कार्तिकेय मंत्र | Skanda Sashti Mantra | कार्तिकेय ध्यान मंत्र

कार्तिकेय उपासना

स्कंद षष्ठी, शास्त्रों के अनुसार, एक विशेष महत्वपूर्ण दिन है जिसे कार्तिकेय उपासना के लिए चुना जाता है। इस दिन कार्तिकेय, भगवान शिव-पार्वती के पुत्र, की पूजा करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता मिलती है।

इस विशेष दिन को धार्मिकता के अनुसार मान्यता प्राप्त है, और भक्त इस दिन उपासना करके अपने जीवन को शुभारंभ करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन को महत्वपूर्णता से भरा गया है क्योंकि स्कंदपुराण के अनुसार इसी दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर को वध किया था।

स्कंद षष्ठी व्रत के दिन, भक्तों को उच्च योगों की प्राप्ति होती है और उन्हें काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, ईष्र्या, और अहंकार से मुक्ति मिलती है। व्रत के दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना और दुखों का नाश करने के लिए भक्त इस विशेष उपासना को आत्मसमर्पण से मनाते हैं। स्कंद षष्ठी व्रत ने संतान की प्राप्ति और उसकी पीड़ाओं के शमन के लिए भी अपने महत्व को साबित किया है।

भगवान कार्तिकेय मंत्र

स्कंद षष्ठी पर, भगवान कार्तिकेय का पूजन करना विशेष महत्वपूर्ण है, जैसा कि मंत्रपुराणों में उल्लेख है। इस दिन को भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए विशेष रूप से धर्मग्रंथों में विधान बताया गया है। शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को युद्ध का देवता माना जाता है, और उन्हें शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। उन्हें दक्षिण भारत में मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है।

कार्तिकेय ध्यान मंत्र

कार्तिकेय मंत्र -कार्तिकेय ध्यान मंत्र

ॐ कार्तिकेयं महाभागं मयूरपरिसंस्थितम्।
तप्तकाञ्चन वर्णाभङ्ग शक्तिहस्तं बरप्रदम्।
द्विभुजं शत्रुहन्तारं नानालङ्कार भूषितम्।
प्रसংযবदनं देवं कुमारं पुत्रदायकम्।।

शत्रु नाश के लिए मंत्र

ऊं शारवाना-भावाया नमः
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
ऊं सुब्रहमणयाया नमः 

हिंदी अर्थ: अपने चेतन में शारवान के भाव को प्राप्त करने वाले, ज्ञान और शक्ति के धारक स्कंद, वल्ली के सखा, एककल्याणशील, सुंदर, देवसेना के मन का प्रिय, कार्तिकेय, तुम्हें मेरा नमन है। ॐ सुब्रह्मण्याय नमः।”

इस मंत्र का जाप शत्रुनाश के लिए किया जा सकता है और इसे ध्यान में रहकर जपने से भक्त को सुरक्षा और शत्रुओं के प्रति सतर्कता मिलती है।

Om Sharavana-bhavaya Namaha
Gyaanashaktidhara skanda valliikalyaana sundara
Devasenaa manah kaanta kaartikeya namo-as-tute
Om subrahmanyaaya namah.

 

Kartikeya Gayatri Mantra in Hindi

दुखों और कष्टों का नाश करने के लिए भगवान कार्तिकेय का गायत्री मंत्र निम्न है:

ओम तत्पुरुषाय विधमहे:
महा सैन्या धीमहि
तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:
Om Thatpurushaya Vidhmahe
Maha Senaya Dhimahi
Thanno Skanda Prachodhayath’

प्रसन्न करने के लिए कार्तिकेय मंत्र

हरे मुरूगा हरे मुरूगा शिवा कुमारा हरो हरा
हरे कंधा हारे कंधा हारे कंधा हरो हरा
हरे षण्मुखा हारे षण्मुखा हारे षणमुखा हरो हरा
हरे वेला हरे वेला हारे वेला हरो हरा
हरे मुरूगा हरे मुरूगा ऊं मुरूगा हरो हरा

Harey Muruga Harey Muruga Shiva Kumara Haro Hara
Harey Kandha Harey Kandha Harey Kandha Haro Hara
Harey Shanmukha Harey Shanmukha Harey Shanmukha Haro Hara
Harey Vela Harey Vela Harey Vela Haro Hara
Harey Muruga Harey Muruga Om Muruga Haro Hara

किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए कार्तिकेय के मंत्र

किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए निम्नलिखित मंत्र जाप करें

सुब्रहमणयाया नम:।

इन मंत्रों का निरंतर जाप करने से सभी जीवन की कठिनाइयां दूर हो सकती हैं और जीवन में समृद्धि आ सकती है। भगवान कार्तिकेय की पूजा मनोकामना सिद्धि के लिए सार्थक होती है और इसमें सहायता कर सकती है।

भगवान कार्तिकेय प्रमुख मंत्र

  1. ॐ श्री स्कन्दाय नमः
  2. ॐ शरवण भवाय नमः
  3. ॐ श्री सुब्रमण्यम स्वामीने नमः
  4. ॐ श्री स्कन्दाय नमः
  5. ॐ श्री षष्ठी वल्ली युक्त कार्तिकेय स्वामीने नमः

