गायत्री मंत्र, जो वैदिक साहित्य का एक प्रमुख हिस्सा है, देवी गायत्री के उपासना के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है। यहां पर 108 देवताओं के गायत्री मंत्र का एक संक्षेप पूजन प्रस्तुत किया गया है। इसे किसी भी समय आसानी से किया जा सकता है। सामान्य साधकों को भी ध्यान में रखकर इसे सरल बनाने का प्रयास किया गया है।
इस पूजा को रविवार, विशेषकर रविवार को पुष्य नक्षत्र हो तो रवि पुष्य योग पर अवश्य किया जा सकता है, या फिर संध्याकाल में रोज किया जा सकता है, या फिर किसी विशेष पर्व पर भी किया जा सकता है।
यहां एक देवता का एक ही गायत्री मंत्र दिया गया है, लेकिन साधक उस देवता के किसी दूसरे गायत्री मंत्र का भी उपयोग कर सकता है। कुल 108 देवताओं के गायत्री मंत्र से पूजन करने से सारे देवी-देवताओं की साधना हो जाती है और नए साधक भी इसे आसानी से पूरा कर सकते हैं।
इस पूजा को किसी भी यंत्र, मूर्ति, रत्न, या रुद्राक्ष पर संपन्न किया जा सकता है। यदि कुछ उपलब्ध नहीं हो, तो किसी खाली प्लेट में एकेक आचमनी जल छोड़ते हुए भी इसे संपन्न किया जा सकता है।
108 देवताओं के गायत्री मंत्र की साधना
सर्वप्रथम हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।
ॐ श्री गणेशाय नम:।
ॐ गायत्र्यै नम:।
अब दाहिने हाथ में जल लेकर चार बार आचमन करें।
ॐ आत्मतत्वाय स्वाहा।
ॐ विद्यातत्वाय स्वाहा।
ॐ शिवतत्वाय स्वाहा।
ॐ सर्वतत्वाय स्वाहा।
फिर गुरु, परम गुरु, और पारमेष्ठी गुरु को प्रणाम करें।
ॐ गुरुभ्यो नम:।
ॐ परम गुरुभ्यो नम:।
ॐ पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:।
अब अपने आसन को स्पर्श कर पुष्प, अक्षत अर्पण करें।
ॐ आसन देवताभ्यो नम:।
ॐ पृथिव्यै नम:।
अब एक कलश में जल लेकर उसमें कपूर, चंदन, इत्र की कुछ बूँदें, तुलसी पत्र, पुष्प, अक्षत डालें और कलश को तिलक करें।
ॐ कलश देवताभ्यो नम:।
अब अपने आप को चंदन या कुंकुम का तिलक लगाएं।
फिर दाहिने हाथ में जल लेकर निम्न संकल्प का उच्चारण कर छोडें
अपने नाम और गोत्र का उच्चारण करें और मन में अपनी मनोकामना बोलते हुए (या आध्यात्मिक उन्नति हेतु) मन में बोलें कि आज इस पर्व काल के अवसर पर (अगर ज्ञात हो तो देश, काल, तिथि, नक्षत्र, वार का उच्चारण कर सकते हैं) मैं श्रद्धापूर्वक सकल देवता की कृपा हेतु अष्टोत्तर देवता गायत्री मंत्र अर्चन संपन्न कर रहा हूं।
ध्यान
ॐ मुक्ताविदुमहेमनीलधवलच्छायै
मुखैस्त्रीक्षणैर्युक्तामिंदु निबद्धरत्नमुकुटां
तत्त्वात्मवर्णात्मिकाम!
गायत्रीं वरदाभयांकुशकशापाशं
कपालं गुणं शंखं चक्रमथारविंदुयुगलं
हस्तैर्वहंतीं भजे!!
