गणेश स्तुति मंत्र भगवान गणेश की उपासना और स्तुति के लिए उपयोग किए जाते हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता, बुद्धि और ज्ञान के देवता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी का आह्वान और स्तुति की जाती है, ताकि सभी विघ्न दूर हों और कार्य सफल हो। गणेश स्तुति मंत्रों का नियमित जाप व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता लाने के लिए माना जाता है।
यह मंत्र गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए उच्चारित किए जाते हैं और उनके गुणों, शक्तियों, और दिव्यता का वर्णन करते हैं। ये मंत्र भक्त को आंतरिक और बाहरी विघ्नों से मुक्ति दिलाते हैं और उसकी आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
श्री गणेश स्तुति मंत्र (Ganesh Stuti Mantra) :
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!
भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!
विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!
नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!
नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!
विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!
भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!
लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!
विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!
गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!
श्री गणेश स्तुति मंत्र
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