Pavamana Suktam ( पवमान सूक्तम ) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जो मन, शरीर और वातावरण को शुद्ध करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस मंत्र का उपयोग वायु देवता की पूजा के लिए किया जाता है जो शुद्धि के संदेश लाता है। इस मंत्र को श्री मध्वाचार्य के अनुयायी बहुत महत्व देते हैं और इसे हनुमान की पूजा के लिए भी किया जाता है। इस मंत्र को हवन के दौरान उच्चारित किया जाता है और विशेष वस्तुओं का अर्पण करते हुए वायु, चंद्रमा और हनुमान की पूजा की जाती है।
पवमान सूक्तम । Pavamana Suktam in Sanskrit
सहस्राक्षं शतधारमृषिभिः पावनं कृतम् ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १ ॥
येन पूतमन्तरिक्षं यस्मिन्वायुरधिश्रितः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ २ ॥
येन पूते द्यावापृथिवी आपः पूता अथो स्वः ।
तेना सहस्त्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ३ ॥
येन पूते अहोरात्रे दिशः पूता उत येन प्रदिशः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ४ ॥
येन पूतौ सूर्याचन्द्रमसौ नक्षत्राणि भूतकृतः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ५ ॥
येन पूता वेदिरग्नयः परिधयः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ६ ॥
येन पूतं बर्हिराज्यमथो हविर्येन पूतो यज्ञो वषट्कारो हुताहुतिः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ७ ॥
येन पूतौ व्रीहियवौ याभ्यां यज्ञो अधिनिर्मितः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ८ ॥
येन पूता अश्वा गावो अथो पूता अजावयः ।
तेना सहस्त्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ९ ॥
येन पूता ऋचः सामानि यजुर्जाह्मणं सह येन पूतम् ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम्॥ १० ॥
येन पूता अथर्वाङ्गिरसो देवताः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ११ ॥
येन पूता ऋतवो येनार्तवा येभ्यः संवत्सरो अधिनिर्मितः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १२ ॥
येन पूता वनस्पतयो वानस्पत्या ओषधयो वीरुधः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १३ ॥
येन पूता गन्धर्वाप्सरसः सर्पपुण्यजनाः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १४ ॥
येन पूताः पर्वता हिमवन्तो वैश्वानराः परिभुवः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १५ ॥
येन पूता नद्यः सिन्धवः समुद्राः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १६ ॥
येन पूता विश्वेदेवाः परमेष्ठी प्रजापतिः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १७ ॥
येन पूतः प्रजापतिर्लोकं विश्वं भूतं स्वराजभार ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १८ ॥
येन पूतः स्तनयित्नुरपामुत्सः प्रजापतिः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १९ ॥
येन पूतमृतं सत्यं तपो दीक्षां पूतयते ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ २० ॥
येन पूतमिदं सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ २१ ॥
पवमान सूक्तम के हिंदी अर्थ । Hindi Meaning
सहस्राक्षं शतधारमृषिभिः पावनं कृतम् ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १ ॥
अर्थ: जो सहस्रों नेत्रों वाला है, सैकड़ों धाराओं में बहनेवाला है, और ऋषियों द्वारा पवित्र किया गया है, उसी सहस्रधार से मुझे पवित्र करें॥१॥