फिर भगवती गायत्री का आवाहन कर उनका पंचोपचार पूजन करें
ॐ भुर्भुव: स्व: गायत्र्यै नम: गंधं समर्पयामि
ॐ भूर्भुवः स्व: गायत्र्यै नम: पुष्पं समर्पयामि
ॐ भूर्भुवः स्व: गायत्र्यै नम: धूपं समर्पयामि
ॐ भूर्भुवः स्व: गायत्र्यै नम: दीपं समर्पयामि
ॐ भूर्भुवः स्व: गायत्र्यै नम: नैवेद्यं समर्पयामि
अब गायत्री मंत्र का 11 या 21 बार उच्चारण करें।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात्
फिर विविध देवताओं के गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए कलश के जल से एकेक आचमनी जल पुजन स्थान पर अर्पण करते जाएं। जल की जगह पुष्प, बेलपत्री, या अक्षत भी उपयोग कर सकते हैं। मगर जल से तर्पण करते हैं तो और भी उत्तम।
108 देवताओं के गायत्री मंत्र |108 devta ke gayatri mantra
क्रमांक | देव/देवी | मंत्र |
1 | सवितर (सूर्य देवता) | ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् |
2 | गुरु (आध्यात्मिक शिक्षक) | ॐ गुरुदेवाय विद्महे परम गुरवे धिमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् |
3 | दक्षिणामूर्ति (शिव का रूप) | ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो धीश: प्रचोदयात् |
4 | दत्तात्रेय | ॐ अनसुयासुताय विद्महे अत्रिपुत्राय धीमहि तन्नो दत्त: प्रचोदयात् |
5 | परमहंस (श्रीमान्सा स्वरूप) | ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात् |
6 | गणेश (एकदंत) | ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंति प्रचोदयात् |
7 | ब्रह्मा (चतुर्मुखी) | ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसरुढाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् |
8 | सरस्वती | 😎 ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै च धीमहि तन्नो वाणी प्रचोदयात् |
9 | विष्णु | ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् |
10 | लक्ष्मी | ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् |
11 | रुद्र (शिव) | ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् |
12 | दुर्गा (कात्यायनी) | ॐ कात्यायन्यै च विद्महे कन्याकुमारी च धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् |
13 | काली (कृष्णकामिनी) | ॐ कृष्णकायाम्बिकाय विद्महे पार्वतीरुपाय च धीमहि तन्नो कालिका प्रचोदयात् |
14 | तारा | ॐ तारायै विद्महे महोग्रायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
15 | छिन्नमस्ता | ॐ वैरोचन्यै च विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
16 | त्रिपुरा सुंदरी | ॐ ऐं त्रिपुरा देव्यै विद्महे क्लीं कामेश्वर्यै धीमहि सौस्तन्न: क्लीन्ने प्रचोदयात् |
17 | त्रिपुरसुंदरी | ॐ त्रिपुरसुंदरी च विद्महे कामेश्वरी धीमहि तन्नो बाला प्रचोदयात् |
18 | भुवनेश्वरी | ॐ भुवनेश्वर्यै विद्महे रत्नेश्वर्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
19 | त्रिपुरा | ॐ त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
20 | धूमावती | ॐ धूमावत्यै च विद्महे संहारिण्यै च धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात् |
सभी देवताओं के गायत्री मंत्र
क्रमांक | देव/देवी | मंत्र |
21 | बगलामुखी | ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तंभिन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
22 | मातंगी | ॐ मातंग्यै च विद्महे उच्छिष्टचांडाल्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
23 | महालक्ष्मी (विष्णुपत्नी) | ॐ महालक्ष्मी विद्महे विष्णुपत्नी धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् |
24 | महिषमर्दिनी (दुर्गा) | ॐ महिषमर्दिन्यै च विद्महे दुर्गादेव्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
25 | तुलसीदेवी | ॐ तुलसीदेव्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो वृंदा प्रचोदयात् |
26 | गिरिजा (पार्वती) | ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् |
27 | शैलपुत्री | ॐ शैलपुत्र्यै च विद्महे काममालायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
