बीज मंत्र या वैदिक बीज मंत्र हिंदू धर्म में प्राथमिक मंत्र या ध्वनियाँ हैं, जो विशाल आध्यात्मिक गुणों से संपन्न होती हैं। ध्यान और मन को शांत करने के लिए विभिन्न ध्यान विधियाँ हमेशा से चली आ रही हैं। यह प्राचीन तकनीक मन को एकाग्रता में ले जाने और आध्यात्मिक अनुभवों को प्राप्त करने के लिए प्रयोग की जाती है। इस लेख में हम Beej Mantra के बारे में विस्तार से जानेंगे और इसके लाभ, प्रमुख मन्त्र, साधना की विधि, उच्चारण की विधि, सावधानियां और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से समझेंगे।
बीज मन्त्र क्या है?। Beej Mantra kya hai ?
बीज मन्त्र, विशेष ध्यान विधि का हिस्सा है जिसमें एक या एक से अधिक ध्यान मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है। इन मन्त्रों को संस्कृत भाषा में बीज मन्त्र कहा जाता है क्योंकि ये ध्यान के बीज के समान होते हैं जो हमारे मन के अंतर्गत छिपे विशेष शक्तियों को जगाने में मदद करते हैं।
बीजमंत्र कहलाने वाले एकाक्षरी (एक अक्षर वाले) मंत्रों की शक्ति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उदाहरण के रूप में, दुर्गा का बीजमंत्र ‘दूं’ है,गणपति का बीजमंत्र ‘गं’ है । इन बीजमंत्रों में छोटे से अक्षर में पूरा जंगल छिपा होता है, जैसे इसके माध्यम से देवता की अद्भुत सामर्थ्य प्रकट होती है। ये मंत्र प्रचंड शक्तिशाली होते हैं, इसलिए इनका उचित उपयोग करने के लिए किसी अनुभवी गुरु की मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। अन्यथा, इनका अयोग्य उपयोग न करने से नुकसान भी हो सकता है।
इन मन्त्रों को अद्भुत शक्ति और प्रभाव के साथ योगी ऋषियों ने उपासना का हिस्सा बनाया है।
इन मंत्रों को अक्सर सभी देवताओं के श्रवण बीज संस्करण के रूप में माना जाता है। कहा जाता है कि बीज मंत्र भक्तों की आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता रखते हैं और उनके साथीकरण के द्वारा सभी खतरों और दुश्मनों से बचाने का कार्य करते हैं। ये मंत्र ध्यानपूर्वक जपने पर उनकी शक्ति और प्रभाव बढ़ जाते हैं।
बीज मन्त्र के प्रकार
बीज मंत्र वास्तव में हमारे मंत्रों के बहुत बड़े रूपों में से एक होते हैं, जिनका संक्षिप्त रूप बीज मंत्र कहलाता है। ये छोटे से मंत्र हर प्रकार की समस्या के समाधान में मदद करते हैं।
“ॐ” दुनिया के सबसे बड़े बीज मंत्र के रूप में माना जाता है। इसे शास्त्रों में अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है, जैसे एकाक्षरी, तेजो बीज, शांति बीज, रक्षा बीज आदि
प्रमुख बीज मन्त्र
“ॐ” बीज मंत्र
बर्णन : इसका उच्चारण “ओ३म्” या “ॐ” होता है। यह मंत्र तीन ध्वनियों, अ, उ, और म, के संयोग से बना होता है। यह मंत्र हिन्दू धर्म में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा त्रिलोक (भूर्भुवः स्वः, भूलोक, भुवः लोक, तथा स्वर्गलोक) की प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
जाप बिधि : “ॐ” के पद्मासन में बैठकर जप करने से मन को शांति मिलती है और एकाग्रता की प्राप्ति होती है। वैज्ञानिकों और ज्योतिषियों का कहना है कि “ॐ” और एकाक्षरी मंत्र का पाठ करने में दांत, नाक, जीभ सभका उपयोग होता है, जिससे हार्मोनल स्राव कम होता है और ग्रंथि स्राव को कम करके यह शब्द कई बीमारियों से रक्षा करता है और शरीर के सात चक्र (कुण्डलिनी) को जागृत करता है।
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“ह्रीं” बीज मंत्र
बर्णन : “ह्रीं” मंत्र को शक्ति बीज या माया बीज के रूप में जाना जाता है। इसमें “ह” शिव को, “र” प्रकृति को, “ई” महामाया को, “नाद” विश्वमाता को, और “बिंदु” दुःख हर्ता को प्रतिष्ठित करता है। इस प्रकार, यह माया बीज इसका अर्थ है – शिवयुक्त विश्वमाता मेरे दुःखों को हरने की क्षमता रखें।
