प्रार्थना: हर देश में तू, हर भेष में तू – यह प्रार्थना भारतीय संस्कृति और परंपराओं से प्रेरित है और विभिन्न धर्मों के मूल्यों को समेटती है। यह प्रार्थना ईश्वर की सर्वव्यापकता और एकता पर जोर देती है और मानवता के बीच भाईचारे और एकता को प्रोत्साहित करती है।
हर देश में तू, हर भेष में तू (Har Desh Me Tu Har Bhesh Me Tu)
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है॥
सागर से उठा बादल बनके,
बादल से फटा जल हो करके।
फिर नहर बना नदियाँ गहरी,
तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
चींटी से भी अणु-परमाणु बना,
सब जीव-जगत् का रूप लिया।
कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना,
सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
यह दिव्य दिखाया है जिसने,
वह है गुरुदेव की पूर्ण दया।
तुकड़e कहे कोई न और दिखा,
बस मैं अरु तू सब एकही है॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है॥
यह प्रार्थना ईश्वर की सर्वव्यापकता और एकता पर जोर देती है और मानवता के बीच भाईचारे और एकता को प्रोत्साहित करती है। यह प्रार्थना विद्यार्थियों को सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करती है ताकि वे अपने जीवन में सफलता और खुशहाली प्राप्त कर सकें।