Shiv Panchakshar Stotra Lyrics | शिव पंचाक्षर स्तोत्र अर्थ सहित

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Published:
19 March 2024
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शिव पंचाक्षर स्तोत्र (Shiv Panchakshar Stotra) एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा और प्रशंसा के लिए लिखा गया है। इस स्तोत्र में पंच अक्षरों (“नमः शिवाय”) का महत्व प्रमुख है, जो भगवान शिव के लिए पवित्र माना जाता है। यह स्तोत्र शिव भक्तों के बीच विशेष रूप से प्रसिद्ध है और उनके द्वारा नियमित रूप से जपा जाता है। इस स्तोत्र में भगवान शिव की आशीर्वादात्मक शक्ति और उनके महत्त्व का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र शिव भक्तों के द्वारा भगवान शिव की पूजा, ध्यान और स्तुति में प्रयोग किया जाता है।

Shiv Panchakshar Stotra | शिव पंचाक्षर स्तोत्र अर्थ सहित

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै काराय नमः शिवाय ॥१॥

मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै काराय नमः शिवाय ॥२॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै काराय नमः शिवाय ॥४॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै काराय नमः शिवाय ॥५॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

हिंदी अर्थ व अनुबाद

नमस्ते उन शुद्ध अविनाशी महेश्वर को, जिनके गले में सर्पों की माला है, जिनकी तीनों आँखें हैं, जिनका अंगराग भस्म है, और जिनकी वस्त्र हैं ही दिशाएँ, अर्थात् जो निर्वस्त्र हैं। उन महेश्वर को नमस्कार॥१॥

जिनकी आराधना गंगाजल और चंदन से की गई है, और जिनकी पूजा मन्दार-पुष्प और अन्य फूलों से भलीभांति की गई है। जो नंदी के आदिपति हैं, और शिवगणों के स्वामी महेश्वर है, उन शिव को नमस्कार है॥२॥

जो कल्याणस्वरूप हैं, पार्वतीजी के मुखकमल को प्रसन्न करने के लिए सूर्यस्वरूप हैं, जो दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले हैं, जिनकी ध्वजा में वृषभ (बैल) का चिह्न शोभायमान है, उन नीलकण्ठ शिव को नमस्कार है॥३॥

वसिष्ठ मुनि, अगस्त्य ऋषि, गौतम ऋषि, और इन्द्र आदि देवताओं ने जिनके मस्तक की पूजा की है, चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र हैं, ऐसे व शिव को नमस्कार है॥४॥

जो यक्ष बनकर आए हैं, जो जटाओं वाले हैं, जिनके हाथ में पिनाक है, जो अनंत और दिव्य हैं, उन नंगे भगवान को नमस्कार है॥५॥

जो शिव के करीब इस पवित्र पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी के साथ आनंदित होता है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के फायदे (Shiv Panchakshar Stotra Benefits)

ज्ञान समृद्धि, सांसारिक लाभ, और मानसिक शांति – ये सभी लाभ मिलते हैं जब शिव पंचाक्षर मंत्र का नियमित जाप किया जाता है। धर्म में इस मंत्र के उच्चारण का महत्व माना जाता है, जिससे आत्म संतुष्टि होती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। इसके नियमित उच्चारण से इंद्रियों का जागरूकता में वृद्धि होती है और कई शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस मंत्र के जप से कर्म की शुभता में वृद्धि होती है और जीवन में सार्थकता आती है। इसके अलावा, यह मंत्र मन को शांति और चिंताओं से मुक्ति प्रदान करता है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र Pdf


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