Ekadashi 2024 List : एकादशी का नाम सुनते ही हिन्दू धर्म के अनेक श्रद्धालु भक्त अपने विशेष त्योहारों को याद करते हैं। एकादशी का यह महत्व है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक धार्मिक उत्सव है जिसमें श्रद्धालु व्रत रखते हैं और विष्णु भगवान की पूजा करते हैं। इस उत्सव के दौरान, विशेष रूप से धार्मिक पुराने कथाओं को सुना जाता है जो भक्तों को आध्यात्मिक उत्साह देती हैं। यहाँ एकादशी 2024 की तिथियों की सूची है:
Ekadashi 2024 List:
एकादशी व्रत लिस्ट 2024 pdf
एकादशी का नाम | तिथि | पक्ष |
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सफला एकादशी | 7 जनवरी 2024 | पौष कृष्ण |
पुत्रदा एकादशी | 21 जनवरी 2024 | पौष शुक्ल |
षट्तिला एकादशी | 6 फरवरी 2024 | माघ कृष्ण |
जया एकादशी | 20 फरवरी 2024 | माघ शुक्ल |
विजया एकादशी | 7 मार्च 2024 | फाल्गुन कृष्ण |
आमलकी एकादशी | 20 मार्च 2024 | फाल्गुन शुक्ल |
पापमोचनी एकादशी | 5 अप्रैल 2024 | चैत्र कृष्ण |
कामदा एकादशी | 19 अप्रैल 2024 | चैत्र शुक्ल |
वरुथिनी एकादशी | 4 मई 2024 | वैशाख कृष्ण |
मोहिनी एकादशी | 19 मई 2024 | वैशाख शुक्ल |
अपरा एकादशी | 3 जून 2024 | ज्येष्ठ कृष्ण |
निर्जला एकादशी | 18 जून 2024 | ज्येष्ठ शुक्ल |
योगिनी एकादशी | 2 जुलाई 2024 | आषाढ़ कृष्ण |
हरिशयनी एकादशी | 17 जुलाई 2023 | आषाढ़ शुक्ल |
कामिका एकादशी | 31 जुलाई 2023 | श्रावण कृष्ण |
पवित्रा एकादशी | 16 अगस्त 2023 | श्रावण शुक्ल |
अजा एकादशी | 29 अगस्त 2024 | भाद्रपद कृष्ण |
पद्मा एकादशी | 14 सितंबर 2024 | भाद्रपद शुक्ल |
इंदिरा एकादशी | 28 सितंबर 2024 | अश्विन कृष्ण |
पापाकुंश | 14 अक्टूबर 2024 | अश्विन कृष्ण |
रमा एकादशी | 28 अक्टूबर 2024 | कार्तिक कृष्ण |
हरिप्रबोधिनी एकादशी | 12 नवंबर मंगलवार 2024 | कार्तिक शुक्ल |
उत्पन्ना एकादशी | 11 दिसंबर 2024 | मार्गशीर्ष शुक्ल |
मोक्षदा एकादशी | 11 दिसंबर 2024 | मार्गशीर्ष शुक्ल |
सफला एकादशी | 26 दिसंबर 2024 | पौष कृष्ण |
एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी का व्रत हरी दिन और हरि वासर के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह धार्मिक अवसर हरी भक्तों के बीच बहुत महत्वपूर्ण है और वे इसे विशेष आदर से मानते हैं। वैष्णव समुदाय के साथ ही गैर-वैष्णव समुदाय भी इसे महत्वपूर्ण मानते हैं और इसे धारण करते हैं।
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है, जब व्रती व्यक्ति विशेष प्रकार की आहार लेता है। धार्मिक पाठक्रम में इसे पुण्यकाल माना जाता है, जो कि व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति प्रदान करता है। यह धारणा है कि एकादशी व्रत से व्यक्ति के दुष्कर्मों का नाश होता है और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
एकादशी के दिन व्रती लोग अन्न, जैसे चावल और दाल, का सेवन नहीं करते हैं। यह अन्न रहित व्रत उनकी श्रद्धा का प्रतीक होता है और इसे अपने आत्मा को शुद्ध करने का एक तरीका माना जाता है। इस व्रत के माध्यम से व्रती व्यक्ति अपने मन, वचन और कर्म को पवित्र बनाने का प्रयास करते हैं, जो कि उन्हें आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।
एकादशी व्रत एक पावन परंपरा है जो भक्तों को अपने आध्यात्मिक साधना में मदद करती है और उन्हें भगवान के प्रति अधिक निष्ठा और प्रेम का अनुभव कराती है। इसे मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से व्यक्ति की आत्मा को शुद्धि मिलती है और उसे दिव्यता की ओर अग्रसर करती है।
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एकादशी व्रत के नियम
एकादशी व्रत-उपवास के नियम:
- दशमी के दिन निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करें, जैसे मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि।
- रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें और भोग-विलास से दूर रहें।
- एकादशी के दिन लकड़ी का दातुन न करें, उपवासी पदार्थ सेवन करें और गीता पाठ करें।
- भगवान के सामने प्रणाम करें और अपनी प्रार्थना करें।
- योग्य दान करें, किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि न लें।
- व्रत का पारण त्रयोदशी को करें।