28 | ब्रह्मचारिणी | ॐ ब्रह्मचारिण्यै विद्महे ज्ञानमालायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
29 | चंद्रघण्टा | ॐ चंद्रघण्टायै विद्महे अर्धचंद्राय धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
30 | कुष्मांडा | ॐ कुष्मांडायै च विद्महे सर्वशक्त्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
31 | कुमारी | ॐ कुमार्यै च विद्महे स्कंदमातायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
32 | कात्यायनी | ॐ कात्यायन्यै च विद्महे सिद्धिशक्त्यै च धीमहि तन्नो कात्यायनी प्रचोदयात् |
33 | कालरात्रि | ॐ कालरात्र्यै च विद्महे सर्वभयनाशिन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
34 | सिद्धिदात्री | ॐ सिद्धिदात्र्यै च विद्महे सर्वसिद्धिदायिनी च धीमहि तन्नो भगवती प्रचोदयात् |
35 | महागौरी | ॐ महागौर्यै विद्महे शिवप्रियायै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् |
36 | ब्रह्ममनसा | ॐ ब्रह्ममनसायै विद्महे मंत्रअधिष्ठात्र्यै च धीमहि तन्नो मनसा प्रचोदयात् |
37 | सुस्थिरयौवना | ॐ सुस्थिरयौवनायै विद्महे सर्वमंगलायै च धीमहि तन्नो मंगलचंडी प्रचोदयात् |
38 | भूवाराह्य | ॐ भूवाराह्यै च विद्महे रत्नेश्वर्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
39 | वराहमुखी | ॐ वराहमुखी विद्महे आंत्रासनी च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् |
40 | ज्वालामालिनी | ॐ ज्वालामालिन्यै च विद्महे महाशूलिन्यै च धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् |
भिन्न भिन्न देवी देवताओं के लिए गायत्री मंत्र
क्रमांक | देव/देवी | मंत्र |
41 | अन्नपूर्णा | ॐ भगवत्यै विद्महे महेश्वर्यै धीमहि तन्नो अन्नपूर्णा प्रचोदयात् |
42 | योगिनी | ॐ व्यापिकायै विद्महे नानारुपायै धीमहि तन्नो योगिनी प्रचोदयात् |
43 | कामधेनु | ॐ सहस्त्रथनाय विद्महे जननीरुपायै च धीमहि तन्नो कामधेनु: प्रचोदयात् |
44 | कृष्ण | ॐ देवकीनंदनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात् |
45 | राधा | ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात् |
46 | राम | ॐ दाशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् |
47 | सीता | ॐ जनकनंदिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात् |
48 | लक्ष्मण | ॐ दशरथसुताय विद्महे रामानुजाय धीमहि तन्नो लक्ष्मण: प्रचोदयात् |
49 | हनुमत | ॐ अंजनीसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमत प्रचोदयात् |
50 | हरि | ॐ श्री निलयाय विद्महे व्यंकटेशाय धीमहि तन्नो हरि: प्रचोदयात् |
51 | नृसिंह | ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि नृसिंह: प्रचोदयात् |
52 | परशुराम | ॐ जामदग्नाय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात् |
53 | धन्वंतरि | ॐ धन्वंतराय विद्महे अमृतकलशहस्ताय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् |
54 | शेष | ॐ सहस्त्रशीर्षाय विद्महे विष्णुतल्पाय धीमहि तन्नो शेष: प्रचोदयात् |
55 | गरुड | ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपक्षाय धीमहि तन्नो गरुड: प्रचोदयात् |
56 | शंख | ॐ पांचजन्याय विद्महे पवमानाय धीमहि तन्नो शंख: प्रचोदयात् |
57 | चक्र | ॐ सुदर्शनाय विद्महे चक्रराजाय धीमहि तन्नो चक्र: प्रचोदयात् |
58 | यंत्र | ॐ यंत्रराजाय विद्महे वरप्रदाय धीमहि तन्नो यंत्र: प्रचोदयात् |
59 | शिव | ॐ पाशुपतये विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो शिव: प्रचोदयात् |
60 | स्कंद | ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नो स्कंद: प्रचोदयात् |
प्रमुख 108 देवताओं के गायत्री मंत्र
क्रमांक | देव/देवी | मंत्र |
61 | नंदी | ॐ तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुंडाय धीमहि तन्नो नंदी: प्रचोदयात् |
62 | बटुकेश्वर | ॐ आपदुद्धारणाय विद्महे बटुकेश्वराय तन्नो वीर: प्रचोदयात् |
63 | कामदेव | ॐ मन्मथेशाय विद्महे कामदेवाय धीमहि तन्नो अनंग: प्रचोदयात् |
