भारतीय संस्कृति में गौ माता को मान्यता और महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गौ माँ को सेवा करने और पूजन करने को धार्मिक दायित्व भी माना जाता है ,और इसकी संवर्धना का भी दीया जाता है।
“गौ माता – विश्व शांति और समृद्धि के लिए, उससे कोई दूसरा नहीं। लाखों वर्षों से माँ को लौकिक और पारमार्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना गया है, इसलिए उसे विश्व की माता का रूप में स्वीकार किया जाता है। ‘गावो विश्वस्य मातर:’ गौ माता के शरीर में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है। उसकी रक्षा के लिए हर बार भगवान का अवतार होता है। संत प्रवर तुलसी दास कहते हैं – ‘विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार।'”
इस लेख में, गौ माता के सभी मंत्रों के संकलन है। यह मंत्र आपकी आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति में मदद करने के साथ-साथ आपके जीवन को भी धन, स्वास्थ्य और समृद्धि से भर देंगे। तो चलिए, जानते हैं के इन प्रमुख मंत्रों के बारे में।
गौ माता के मंत्र |Gau Mata mantra
गाय को घास ,अन्न , गुड़ , रोटी या कुछ भी खिलाते समय ; हर एक ग्रास देते समय , हर बार बोले
भो गौ मातरः इदं अन्नं समर्पयामि कल्याणम कुरु
गौ रक्षा का मंत्र
ॐ नमो भगवते त्र्यम्बकायोपशमयोपशमय चुलु चुलु मिलि मिलि भिदि भिदि गोमानिनि चक्रिणि हूँ फट् । अस्मिन्प्रामे गोकुलस्य रक्षां कुरु शान्तिं कुरु कुरु ठ ठ ठ ।। (अग्नि पुराण: ३०२.२९-३०)
गौ नमस्कार मंत्र । गौ माता को नमस्कार करने के मन्त्र
नमो गोभ्यः श्रीमतीभ्यः सौरभेयीभ्य एव च। नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नमः ॥ गावो ममाग्रतः सन्तु गावो मे सन्तु पृष्ठतः । गावो मे पार्श्वयोः सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम! || या लक्ष्मी सर्व भूतानां या च देवी व्यवस्थिता । धेनु रूपेण सा देवी मम पापं व्यपोहतु || त्वं देवी त्वं जगन्माता त्वमेवासि वसुन्धरा । गायत्री त्वं च सावित्री गंगा त्वं च सरस्वती ॥ भूतप्रेत पिशाचांश्च पितृ दैवत मानुषान् । सर्वान् तारयसे देवि नरकात्पाप संकटात् |
गौ माता गायत्री मंत्र | Gau Mata gayatri Mantra
ॐ सर्व देव्यैः बिद्महे मातृरूपाय धीमहि तन्नो धेनुः प्रचोदयात् ॥
गौ माता का बीज मंत्र |
गौ बीज मंत्र गौ तंत्र से उत्पन्न हुआ है। इस मंत्र का उत्पत्ति भगवान शिव और देवी पार्वती के बीच हुआ वार्ता के दौरान हुआ था। यह अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है जिसे सिद्धियों की रक्षा के लिए जपा जाता है।
यह मंत्र सिद्धियों की रक्षा करने के साथ-साथ नई सिद्धियाँ प्राप्त करने में भी सहायक है, जितनी बार इसे जपा जाए। इस मंत्र को 4,00,000 बार जपने से पहले सिद्धियों की रक्षा होती है, और 1 करोड़ बार जपने से व्यक्ति को वाक सिद्धि प्राप्त होती है (जो भी वह कहता है, वह हो जाता है)। माना जाता है कि इसके जीभ पर देवी सरस्वती बैठी होती है और उसके शब्दों में इतनी शक्ति होती है कि जो भी वह कहता है, वह हो जाता है।
ॐ गौ नमः
गोग्रास नैवेद्य-मन्त्र
सुरभिात्वं जगन्मातर्देवि विष्णुपदे स्थिता। सर्वदेवमयी ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस।।
प्रदक्षिणा मन्त्र
गवां दृष्ट्वा नमस्कृत्य कुर्याच्चैव प्रदक्षिणम् । प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तद्वीपा वसुन्धरा ।। सर्वभूतानां गाव: सर्वसुखप्रदाः। वृद्धिमाकाङ्क्षता पुंसा नित्यं कार्या प्रदक्षिणा ॥
गौ माता पूजन मंत्र |
भारतीय संस्कृति में गौ को माता मानकर पूजा जाता है, जिसे गोदान का सर्वश्रेष्ठ दान माना जाता है। गाय ने सभी जीवों को पोषण देने में अपना योगदान दिया है, और इसलिए उसे “गावो विश्वस्य मातरः” कहा गया है। गौ माता मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, तालाब, खेत, जंगल, हवा, पानी, आकाश आदि का पालन-पोषण करती है और उन्हें शुद्ध और पवित्र बनाए रखती है। गोमूत्र और गौशाला के साथ पूजन से रोगों का नाश होता है और जीवन को सुखमय बनाए रखता है।