येन पूतमन्तरिक्षं यस्मिन्वायुरधिश्रितः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ २ ॥
अर्थ: “जिससे अन्तरिक्ष पवित्र होता है, वायु में जिसका स्थान है, उसी सहस्रधार से सोम मुझे पवित्र करें ॥२॥”
येन पूते द्यावापृथिवी आपः पूता अथो स्वः ।
तेना सहस्त्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ३ ॥
अर्थ: -“जिससे आकाश, पृथ्वी, जल और स्वर्ग पवित्र हो गए हैं, उसी सहस्त्रधार से शुद्ध होकर मुझे पवित्र करें ॥ ३॥“
येन पूते अहोरात्रे दिशः पूता उत येन प्रदिशः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ४ ॥
अर्थ:”जिससे रात्रि और दिन, दिशाएं पवित्र हो गई हैं, उसी सहस्त्रधार से शुद्ध होते हुए मुझे पवित्र करें ॥ ४ ॥
येन पूतौ सूर्याचन्द्रमसौ नक्षत्राणि भूतकृतः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ५ ॥
अर्थ:”जिससे सूर्य और चंद्रमा, नक्षत्र और भौतिक सृष्टि के निर्माता पदार्थ पवित्र हुए हैं, उसी सहस्त्रधार मुझे पवित्र करें ॥५॥”
येन पूता वेदिरग्नयः परिधयः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ६ ॥
अर्थ: “जिससे वेदी, अग्नियाँ और परिधय पवित्र हो गए हैं, और जिससे वे पवित्र हुए हैं।
उसी सहस्त्रधार से मुझे पवित्र करें॥६॥”
येन पूतं बर्हिराज्यमथो हविर्येन पूतो यज्ञो वषट्कारो हुताहुतिः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ७ ॥
अर्थ: “जिससे ब्रह्मा की पवित्रता हो गई है, और जिससे हवन यज्ञ पवित्र हो गया है, और जिससे हवन का वषट्कार, हुताहुति पवित्र हो गए हैं। उसी सहस्त्रधार से मुझे पवित्र करें॥७॥”
येन पूतौ व्रीहियवौ याभ्यां यज्ञो अधिनिर्मितः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ८ ॥
अर्थ: “जिससे व्रीहियवन और यज्ञों की पवित्रता स्थापित हुई है, उसी सहस्त्रधार से मुझे पवित्र करें॥८॥”
येन पूता अश्वा गावो अथो पूता अजावयः ।
तेना सहस्त्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ९ ॥
अर्थ: जिससे अश्व, गाय,गौ, अजा और पुरुषसंज्ञित प्राण पवित्र हुए हैं, उसी सहस्त्रधार मुझे पवित्र करें॥ ९॥
येन पूता ऋचः सामानि यजुर्जाह्मणं सह येन पूतम् ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम्॥ १० ॥
अर्थ-जिससे ऋचाएँ, साम, यजु और ब्राह्मण पवित्र हुए हैं, उसी सहस्त्रधार के द्वारा मुझे पवित्र करें॥ १० ॥
येन पूता अथर्वाङ्गिरसो देवताः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ ११ ॥
अर्थ: “जिससे अथर्वाङ्गिरस और देवताएँ पवित्र हो गई हैं, और जिससे वे पवित्र हो गई हैं। उसी सहस्त्रधार से मुझे पवित्र करें॥११॥”
येन पूता ऋतवो येनार्तवा येभ्यः संवत्सरो अधिनिर्मितः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १२ ॥
अर्थ: जिससे ऋतुएं और उनके रस पवित्र हुए हैं, तथा जिससे संवत्सर का निर्माण हुआ है,
उसी सहस्त्रधार सोमसे मुझे पवित्र करें॥ १२ ॥
येन पूता वनस्पतयो वानस्पत्या ओषधयो वीरुधः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १३ ॥
अर्थ: जिससे वनस्पतियाँ, फल प्रदान करने वाले वृक्ष, औषधियाँ और लताएँ पवित्र हुई हैं, उस सहस्त्रधार सोमसे मुझे पवित्र करें॥ १३ ॥
येन पूता गन्धर्वाप्सरसः सर्पपुण्यजनाः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १४ ॥
अर्थ: जिससे गन्धर्वों और अप्सराओं, सर्पों और यक्षों को पवित्रता प्राप्त हुई है, उसी सहस्त्रधार सोमसे मुझे पवित्र करें॥ १४ ॥
येन पूताः पर्वता हिमवन्तो वैश्वानराः परिभुवः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १५ ॥