“श्रीं” बीज मंत्र
बर्णन : “श्रीं” मंत्र में चार स्वर व्यंजन शामिल होते हैं। इसमें “श” महालक्ष्मी को, “र” धन-ऐश्वर्य को, “ई” तुष्टि को, और अनुस्वार द्वारा दुःख हरण को, नाद की उपस्थिति विश्वमाता को दर्शाता है। इस प्रकार, “श्रीं” बीज मंत्र का अर्थ है – धन, ऐश्वर्य, सम्पत्ति, तुष्टि, पुष्टि की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी मेरे दुःखों का नाश करें।
“ऐं” बीज मंत्र
बर्णन : “ऐं” बीज मंत्र सरस्वती बीज के रूप में प्रसिद्ध है। इस मंत्र में “ऐं” ध्वनि सरस्वती देवी को प्रतिष्ठित करती है, जो ज्ञान, कला, संगीत, शिक्षा, विद्या, बुद्धि और क्रियाशीलता की देवी हैं। इसके साथ ही, अनुस्वार (अं) द्वारा दुःख हरण को दर्शाता है, जो अज्ञानता, अविद्या और दुःख के नाश को प्रकट करता है।
इस प्रकार, “ऐं” बीज मंत्र का महत्वपूर्ण अर्थ है – हे मां सरस्वती! आप मेरे जीवन में ज्ञान का उदय करें, मेरी बुद्धि को प्रकाशित करें और मुझे अविद्या के दुःख से मुक्त करें। आपके आशीर्वाद से मैं ज्ञान के प्रभाव से युक्त और समृद्ध हो। इस मंत्र के जाप से मैं आपके दिव्य गुणों को प्राप्त कर सुख और समृद्धि की प्राप्ति करूँ।
“क्रीं” बीज मंत्र
बर्णन : यह शक्तिपूर्ण बीज मंत्र है। इस मंत्र में चार स्वर व्यंजन शामिल होते हैं। “क” ध्वनि काली माता को प्रतिष्ठित करता है, जो अद्भुत शक्ति और निर्माता का प्रतीक है। “र” ध्वनि ब्रह्म को प्रतिष्ठित करता है, जो सृष्टि का संचालक और सम्पूर्णता का प्रतीक है। “ई” ध्वनि मायावी महामाया को प्रतिष्ठित करता है, जो जगत के मायावी रूपों की सर्वोच्च शक्ति है। अनुस्वार (अं) द्वारा दुःख हरण को प्रतिष्ठित किया जाता है, जो अज्ञानता, दुःख और संशार के नाश का प्रतीक है।
इस प्रकार, “क्रीं” बीज मंत्र का महत्वपूर्ण अर्थ है – ब्रह्मशक्ति सम्पन्न महामाया काली मेरे दुःखों का नाश करें। इस मंत्र के जाप से माता काली मेरे जीवन को अनुग्रह प्रदान करें, अज्ञान को हरें और संशार से मुक्ति प्रदान करें। इसके द्वारा मैं अपने आप को शक्तिपूर्ण बनाने के लिए इन दिव्य गुणों को प्राप्त करूँ, जो मुझे आत्मा के साथ एकीकृत करें और उच्चतम आनंद की प्राप्ति कराएं।
“ऐं श्रीं क्रीं” – त्रिशक्ति बीज मंत्र
त्रिशक्ति में तीन विभिन्न प्रकार की शक्तियाँ प्रतिष्ठित होती हैं: महाकाली (शक्ति की उच्चतम रूप), महालक्ष्मी (धन और समृद्धि की देवी), और महासरस्वती (ज्ञान और विद्या की देवी)। त्रिशक्ति को धारण करने का मान्यता है कि यह शक्ति, सृष्टि, स्थिति, और संहार के साथ सम्पूर्ण ब्रह्मांड के निर्माण का कारक होती है। इसे धारण करने से शुभता, समृद्धि, और शक्ति की प्राप्ति होने की आशा रखी जाती है।
“दूं” बीज मंत्र
बर्णन : “दूं” मंत्र दुर्गा बीज माना जाता है। इसमें “द” ध्वनि दुर्गा माता को प्रतिष्ठित करता है, “ऊ” रक्षा को और अनुस्वार द्वारा करना को प्रतिष्ठित किया जाता है। इस का अर्थ होता है – हे मां दुर्गे! कृपया मेरी रक्षा करें।
“ह्रौं” बीज मंत्र
बर्णन : “ह्रौं” मंत्र प्रसाद बीज के रूप में जाना जाता है। इसमें “ह्र” ध्वनि शिव को, “औ” सदाशिव को, और अनुस्वार द्वारा दुःख हरण को प्रतिष्ठित करता है। इस का अर्थ है – शिव और सदाशिव, कृपा करके मेरे दुःखों को हरा दें।
“क्लीं” बीज मंत्र
बर्णन : “क्लीं” मंत्र काम बीज माना जाता है। इसमें “क” कृष्ण या काम को, “ल” इंद्र को, “ई” तुष्टिभाव को, और अनुस्वार द्वारा सुखदाता को प्रतिष्ठित किया जाता है। इस का अर्थ होता है – कामदेव रूप श्री कृष्ण भगवान मुझे सुख, सौभाग्य और सुंदरता प्रदान करें।