सफलता प्राप्ति के लिए कार्तिकेय मंत्र

अपनी सफलता की प्राप्ति के लिए निश्चित रूप से जाप करें।

आरमुखा ओम मुरूगा
वेल वेल मुरूगा मुरूगा
वा वा मुरूगा मुरूगा
वादी वेल अज़्गा मुरूगा
अदियार एलाया मुरूगा
अज़्गा मुरूगा वरूवाई
वादी वेलुधने वरूवाई

भगवान कार्तिकेय की पूजा से मां पार्वती और भगवान महादेव, देवों के देव, बहुत प्रसन्न होते हैं। उनकी बड़ी संतान के कारण, भगवान कार्तिकेय की पूजा को गणेश की पूजा के समान महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान कार्तिकेय की पूजा से किसी भी प्रकार के संकटों का सामना करना आसान होता है, और व्यक्ति अपने सम्पर्क में रहने वाले लोगों के साथ कभी भी शत्रुता महसूस नहीं करेगा। घर में सुख और शांति सदैव बनी रहती है, और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

कार्तिकेय पूजन बिधि.

पूजा के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  • स्कंद षष्ठी के दिन दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्‍नान करें और फिर कार्तिकेय की स्थापना करें।
  • भगवान को स्नान करा कर नए वस्त्र पहनाएं और फिर पूजन करें, साथ में शिव-पार्वती की पूजा करें।
  • भगवान कार्तिकेय के आगे अखंड दीपक जलाएं।
  • स्कंद षष्ठी के महात्म्य सुनें अथवा पढ़ें, मंत्रों का जाप करें और कथा श्रवण करें।
  • फल, मिठाई का भोग लगा कर परिवारजनों को प्रसाद बांटें।
  • ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।
  • इस दिन मांस, शराब, प्याज, लहसुन आदि का त्याग करें।

स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करें, कम से कम एक माला (108 बार) मंत्र जाप करना चाहिए। इसके अलावा, आप यदि सभी प्रकार के दुखों और कष्टों का नाश चाहते हैं तो कार्तिकेय गायत्री मंत्र का पाठ कर सकते हैं।

Kartikeya Mantra Benefits in Hindi

कार्तिकेय मंत्र के उपयोग के कई लाभ हो सकते हैं. यहां कुछ महत्वपूर्ण लाभ दिए जा रहे हैं:

  • शत्रुनाश (Destruction of Enemies): कार्तिकेय मंत्र का जाप शत्रुओं के प्रति सुरक्षा एवं उनके नाश में सहायक हो सकता है।
  • सुरक्षा एवं सफलता (Protection and Success): इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से व्यक्ति को सुरक्षा मिल सकती है और उसके कार्यों में सफलता हो सकती है।
  • आत्मविकास (Self-Development): कार्तिकेय मंत्र का जाप व्यक्ति के आत्मविकास में मदद कर सकता है, उसे आत्म-विशेषज्ञान और सामर्थ्य में सुधार हो सकता है।
  • उच्च उद्दीपन (Higher Enlightenment): कार्तिकेय मंत्र का जाप व्यक्ति को उच्च बोधि और उद्दीपन की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है।
  • आत्मा की शान्ति (Inner Peace): मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति अपनी आत्मा की शान्ति और सांत्वना प्राप्त कर सकता है।
  • संतुलन और साहस (Balance and Courage): कार्तिकेय मंत्र से व्यक्ति में संतुलन और साहस की भावना बढ़ सकती है, जिससे वह जीवन के चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर सकता है।
  • पारिवारिक सुख (Family Well-being): कार्तिकेय मंत्र का प्रचलन पारिवारिक सुख और समृद्धि की कड़ी में भी है, और इसका जाप परिवार के सदस्यों के भले भविष्य के लिए किया जा सकता है।

यदि व्यक्ति किसी विशेष उद्देश्य के लिए कार्तिकेय मंत्र का जाप कर रहा है, तो वह अपने शास्त्रागार या गुरु की सलाह प्राप्त करें, ताकि सही दिशा में और सही रूप से इसे अपनाया जा सके।

FaQs

कार्तिकेय की पूजा व्रत कब करें ?

यह व्रत प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। वर्ष के किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह व्रत आरंभ किया जा सकता है, लेकिन चैत्र अथवा आश्विन मास की षष्ठी को इस व्रत को आरंभ करने का प्रचलन अधिक है।

कार्तिकेय को दक्षिण में क्या नाम से जाना जाता हे ?

कार्तिकेय को दक्षिण में “मुरुगन” नाम से जाना जाता है। इन नामों का प्रचलन विशेषकर तमिलनाडु और केरला राज्यों में है, जहां उन्हें इसी रूप में पूजा जाता है।

कार्तिकेय ध्यान मंत्र क्या हे?

कार्तिकेय ध्यान मंत्र –
ॐ कार्तिकेयं महाभागं मयूरपरिसंस्थितम्।
तप्तकाञ्चन वर्णाभङ्ग शक्तिहस्तं बरप्रदम्।
द्विभुजं शत्रुहन्तारं नानालङ्कार भूषितम्।
प्रसংযবदनं देवं कुमारं पुत्रदायकम्।।

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