अर्थ: जिससे हिमाच्छादित पर्वत, वैश्वानर अग्नियाँ और परिधियाँ पवित्र हुई हैं, उस सहस्त्रधार सोमसे मुझे पवित्र करें॥ १५ ॥
येन पूता नद्यः सिन्धवः समुद्राः सह येन पूताः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १६ ॥
अर्थ: जिससे नदियाँ, सिंधु, विशाल महानदी और सागर पवित्र हो गए हैं, उस सहस्त्रधार सोमसे मुझे पवित्र करें॥ १६ ॥
येन पूता विश्वेदेवाः परमेष्ठी प्रजापतिः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १७ ॥
अर्थ: जिससे विश्वेदेवताएँ और प्रजापति परमेष्ठी पवित्र हुए हैं, उस सहस्त्रधार सोमसे मुझे पवित्र करें॥ १७ ॥
येन पूतः प्रजापतिर्लोकं विश्वं भूतं स्वराजभार ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १८ ॥
अर्थ: जो प्रजापति द्वारा समस्त लोकों, भूतों और स्वर्ग को पवित्र किया गया है, उस सहस्त्रधार मुझे पवित्र करें॥ १८ ॥
येन पूतः स्तनयित्नुरपामुत्सः प्रजापतिः ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ १९ ॥
अर्थ: जिससे विद्युत् और जलों के नियंत्रण प्रजापालक मेघ पवित्र हुए हैं, उस सहस्त्रधार सोमसे मेरी पवित्रता का संचार करें॥ १९ ॥
येन पूतमृतं सत्यं तपो दीक्षां पूतयते ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ २० ॥
अर्थ- जिसके द्वारा पवित्रता को मृत्यु से उद्भावित सत्य और तप दीक्षा को पवित्र किया जाता है, उस सहस्त्रधार सोमसे मुझे पवित्र करें॥ २० ॥
येन पूतमिदं सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् ।
तेना सहस्रधारेण पवमानः पुनातु माम् ॥ २१ ॥
अर्थ: जो कुछ भी पूर्वजन्म और भविष्य के संबंध में है, सभी वस्तुएं पवित्र हो चुकी हैं, उस सहस्त्रधार सोमसे मुझे पवित्र करें॥ २१ ॥
पवमान सूक्त लाभ । Pavamana Suktam benefits
- पवमान सूक्तम का जाप करने से लम्बी आयु का लाभ मिलता है।
- इस मंत्र का जाप करने से सभी पापों का नाश होता है और पितृ शाप का उपशम होता है।
- मंत्र मन को समृद्धि और खुशी से भर देता है।
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पावमन अभिषेक
पावमन अभिषेक का महत्व विशेष रूप से हिन्दू धर्म में मान्यता प्राप्त है। इस अभिषेक को विष्णु भगवान की पूजा के दौरान किया जाता है और इसे करने का मान्यतापूर्ण तरीके से पालन किया जाता है।
पावमन शब्द का अर्थ “प्रवाह” होता है, जो चंद्रमा के एक अन्य नाम के रूप में जाना जाता है। चंद्रमा को हिन्दू मान्यताओं में उत्कृष्ट देवता माना जाता है और प्राकृतिक ऊर्जा के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। पावमन अभिषेक के द्वारा चंद्रमा की आराधना और समर्पण की जाती है।
इस अभिषेक का करने का महत्व विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में स्थापित है। यह मान्यता है कि पावमन अभिषेक के द्वारा व्यक्ति को बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं। इस अभिषेक के माध्यम से व्यक्ति की आयु लंबी होती है, उनके पाप कायम होते हैं, धन और संपत्ति की वृद्धि होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पावमन अभिषेक के दौरान विशेष पूजा सामग्री, मन्त्र, और विधि का पालन किया जाता है। पूजा के दौरान शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति को मानसिक और शारीरिक रूप से प्राप्त किया जाता है। यह अभिषेक विशेष आरती, मन्त्रों, भजनों, पूजा उपचारों और दान के साथ संपन्न होता है।
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