52 Veer mantra। बावन वीर साधना मंत्र एवम कंगन साधना

हिन्दू धार्मिक परंपरा में, एक ओर देव, नाग, गंधर्व, अप्सरा, विद्याधर, सिद्ध , यक्ष, यक्षिणी, भैरव, भैरवी आदि पॉजिटिव शक्तियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति का वर्णन होता है। उनका उपासना करने से व्यक्ति की आत्मा को शक्ति, आनंद और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

वहीं, दूसरी ओर, दैत्य, दानव, राक्षस, पिशाच, पिशाचिनी, गुह्मक, भूत, वेताल आदि नकारात्मक शक्तियों की चर्चा भी होती है। उनका उल्लेख विशेष रूप से तत्त्विक और दार्शनिक परियोजनाओं में होता है। ये शक्तियाँ अध्यात्मिक साधनाओं में एक प्रकार की प्रेरणा का स्रोत भी बन सकती हैं, जो व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा के अन्दर छिपे प्रतिबिम्बों को समझने में मदद करते हैं।

उसी तरह, कुछ ऐसी शक्तियाँ भी हैं जिनकी साधना करने वाले को सात्विक भाव से उनके चमत्कार दिखाई देते हैं। इसमें से एक है “वीर” या “बीर” साधना। वीर साधना एक विशेष प्रकार की आध्यात्मिक साधना है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने आत्मा की उच्चतम शक्तियों को पहचानता है और उन्हें जाग्रत करता है। वीर साधना को तांत्रिक साधना के अंतर्गत किया जाता है।

वीर साधना का एक महत्वपूर्ण पहलु यह है कि वीर शक्तियाँ राजसीक, तामसिक, और सात्विक भावों में होती हैं, और सभी वीरों की शक्तियाँ एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। यह शक्तियाँ व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की आध्यात्मिक और भौतिक सामर्थ्यों से युक्त करती हैं। वास्तव में, मूल रूप से 52 वीर हैं, जिनके नाम निम्नलिखित प्रकार से हैं:

52 वीर के नाम । 52 Veer Name

  1. क्षेत्रपाल वीर
  2. कपिल वीर
  3. बटुक वीर
  4. नृसिंह वीर
  5. गोपाल वीर
  6. भैरव वीर
  7. गरूढ़ वीर
  8. महाकाल वीर
  9. काल वीर
  10. स्वर्ण वीर 
  11. रक्तस्वर्ण वीर
  12. देवसेन वीर
  13. घंटापथ वीर 
  14. रुद्रवीर
  15. तेरासंघ वीर 
  16. वरुण वीर 
  17. कंधर्व वीर
  18. हंस वीर 
  19. लौन्कडिया वीर
  20. वहि वीर 
  21. प्रियमित्र वीर 
  22. कारु वीर
  23. अदृश्य वीर 
  24. वल्लभ वीर
  25. वज्र वीर
  26. महाकाली वीर 
  27. महालाभ वीर 
  28. तुंगभद्र वीर 
  29. विद्याधर वीर
  30. घंटाकर्ण वीर 
  31. बैद्यनाथ वीर 
  32. विभीषण वीर
  33. फाहेतक वीर
  34. पितृ वीर
  35. खड्‍ग वीर 
  36. नाघस्ट वीर 
  37. प्रदुम्न वीर
  38. श्मशान वीर 
  39. भरुदग वीर 
  40. काकेलेकर वीर 
  41. कंफिलाभ वीर
  42. अस्थिमुख वीर
  43. रेतोवेद्य वीर 
  44. नकुल वीर 
  45. शौनक वीर 
  46. कालमुख 
  47. भूतबैरव वीर 
  48. पैशाच वीर 
  49. त्रिमुख वीर 
  50. डचक वीर 
  51. अट्टलाद वीर 
  52. वास्मित्र वीर

 

52 वीर मंत्र वीर बुलाने का मंत्र । 52 Veer Mantra

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ॐ ह्रीं ह्रौं वीरायप्रत्यक्षं भव ह्रौं ह्रीं फट्

Om Hreem Hraum Veeray Pratyaksham Bhav Hraum Hreem Phat !