“गं” बीज मंत्र
बर्णन : यह गणपति बीज माना जाता है। इसमें “ग” गणेश को प्रतिष्ठित करता है और अनुस्वार द्वारा दुःख हरण को प्रतिष्ठित किया जाता है। इसका अर्थ होता है – श्री गणेश मेरे विघ्नों को दूर करें।
“हूँ” बीज मंत्र
बर्णन : “हूँ” कूर्च बीज माना जाता है। इसमें “ह” शिव, “ॐ” भैरव, और अनुस्वार द्वारा दुःख हरण को प्रतिष्ठित किया जाता है। इसका अर्थ होता है – हे! असुर संहारक शिव मेरे दुःखों का नाश करें।
“ग्लौं” बीज मंत्र
बर्णन : इसमें “ग” गणेश, “ल” व्यापक रूप, “औ” तेज, और बिंदु द्वारा दुःख हरण को प्रतिष्ठित किया जाता है। गणेश जी के “ग्लौं” बीज का अर्थ होता है – व्यापक रूप विघ्नहर्ता गणेश अपने तेज से मेरे दुःखों का नाश करें।
“स्त्रीं” बीज मंत्र
बर्णन : इसमें “स” दुर्गा, “त” तारण, “र” मुक्ति, “ई” महामाया, और बिंदु द्वारा दुःख हरण को प्रतिष्ठित किया जाता है। “स्त्रीं” बीज मंत्र का अर्थ होता है – दुर्गा मुक्तिदाता, दुःखहर्ता, भवसागर-तारिणी महामाया मेरे दुःखों का नाश करें।
“क्ष्रौं” बीज मंत्र
बर्णन : इसमें “क्ष” नृसिंह, “र” ब्रह्म, “औ” ऊर्ध्वकेशी, और बिंदु द्वारा दुःख हरण को प्रतिष्ठित किया जाता है। “क्ष्रौं” नृसिंह बीज का अर्थ होता है – ऊर्ध्वकेशी ब्रह्मस्वरूप नृसिंह भगवान
“वं” बीज मन्त्र
बर्णन : “वं” बीज मंत्र को अमृत बीज माना जाता है। यह मंत्र “व” अमृत को प्रतिष्ठित करता है और बिंदु द्वारा दुःख हरण को प्रतिष्ठित किया जाता है। इसका अर्थ होता है – हे अमृत स्वरूप सागर, मेरे दुःखों को दूर करें।
नवग्रह बीज मंत्र लिस्ट
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सूर्य: ॐ ह्राँ हीं सः सूर्याय नमः
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चंद्र: ॐ श्राँ श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः
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मंगल: ॐ क्राँ क्रीं क्रों सः भौमाय नमः
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बुध: ॐ ब्राँ ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः
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गुरु: ॐ ग्राँ ग्रीं ग्रों सः गुरुवे नमः
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शुक्र: ॐ द्राँ द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः
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शनि: ॐ प्राँ प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नमः
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राहु: ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः
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केतु: ॐ स्राँ स्रीं स्रों सः केतवे नमः
ये नवग्रह बीज मंत्र उच्चारण द्वारा नवग्रहों की शक्तियों को प्राप्त करने और उनसे संबंधित समस्याओं का समाधान करने में सहायता करते हैं।
इसी तरह कई और बीज मंत्र हैं जो स्वयं मंत्र के रूप में होते हैं।
बीज मंत्र |
भगवान के नाम |
विवरण |
शं |
शंकर |
शंकर बीजमंत्र शिव को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे शंकर, मेरे सभी विघ्नों को दूर करें। |
फ्रौं |
हनुमत् |
फ्रौं बीजमंत्र हनुमान जी को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे हनुमान, मेरे सभी विपत्तियों को दूर करें। |
क्रौं |
काली |
क्रौं बीजमंत्र काली माता को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे काली, मेरे सभी विपत्तियों को दूर करें। |
दं |
विष्णु |
दं बीज मंत्र विष्णु भगवान को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे विष्णु, मेरे सभी विपत्तियों को दूर करें। |
