द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् । द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र

द्वादश ज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रं

श्री मच्छंकराचार्य द्वारा रचित द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रं में भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थान और उनकी महिमा का वर्णन मिलता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को मृत्यु का भय नहीं रहता है, और वह अकाल मृत्यु से बचता है।

इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्त को लंबी आयु प्राप्त होती है और वह सभी प्रकार के सुखों का आनंद लेता है। यह स्तोत्र अत्यंत प्रामाणिक और चमत्कारिक है। जिस प्रकार 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन, पूजन, और आराधना से भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं, उसी प्रकार इस स्तोत्र के पाठ से भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं।

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् । द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र

द्वादशज्योतिर्लिंगस्तोत्रम्

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये
ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं
तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।1।।

श्रीशैलशृङ्गे विबुधातिसङ्गे
तुलाद्रितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम्।
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं
नमामि संसारसमुद्रसेतुम्।।2।।

अवन्तिकायां विहितावतारं
मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं
वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।3।।

कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे
समागमे सज्जनतारणाय।
सदैवमान्धातृपुरे वसन्त
मोङ्कारमीशं शिवमेकमीडे।।4।।

पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने
सदा वसन्तं गिरिजासमेतम्।
सुरासुराराधितपादपद्मं
श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि।।5।।

याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्ये
विभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः।
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं
श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये।।6।।

महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं
सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै:
केदारमीशं शिवमेकमीडे।।7।।

सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं
गोदावरीतीरपवित्रदेशे।
यद्दर्शनात् पातकमाशु नाशं
प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे।।8।।

सुताम्रपर्णीजलराशियोगे
निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यैः।
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं
रामेश्वराख्यं नियतं नमामि।।9।।

यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे
निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च।
सदैव भीमादिपदप्रसिद्धं
तं शङ्करं भक्तहितं नमामि।।10।।

सानन्दमानन्दवने वसन्त-
मानन्दकन्दं हतपापवृन्दम्।
वाराणसीनाथमनाथनाथं
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।।11।।

इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन्
समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम्।
वन्दे महोदारतरस्वभावं
घृष्णेश्वराख्यं शरणम् प्रपद्ये।।12।।

ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानां
शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण।
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या
फलं तदालोक्य निजं भजेच्च।।13।।

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् । द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र (1)

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र Pdf

Leave a Comment

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
Best Wordpress Adblock Detecting Plugin | CHP Adblock
error: Content is protected !!