52-Veer-mantra-वीर-साधना-मंत्र.

अदृश्य वीर साधना मंत्र  बावन वीर साधना मंत्र । Veer Kangan Sadhna

वीर वीर महाकाली को वीर, आवो टूटे मेरो धीर,

महाकाली की दुहाई दू, तुझको काली मिठाई दू,

मेरो हुकुम पूरण करो, जो यहाँ न आओ तो,

महाकाली को खडग पड़े, तू चटक कुआँ में गिर मरे ,

आदेश आदिनाथ को आदेश आदेश आदेश !

 

बंगाली वीर साधना मंत्र

“ॐ नमो मणि भद्राय चेटकाय, सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु मम स्वप्न दर्शनं कुरु कुरु स्वाहा:”

 

 

इस मंत्र की सिद्धि प्राप्त करने के लिए, आपको 10,000 बार इसके जाप का अभ्यास करना होगा। आप इस मंत्र के जाप के लिए किसी भी प्रकार की माला का उपयोग कर सकते हैं।

 

52 वीर कंगन साधना

वीर मूल रूप से भगवान भैरवी के अनुयायी होते हैं और भगवान भैरव की उपासना करके उनके गण कहलाते हैं। उनकी तरह, वीर भैरव के भी अपने विशेष गण होते हैं। वीर भगवान भैरव भगवती काली के पुत्र हैं, और इस कारण उन्हें वीर देवी महाकाली के दूत भी कहा जाता है। जब भी आप किसी शत्रु के सर्वनाश के लिए माँ महाकाली का कोई अनुष्ठान करते हैं, तो पहले आपको उनके वीर गण को चेतावनी देने का विधान होता है। इस चेतावनी के बाद ही माँ महाकाली की शक्ति उन शत्रु पर कार्य करने के लिए प्रवृत्त होती है।

वीर साधना का विधान बहुत गुप्त रहता है। वीर साधना को 61 दिन तक एक कमरे में बंद होकर किया जाता है, जहां साधक का मुख किसी भी व्यक्ति के लिए दृश्यमान नहीं होता। इस साधना काल में, साधक को माँ महाकाली और भगवान भैरव की प्रतिमाओं के अलावा 52 पुतलियों की आवश्यकता होती है। इस साधना के दौरान काले वस्त्र और आसन का उपयोग किया जाता है। साधना काल में 61 दिन के दौरान, साधक को अपने आहार और जीवनशैली की विशेष आवश्यकताओं का पालन करना पड़ता है, जैसे कि दाँतों की सफाई, बाल काटना, तेल लगाना, नहाना, खाने के बाद मुख शुद्ध करना, कपड़े बदलना या धोना, नाखून और बाल काटना, नाक-कान की सफाई, झूठे बर्तनों को धोना, जिन बर्तनों में भोजन सामग्री तैयार की जाती है, उन्हें धोना आदि।

यह साधना विशेष रूप से स्मशान में अधिक प्रभावी होती है, लेकिन ऐसे साधकों के लिए यह सामान्य नहीं होती है जिनके पास स्मशान में 61 दिन तक साधना करने की अनुमति नहीं होती। इस प्रकार के स्थितियों में, साधक को स्मशान से मिट्टी या भस्म (नियम विधि के अनुसार) प्राप्त करके कमरे में लाकर रखना पड़ता है, जिसका मतलब होता है कि वह अपने कमरे को स्मशान के रूप में मानते हुए 61 दिन तक साधना करते हैं। इस साधना में एक गुप्त  मंत्र  का उपयोग होता है, जिसमें 52 वीरों के नाम का सम्बोधन किया जाता है और उन्हें आह्वानित किया जाता है। इस साधना के दौरान, साधक को स्वयं ही ये भोग बनाकर देवताओं को अर्पित करने की आवश्यकता होती है।


 

52 वीर मंत्र PDF


 

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