Somvati Amavasya 2024 List : सोमवती अमावस्या हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण दिन मानी जाती है। यह अमावस्या उस दिन होती है जब सोमवार अमावस्या का समय बनता है। 2024 में भी इस महत्वपूर्ण दिन की कई तिथियाँ हैं। इस लेख में, हम इस वर्ष की सोमवती अमावस्या की सूची के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है और इसलिए यह अमावस्या उनके भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है।
सोमवती अमावस्या के दिन लोग पूजा-पाठ, पितरों का तर्पण, स्नान-दान आदि करते हैं। इस दिन किसी भी पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए भी अमावस्या को अच्छा समय माना जाता है। बहुत से लोग इस दिन श्राद्ध आदि भी करते हैं।
सोमवती अमावस्या 2024 की सूची (Somvati Amavasya 2024 List)
2024 में सोमवती अमावस्या का पहला दिन 8 अप्रैल को है। यह चैत्र मास की अमावस्या होगी। इसके बाद, 2 सितंबर को भाद्रपद मास की अमावस्या होगी। और साल के अंत में, 30 दिसंबर को पौष मास की अमावस्या होगी।
इस वर्ष, इन सोमवती अमावस्या के दिनों पर ध्यान और आध्यात्मिक साधना में लगने का अच्छा मौका है, जिससे आप अपने जीवन में शांति और संतोष का अनुभव कर सकते हैं।
1. 8 अप्रैल 2024 (चैत्र अमावस्या):
- तिथि प्रारंभ: 8 अप्रैल 2024, सुबह 03:21 बजे
- तिथि समाप्त: 8 अप्रैल 2024, रात 11:50 बजे
चैत्र माह की अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहा जाता है और यह अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन व्रत, पूजा, और दान करने से बहुत ही शुभ फल प्राप्त होता है।
2. 2 सितंबर 2024 (भाद्रपद अमावस्या):
- तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2024, सुबह 05:21 बजे
- तिथि समाप्त: 3 सितंबर 2024, सुबह 07:24 बजे
भाद्रपद माह की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या कहा जाता है। इस दिन कई लोग गंगा नदी में स्नान करने के लिए गए रहते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं।
3. 30 दिसंबर 2024 (पौष अमावस्या):
- तिथि प्रारंभ: 30 दिसंबर 2024, सुबह 04:01 बजे
- तिथि समाप्त: 31 दिसंबर 2024, सुबह 03:56 बजे
पौष माह की अमावस्या को पौष अमावस्या कहा जाता है। इस दिन कई लोग अपने पितृदेवों की पूजा करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
अमावस्या का महत्व
अमावस्या का महत्व हिंदू धर्म में दोनों अच्छे और बुरे पक्षों से जुड़ी है। कुछ लोग इसे अशुभ दिन मानते हैं, जब दुष्टता और अस्थिरता की भावना अधिक होती है। इसके कारण लोग अधिक भावुक और उदास महसूस कर सकते हैं।
लेकिन जब अमावस्या सोमवार को पड़ती है, तो इसका महत्व बढ़ जाता है। महिलाएं इस दिन विशेष उपवास अनुष्ठान करती हैं, जिसे गर्भवती होने के लिए प्रशंसा किया जाता है। लोग यह भी मानते हैं कि इस दिन व्रत करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
अमावस्या सदैव अशुभ नहीं होती; यह कर्म से जुड़ा है, जो हमारे कार्यों के परिणामों का प्रतिबिम्ब होता है। लोग इस दिन को कार्यों के बारे में सोचने, अपने अतीत के किसी भी कर्ज को चुकाने और नई शुरुआत करने के लिए उपयोग करते हैं। उन्हें आशीर्वाद और धन की आशा में देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
अमावस्या का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इस दिन उपवास करना किसी भी इच्छा को पूरा करने का एक साधन माना जाता है। भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग अमावस्या पर व्रत रखते हैं, देवी-देवताओं से आशीर्वाद मांगते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति की उम्मीद करते हैं। यह एक ऐसा समय है जब व्यक्ति अपना ध्यान आध्यात्मिक दुनिया की ओर केंद्रित करते हैं, आध्यात्मिक प्रथाओं में संलग्न होते हैं और अपनी इच्छाओं और इच्छाओं की पूर्ति की उम्मीद करते हैं।
इस तरह से, 2024 में सोमवती अमावस्या की तिथियों (Somvati Amavasya 2024 List) का अवलोकन करते हुए, हमें इस आध्यात्मिक यात्रा के महत्व को समझने का अवसर मिलता है। यह दिन ध्यान, धार्मिकता, और आत्मा के संबंध को स्थायी करने का अद्वितीय अवसर है।
FaQs
सोमवती अमावस्या पर कौन-कौन से कार्यों को नहीं करना चाहिए?
सोमवती अमावस्या पर कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए, जैसे कि शादी, गृहप्रवेश, या नए काम की शुरुआत। इसके अलावा, तामसिक भोजन और वाद-विवाद से भी बचना चाहिए।
सोमवती अमावस्या के दिन किसे पूजा जाता है?
सोमवती अमावस्या को पितृदेव का आश्रय दिया जाता है। इस दिन पितृदेव की पूजा करके पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
सोमवती अमावस्या के दिन किन-किन कामों को किया जा सकता है?
सोमवती अमावस्या के दिन व्यक्ति किसी धार्मिक पूजा या ध्यान को समर्पित कर सकते हैं और पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों का सम्मान कर सकते हैं। वह ध्यान और मनन के लिए इस दिन का उपयोग कर सकते हैं।
सोमवती अमावस्या कब आती है?
सोमवती अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के विभिन्न महीनों में आती है। इसे सोमवार को आती है और यह अमावस्या उसी दिन के साथ जुड़ी होती है। यह तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार निर्धारित की जाती है और प्रत्येक माह में एक बार होती है।
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