- एकादशी के दिन निषेध फलों का सेवन करें और प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर ग्रहण करें।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न, दक्षिणा दें।
- क्रोध न करें और मधुर वचन बोलें।
एकादशी व्रत पूजा विधि
एकादशी पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करें, इसके बाद अन्य स्नानादि क्रियाएं पूरी करें।
- घर के मंदिर में दीप जलाएं और मंत्रों के साथ भगवान का स्मरण करें।
- भगवान विष्णु के मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें पुष्प और तुलसी दल सहित अर्पित करें।
- यदि संभव हो, तो इस दिन एकादशी व्रत भी रखें।
- भगवान की आरती गाएं और उन्हें भोग लगाएं।
- इस पावन दिन पर भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की भी पूजा करें, जिससे धन, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति हो।
इस पूजा विधि का पालन करने से व्रती व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है और उनके जीवन में शांति और समृद्धि का अनुभव होता है। यह एकादशी पूजा विधि उनके मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद करती है, साथ ही उन्हें परमात्मा के साथ अधिक संवाद करने का अवसर भी प्रदान करती है।
पूजा सामग्री :
- श्री विष्णु जी का चित्र या मूर्ति
- पुष्प (फूल), पुष्पमाला (माला), नारियल, सुपारी, अनार, आंवला, बेर, और अन्य ऋतुफल
- धूप
- घी
- पंचामृत बनाने के लिए: कच्चा दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर
- चावल
- तुलसी
- गोबर
- केले का पेड़
- मिठाई
इन सामग्रियों का उपयोग पूजा की विधि के अनुसार किया जाता है। श्री विष्णु जी की पूजा में इन सामग्रियों का उपयोग भक्ति और आदर्श भावना को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इनका उपयोग उनके आराधना और स्तुति में सहायक होता है, जिससे पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है।
एकादशी व्रत के फायदे
एकादशी व्रत के करने के 26 फायदे हैं:
- व्यक्ति निरोगी रहता है।
- राक्षस, भूत-पिशाच आदि योनि से छुटकारा मिलता है।
- पापों का नाश होता है।
- संकटों से मुक्ति मिलती है।
- सर्वकार्य सिद्ध होते हैं।
- सौभाग्य प्राप्त होता है।
- मोक्ष मिलता है।
- विवाह बाधा समाप्त होती है।
- धन और समृद्धि आती है।
- शांति मिलती है।
- मोह-माया और बंधनों से मुक्ति मिलती है।
- हर प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
- खुशियां मिलती हैं।
- सिद्धि प्राप्त होती है।
- उपद्रव शांत होते हैं।
- दरिद्रता दूर होती है।
- खोया हुआ सबकुछ फिर से प्राप्त हो जाता है।
- पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है।
- भाग्य जाग्रत होता है।
- ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- पुत्र प्राप्ति होती है।
- शत्रुओं का नाश होता है।
- सभी रोगों का नाश होता है।
- कीर्ति और प्रसिद्धि प्राप्त होती है।
- वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
- हर कार्य में सफलता मिलती है।
एकादशी व्रत लिस्ट 2024 Pdf
FaQs
एकादशी व्रत किसको करना चाहिए ?
एकादशी व्रत को सनातन हिंदू धर्म के अनुसार, सभी उम्र के लोग आचरण कर सकते हैं। एकादशी व्रत को सनातन हिंदू धर्म के अनुसार, सभी उम्र के लोग आचरण कर सकते हैं।
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक महत्व ?
एकादशी व्रत के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। इस दिन वायुमंडलीय दबाव कम होता है, जिससे उपवास करने में आसानी होती है। यह व्रत पाचन तंत्र को साफ करता है, रक्त को शुद्ध करता है, और पाचन तंत्र को आराम प्रदान करता है।
एकादशी व्रत क्यों किया जाता है ?
एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है, जिन्हें श्रीहरि भी कहा जाता है। इस व्रत को निभाने से माना जाता है कि भगवान श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है और उनके साथ माता लक्ष्मी की विशेष कृपा भी होती है।
एकादशी व्रत की उत्पत्ति कैसे हुई?
एक बार भगवान विष्णु योग निद्रा में सो रहे थे। उस समय, दैत्य मुर उन पर हमला करने की योजना बना रहा था। भगवान विष्णु ने अपने शक्तिशाली अंश से देवी एकादशी को प्रकट किया। देवी ने दैत्य मुर को पराजित कर धरती से उसका विनाश किया। इसके बाद से, लोग एकादशी के दिन व्रत का पालन करते हैं।