हं |
आकाश |
हं बीजमंत्र आकाश तत्व को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे आकाश, मेरे सभी विपत्तियों को दूर करें। |
यं |
अग्नि |
यं बीजमंत्र अग्नि तत्व को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे अग्नि, मेरे सभी विपत्तियों को दूर करें। |
रं |
जल |
रं बीजमंत्र जल तत्व को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे जल, मेरे सभी विपत्तियों को दूर करें। |
लं |
पृथ्वी |
लं बीजमंत्र पृथ्वी तत्व को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे पृथ्वी, मेरे सभी विपत्तियों को दूर करें। |
ज्ञं |
ज्ञान |
ज्ञं बीजमंत्र ज्ञान तत्व को प्रतिष्ठित करता है। इसका अर्थ है – हे ज्ञान, मेरे सभी विपत्तियों को दूर करें। |
भ्रं |
भैरव |
भ्रं बीजमंत्र भैरव भगवान को प्रतिष्ठ |
सभी बीज मंत्र । बीज मंत्र लिस्ट। Beej Mantra List
बीज मंत्र |
भगवान के नाम |
शं |
शिव |
फ्रौं |
हनुमान |
क्रौं |
काली |
दं |
विष्णु |
हं |
आकाश |
यं |
अग्नि |
रं |
जल |
लं |
पृथ्वी |
ज्ञं |
ज्ञान |
भ्रं |
भैरव |
ॐ |
ब्रह्मा, विष्णु, महेश |
ह्रीं |
महालक्ष्मी |
श्रीं |
लक्ष्मी |
ऐं |
सरस्वती |
क्रीं |
काली |
दूं |
दुर्गा |
ह्रौं |
शिव, सदाशिव |
गं |
गणेश |
हूँ |
शिव |
ग्लौं |
गणेश |
स्त्रीं |
दुर्गा |
क्ष्रौं |
नृसिंह |
वं |
सागर |
बीज मंत्र लिस्ट पीडीऍफ़ । Beej Mantra List Pdf
बीज मन्त्रों के पीडीऍफ़ लिस्ट को डौन्लोड करने के लिए निम्न लिंक को click करें।
बीज मन्त्र के लाभ
बीज मन्त्रों का नियमित जाप करने से आपको विभिन्न लाभ प्राप्त होते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण लाभ दिए जाते हैं:
- मन की शांति: बीज मन्त्रों का जाप करने से मन की शांति और स्थिरता मिलती है। यह आपको स्थिर मन की अवस्था में ले जाता है जहां आपको चिंताओं और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- ध्यान क्षमता का विकास: बीज मन्त्रों के जाप से आपकी ध्यान क्षमता में सुधार होता है। यह आपको अधिक एकाग्रता प्रदान करता है और मेधावी बनाता है।
- आध्यात्मिक विकास: बीज मन्त्रों का जाप आपको आध्यात्मिक अनुभवों की ओर प्रवृत्त करता है। ये मन्त्र आपको अपने आंतरिक स्वरूप के प्रतीक्षा में ले जाते हैं और आपको आत्मीय आनंद का अनुभव कराते हैं।
- तनाव कम करना: बीज मन्त्रों के जाप से आपका तनाव कम होता है। यह आपको मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक स्तर पर सुख और शांति का अनुभव कराता है।
- उच्च स्तर की उपलब्धि: बीज मन्त्रों का जाप आपकी साधना और अध्ययन में अद्भुत सफलता दिलाता है। यह आपके मन को शक्तिशाली और निर्णायक बनाता है और आपके जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति प्रदान करता है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल के माध्यम से मैंने आपको बीज मन्त्रों के बारे में संक्षेप में जानकारी प्रदान की है। आप अब बीज मन्त्रों की महत्ता, उपयोग, और साधना के लिए आवश्यक जानकारी को समझ गए हैं। अब यह आप पर निर्भर करेगा कि आप बीज मन्त्रों को अपनी आध्यात्मिक साधना में शामिल करना चाहेंगे या नहीं। ध्यान की प्रक्रिया में अपने समय को निकालें, अपने आंतरिक स्थिति को समझें, और बीज मन्त्रों का जाप करने का अनुभव करें। इसे नियमित रूप से अभ्यास करते हुए आप आंतरिक शांति, स्थिरता, और आनंद का अनुभव करेंगे।
इस विषय पर और अधिक जानने के लिए आप एक आध्यात्मिक गुरु से संपर्क कर सकते हैं और विशेषज्ञ सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
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