मंगलाचरण, पवित्रीकरण, तिलक, कलावा, और गौशाला के भूमि पूजन के बाद (स्पर्श) गुरु, गायत्री, गणेश, और गौरी की आवाहन करने के बाद, गोपाल और गोमाता का आवाहन पूजन करें।
गोपाल आवाहन
ॐ वसुदेव सुतं देवं, कंस चाणूर मर्दनम् ।। देवकी परमानन्दं, कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।
गौमाता पूजन मंत्र
ॐ आवाहयाभ्याम् देवीं, गां त्वां त्रैलोक्यामातरम् ।। यस्यां स्मरणमात्रेण, सर्वपाप प्रणाशनम् ।। त्वं देवीं त्वं जगन्माता, त्वमेवासि वसुन्धरा । गायत्री त्वं च सावित्री, गंगा त्वं च सरस्वती।। आगच्छ देवि कल्याणि, शुभां पूजां गृहाण च। वत्सेन सहितां माता, देवीमावाहयाम्यहम्।।
आवाहन के पश्चात सभी दैवी शक्तियों को पुरुषसूक्त (पृष्ठ १८६ से १९८) के माध्यम से षोडशोपचार पूजन करें। इसके बाद
गोग्रास अर्पण
ॐ सुरभिवैष्णवी माता नित्यं विष्णुपदे स्थिता ।। ग्रासं गृह्यातु सा धेनुर्यास्ति त्रैलोक्यवासिनी ।। ॐ सुरभ्यै नमः। नैवेद्यं निवेदयामि ।। पुष्पाञ्जलि/ माला अर्पण ॐ गोभ्यो यज्ञा प्रवर्तन्ते , गोभ्यो देवाः समुत्थिताः ।। गोभ्यो वन्दाः समुत्कीर्णाः, सषडगं पदक्रमाः ।। ॐ सुरभ्यै नमः पुष्पाञ्जलीं / पुष्प मालां समर्पयामि
संकल्प
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुःश्रीमद्भगवतो
महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया
प्रवर्तमानस्य अद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीये
परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे
वैवस्वतमन्वन्तरे भूर्लोके जम्बूद्वीपे
भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तैकदेशान्तर्गते……..क्षेत्रे……..स्थल……..मासानामासोत्तमे मासे……..पक्षे……..तिथौ……..वासरे……..
गोत्रोत्पनः……..नामाहं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफल प्राप्तये
ज्ञाताज्ञातानेकजन्मार्जित पापशमनार्थं धनधान्यआयुः- आरोग्यं निखिल
वाञ्छित सिद्धये पितृणां निरतिशयानन्द
ब्रह्मलोकावाप्तये च इमां सुपूजितां सालङ्कारां सवत्सांगौ……..निमित्तं तुभ्यमहं सम्प्रददे।
तदुपरान्त गौमाता की यानि- कानि……..या सप्तास्यासन……..मन्त्र से परिक्रमा करें। गौमाता की आरती उतारें। सभी दैवी शक्तियों को प्रणाम कर शान्तिपाठ के साथ कार्यक्रम समाप्त क
गौ माता के श्लोक
गोहत्यां ब्रह्महत्यां च करोति ह्यतिदेशिकीम्। यो हि गच्छत्यगम्यां च यः स्त्रीहत्यां करोति च ॥ भिक्षुहत्यां महापापी भ्रूणहत्यां च भारते। कुम्भीपाके वसेत्सोऽपि यावदिन्द्राश्चतुर्दश ॥
गौ माता के दोहे |
गौ माता के दोहों में उनकी महिमा, प्रेम, समर्पण, और सेवा का वर्णन है। ये दोहे गौ माँ के चरणों में चरण देने, उनकी सेवा करने, कर्म में धर्म का पालन करने, गौ माँ के दूध की महत्वपूर्णता, और उनकी कृपा का महत्त्व बताते हैं। ये दोहे लोगों को गौ माँ के प्रति समर्पित रहकर उनकी सेवा करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं, और उनसे सुख, समृद्धि, और शांति की कामना करते हैं।
गौ चरन मे चरन देउ, सभी दुखों को हर लेउ।
गौ धन गज धन बाजि धन और रतन धन खानि। जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि सम्मान।
सर्वोपनिषद : गावो दोग्धा गोपाल नंदन:। पार्थो वत्स: सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत्।।
श्याम सुरभि पय विसद अति गुनद करहिं जेहि पान। गिरा ग्राम्य सिय राम यश गावङ्क्षह सुनहिं सुजान।
जेहि जेहि देस धेनु द्विज पावहु। नगर गांव पुर आग लगावहु। शुभ आचरण कतहूं नहि होई। विप्र धेनु सुर मान न कोई।
गौ माता सुविचार
सब वेद पुराण गाय की महिमा गाते है,
गाय की रक्षा करने स्वयं भगवान आते है.
