् एक दंष्ट्राय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्।
२.नृसिंह – गायत्री मन्त्र
ओइम् उग्रनृसिंहाय विद्महे बज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंह प्रचोदयात्।
३. विष्णु – गायत्री मन्त्र
ओइम् नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
४. शिव – गायत्री मन्त्र
ओइम् पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्।
५ .कृष्ण – गायत्री मन्त्र
ओइम् देवकी नन्दनाय विद्मये वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्।
६. राधा – गायत्री मन्त्र
ओइम् वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्।
७ .लक्ष्मी – गायत्री मन्त्र
ओइम् महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो लक्ष्मीःप्रचोदयात्।
८ . अग्नि – गायत्री मन्त्र
ओइम् महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।
९. इन्द्र – गायत्री मन्त्र
ओइम् सहस्रनेत्राय विद्महे ब्रघ्रहस्ताय धीमहि तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात्।
१०. सरस्वती – गायत्री मन्त्र
ओइम् सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
११. दुर्गा – गायत्री मन्त्र
ओइम् गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।
१२. हनुमान – गायत्री मन्त्र
ओइम् अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नोमारुतिः प्रचोदयात्।
१३. पृथ्वी – गायत्री मन्त्र
ओइम् पृथ्वी दैव्र्य विद्महे सहस्रमूत्यै धीमहि तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्।
१४. सूर्य – गायत्री मन्त्र
ओइम् भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।
१५. राम – गायत्री मन्त्र
ओइम् दाशरथये विद्महे सीताबल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।
१६. सीता – गायत्री मन्त्र
ओइम् जनकनंदिन्यै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात्।
१७. चन्द्र – गायत्री मन्त्र
ओइम् क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्तवाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्।
१८.यम – गायत्री मन्त्र
ओइम् सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नो यमः प्रचोदयात्।
१९. ब्रह्म – गायत्री मन्त्र
ओइम् चतुर्मुखाय विद्महे हंसारूढ़ाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।
२०. वरुण – गायत्री मन्त्र
ओइम् जलबिम्बाय विद्महे नील पुरुषाय धीमहि तन्नो वरुणः प्रचोदयात्।
२१. नारायण – गायत्री मन्त्र
ओइम् नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायणः प्रचोदयात्।
२२. हयग्रीव – गायत्री मन्त्र
ओइम् वाणीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हयग्रीवः प्रचोदयात्।
२३. हंस – गायत्री मन्त्र
ओइम् परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात्।
२४. तुलसी – गायत्री मन्त्र
ओइम् श्री तुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।
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गायत्री मंत्र के 24 अक्षर कौन कौन से हैं? Gayatri Mantra ke Akshar
यह यजुर्वेद के मन्त्र ‘ॐ भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के छंद ऋग्वेद (३,६२,१०) ‘तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।’ संयोजन से हुआ है। यह मंत्र सवितृ देवता की पूजा के लिए है, इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। इसे श्री गायत्री देवी के स्त्री रूप में भी पूजा जाता है।
‘गायत्री’ एक विशेष छंद है जिसमें 24 मात्राएं होती हैं जो 8+8+8 के संयोग से बनी होती हैं। ऋग्वेद के सात प्रसिद्ध छंदों में गायत्री एक है। इन सात छंदों के नाम हैं – गायत्री, उष्णिक्, अनुष्टुप्, बृहती, विराट, त्रिष्टुप् और जगती। गायत्री छंद में तीन पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक में आठ-आठ मात्राएं होती हैं। ऋग्वेद के मंत्रों में त्रिष्टुप् छंद को छोड़कर सबसे अधिक संख्या में गायत्री छंद मंत्र होते हैं। गायत्री के तीन पद होते हैं (त्रिपदा वै गायत्री)।
इसलिए, जब सृष्टि के प्रतीक के रूप में छंद या वाक की कल्पना की जाती है, तब इस विश्व को त्रिपदा गायत्री का स्वरूप माना जाता है। जब जीवन की प्रतीकात्मक व्याख्या के रूप में गायत्री छंद की महिता बढ़ने लगी, तब गायत्री छंद के आधार पर विशेष मंत्र की रचना हुई, जो इस प्रकार है:
तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्। (ऋग्वेद ३,६२,१०)
- तत्:
- स:
- वि:
- तु:
- व:
- रे:
- णि:
- यं:
- भ :
- र्गो :
- दे :
- व :
- स्य :