गो पूजन का पर्व सभी यह प्रणकर आज मनाएं,
भारत की पावन भूमि से कटता गोवंश बचाएं
जीवन के उच्च आदर्श अपने हृदय में धरो,
गाय-बछड़ो की सेवा और रक्षा करो.
जब गाय नहीं होगी तो गोपाल कहाँ होंगे,
इस दुनिया में हम सब खुशहाल कहाँ होंगे.
जिनकी सेवा कर के नर भव से तर जाता,
सब देवो का अंश समेटे है गौ माता.
घास-फूस खाकर बदले में दूध हमे देती है,
करती है उपकार, न कुछ हमसे लेती है.
गौ माता का महत्व
गौ माता का महत्व भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा में विशेष है। गौ मा, या गाय, हिन्दू धर्म में पवित्र और समर्पित मानी जाती है। यहां कुछ क्षेत्रों में गौ माता का महत्व है:
- पवित्रता का प्रतीक: गौ माता को हिन्दू धर्म में मातृका और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। उसे देवी की स्थानीयता दी जाती है और उसके साथ सेवा और समर्पण का आदान-प्रदान किया जाता है।
- गौ मा का दूध: गौ माँते का दूध हिन्दू परंपरा में आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उसका दूध धार्मिक रूप से पवित्र माना जाता है और यह आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी उपयोग होता है।
- कृषि और गौ-रक्षा: गौ माँते का साक्षात्कार भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसकी गोमूत्र और गोवर्ण उर्वरक कृषि में उपयोग होते हैं।
- धार्मिक और सांस्कृतिक समर्थन: गौ माता की रक्षा और सेवा हिन्दू समाज में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कर्तव्य मानी जाती है। गौरक्षा अभियान धर्म, समृद्धि और सामाजिक संबंध को मजबूत करने का एक साधक है।
- पर्यावरण संरक्षण: गौ मा की रक्षा से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण पहलु यह है कि गौशालाओं के माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण होता है। गौ माता के साथीपन से उत्पन्न उर्वरक का भी पर्यावरण में उपयोग होता है।
इस प्रकार, गौ माता का महत्व हिन्दू समाज में एक सामाजिक, आर्थिक, और आध्यात्मिक संबंध से जुड़ा हुआ है और यह समृद्धि और समान्तरता के मार्ग में एक मार्गदर्शक भूमिका निभाता है।
गौ माता मंत्र Pdf
FaQs
गौ माता में कितने देवताओं वास है ?
हिंदू धर्म में मान्यता है कि गौ माता में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है।इनमें समाहित हैं – 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र, और 2 अश्विनी कुमार। इनका कुल योग 33 है।
गौ माता की बीज मंत्र क्या है ?
गौ बीज मंत्र गौ तंत्र से उत्पन्न हुआ है ।गौ माता की बीज है – ॐ गौ नमः
गौ माता की गायत्री मंत्र क्या है ?
गौ माता की गायत्री मंत्र – ॐ सर्व देव्यैः बिद्महे मातृरूपाय धीमहि तन्नो धेनुः प्रचोदयात् ॥
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