- धी :
- म :
- हि :
- धि :
- यो :
- यो :
- न:
- प्र :
- चो :
- द :
- यात्
गायत्री मंत्र के 24 अक्षर के 24 देवता एबं उनके शक्ति-सिद्धि
24 गायत्री मंत्र में चौबीसों देवताओं के लिए, उनके गुण और प्रभाव सहित चौबीसों रूप प्रस्तुत होते हैं। इन 24 गायत्री मंत्र को नियमित रूप से प्रतिदिन जप करने से व्यक्ति अनुकूलता प्राप्त कर सकता है और लाभ उठा सकता है।
अक्षर | देवता | शक्ति | सिद्धि |
---|---|---|---|
तत्: | गणेश | सफलता | कठिन कामों में सफलता, विघ्नों का नाश, बुद्धि की वृद्धि |
स: | नरसिंह | पराक्रम | पुरुषार्थ, पराक्रम, वीरता, शत्रुनाश, आतंक-आक्रमण से रक्षा |
वि: | विष्णु | पालन | प्राणियों का पालन, आश्रितों की रक्षा, योग्यताओं की वृद्धि |
तु: | शिव | कल्याण | अनिष्ट का विनाश, कल्याण की वृद्धि, निश्चयता, आत्मपरायणता |
व: | श्रीकृष्ण | योग | क्रियाशीलता, कर्मयोग, सौन्दर्य, सरसता, अनासक्ति, आत्मनिष्ठा |
रे: | राधा | प्रेम | प्रेम-दृष्टि, द्वेषभाव की समाप्ति |
णि: | लक्ष्मी | धन | धन, पद, यश और भोग्य पदार्थों की प्राप्ति |
यं: | अग्नि | तेज | प्रकाश, शक्ति और सामर्थ्य की वृद्धि, प्रतिभाशाली होना |
भ: | इन्द्र | रक्षा | रोग, हिंसक चोर, शत्रु, भूत-प्रेतादि के आक्रमणों से रक्षा |
र्गो: | सरस्वती | बुद्धि | मेधा की वृद्धि, बुद्धि में पवित्रता, दूरदर्शिता, चतुराई, विवेकशीलता |
दे: | दुर्गा | दमन | विघ्नों पर विजय, दुष्टों का दमन, शत्रुओं का संहार |
व: | हनुमान | निष्ठा | कर्तव्यपरायणता, निष्ठावान, विश्वासी, निर्भयता, ब्रह्मचर्य-निष्ठा |
स्य: | पृथ्वी | धारण | गंभीरता, क्षमाशीलता, भार वहन करने की क्षमता, सहिष्णुता, दृढ़ता, धैर्य |
धी: | सूर्य | प्राण | आरोग्य-वृद्धि, दीर्घ जीवन, विकास, वृद्धि, उष्णता, विचारों का शोधन |
म: | श्रीराम | मर्यादा | तितिक्षा, कष्ट में विचलित न होना, मर्यादापालन, मैत्री, सौम्यता, संयम |
हि: | श्रीसीता | तप | निर्विकारता, पवित्रता, शील, मधुरता, नम्रता, सात्विकता |
धि: | चन्द्र | शांति | उद्विग्नता का नाश, काम, क्रोध, लोभ, मोह, चिन्ता का निवारण, निराशा के स्थान पर आशा का संचार |
यो: | यम | काल | मृत्यु से निर्भयता, समय का सदुपयोग, स्फूर्ति, जागरुकता |
यो: | ब्रह्मा | उत्पादक | संतानवृद्धि, उत्पादन शक्ति की वृद्धि |
न: | वरुण | रस | भावुकता, सरलता, कला से प्रेम, दूसरों के लिए दयाभावना, कोमलता, प्रसन्नता, आर्द्रता, माधुर्य, सौन्दर्य |
प्र: | नारायण | आदर्श | महत्वकांक्षा-वृद्धि, दिव्य गुण-स्वभाव, उज्जवल चरित्र, पथ-प्रदर्शक कार्यशैली |
चो: | हयग्रीव | साहस | उत्साह, वीरता, निर्भयता, शूरता, विपदाओं से जूझने की शक्ति, पुरुषार्थ |
द: | हंस | विवेक | उज्जवल कीर्ति, आत्म-संतोष, दूरदर्शिता, सत्संगति, सत्-असत् का निर्णय लेने की क्षमता, उत्तम आहार-विहार |
यात्: | तुलसी | सेवा | लोकसेवा में रुचि, सत्यनिष्ठा, पातिव्रत्यनिष्ठा, आत्म-शान्ति, परदु:ख-निवारण |
गायत्री मंत्र जप के लाभ
गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं, जो चौबीस शक्तियों और सिद्धियों के प्रतीक हैं। इसलिए ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी करने वाला बताया है।
इस 24 गायत्री मंत्र के कोई भी एक गायत्री मंत्र जो आपका उपास्य देव या देवता हे ,नियमित रूप से का सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ कम होती हैं और उसकी मानसिक ताकत बढ़ती है।
मन्त्र जप से मानसिक चिंताएं कम होती हैं और मन की शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा जप से बौद्धिक क्षमता और मेधा शक्ति बढ़ती है, जिससे स्मरण शक्ति में सुधार होती है।
24 गायत्री मंत्र Pdf
Faqs
[saswp_tiny_multiple_faq headline-0=”h4″ question-0=”गायत्री मंत्र के 24 अक्षर कौन कौन से हैं?” answer-0=”गायत्री मंत्र के 24 अक्षर होते हैं। तत्: स: वि: तु: व: रे: णि: यं: भ : र्गो : दे : व : स्य : धी : म : हि : धि : यो : यो : न: प्र : चो : द : यात्” image-0=”” headline-1=”h4″ question-1=”पितृ गायत्री मंत्र कौन सा है?” answer-1=”पितृ गायत्री मंत्र: ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्.” image-1=”” headline-2=”h4″ question-2=”गायत्री माता किसका अवतार है?” answer-2=”गायत्री माता ,भगवान ब्रह्मा के अवतार माना जाता है। मां पार्वती, सरस्वती, लक्ष्मी की अवतार भी गायत्री को कहा जाता है।” image-2=”” count=”3″ html=”true”]यह भीं पढ़े :
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