64 | वीरभद्र | ॐ कालवर्णाय विद्महे महाकोपाय धीमहि तन्नो वीरभद्र: प्रचोदयात् |
65 | शरभ | ॐ शालुवेषाय विद्महे पक्षिराजाय धीमहि तन्नो शरभ: प्रचोदयात् |
66 | क्षेत्रपाल | ॐ श्वानध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नो क्षेत्रपाल: प्रचोदयात् |
67 | प्रणव | ॐ ओंकाराय विद्महे भवताराय धीमहि तन्नो प्रणव: प्रचोदयात् |
68 | सूर्य | ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् |
69 | चंद्र | ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्त्वाय धीमहि तन्नो चंद्र: प्रचोदयात् |
70 | भौम | ॐ अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात् |
71 | बुध | ॐ सौम्यरुपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात् |
72 | जीव | ॐ आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात् |
73 | शुक्र | ॐ शुक्राचार्याय विद्महे गौरवर्णाय धीमहि तन्नो शुक्र: प्रचोदयात् |
74 | सौरि | ॐ कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्नो सौरि: प्रचोदयात् |
75 | शनैश्चर | ॐ कृष्णवर्णाय विद्महे रौद्ररुपाय धीमहि तन्न: शनैश्चर: प्रचोदयात् |
76 | राहु | ॐ शिरोरुपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्न: राहु: प्रचोदयात् |
77 | केतु | ॐ पद्मपुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात् |
78 | पृथ्वी | ॐ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्रमूर्त्यै च धीमहि तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात् |
79 | अग्नि | ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्नि: प्रचोदयात् |
80 | अंबु | ॐ जलबिंबाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि तन्नो अंबु प्रचोदयात् |
विविध देवताओं के गायत्री मंत्र (108 देवताओं के गायत्री मंत्र)
क्रमांक | देव/देवी | मंत्र |
81 | पवन | ॐ विश्वपुरुषाय विद्महे शिवापत्ये च धीमहि तन्नो पवन: प्रचोदयात् |
82 | आकाश | ॐ सर्वव्यापकाय विद्महे गगनाय च धीमहि तन्नो आकाश: प्रचोदयात् |
83 | इंद्र | ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्न: इंद्र: प्रचोदयात् |
84 | अग्नि | ॐ वैश्वानराय विद्महे सप्तजिव्हाय धीमहि तन्नो अग्नि: प्रचोदयात् |
85 | यम | ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नो यम: प्रचोदयात् |
86 | निऋति | ॐ ज्वालामुखाय विद्महे उष्ट्रवाहनाय धीमहि निऋति: प्रचोदयात् |
87 | वरुण | ॐ पश्चिमेशाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि तन्नो वरुण: प्रचोदयात् |
88 | वायु | ॐ ध्वजहस्ताय विद्महे प्राणाधिपाय धीमहि तन्नो वायु: प्रचोदयात् |
89 | कुबेर | ॐ यक्षराजाय विद्महे पुलस्त्य पुत्राय धीमहि तन्नो कुबेर: प्रचोदयात् |
90 | यक्ष | ॐ अर्धदेवाय विद्महे व्यंतरदेवत्रे च धीमहि तन्नो यक्ष: प्रचोदयात् |
91 | गंधर्व | ॐ गीतवीणायै विद्महे कामरुपिण्यै धीमहि तन्नो गंधर्व: प्रचोदयात् |
92 | अप्सरा | ॐ कामदेवप्रियायै विद्महे सौंदर्यमूर्तये धीमहि तन्नो अप्सरा प्रचोदयात् |
93 | नाग | ॐ सहस्त्रफणाय विद्महे वासुकिराजाय धीमहि तन्नो नाग: प्रचोदयात् |
94 | पितर | ॐ पितृवंशाय विद्महे प्रपितामहाय धीमहि तन्नो पितर: प्रचोदयात् |
95 | वास्तु | ॐ नागपृष्ठाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नो वास्तु प्रचोदयात् |
96 | व्यास | ॐ पाराशरगोत्राय विद्महे नानापुराणाय धीमहि तन्नो व्यास: प्रचोदयात् |
97 | वाल्मिकि | ॐ आदिऋष्यै विद्महे रामायणाय धीमहि तन्नो वाल्मिकि: प्रचोदयात् |
98 | वसिष्ठ | ॐ ब्रह्ममानसपुत्राय विद्महे पुराणेतिहासकाराय धीमहि तन्नो वसिष्ठ: प्रचोदयात् |
99 | पराशर | ॐ शक्तिपुत्राय विद्महे पापानिती निवारणाय धीमहि तन्नो पराशर: प्रचोदयात् |
100 | विश्वामित्र | ॐ गाधिपुत्राय विद्महे गायत्रीमंत्रप्रवर्तकाय च धीमहि तन्नो विश्वामित्र: प्रचोदयात् |
101 | अत्रि | ॐ अक्षुणोत्पत्ताय विद्महे ब्रह्मपुत्राय धीमहि तन्नो अत्रि: प्रचोदयात् |
102 | अनसुया | ॐ कर्दमसुतायै विद्महे अत्रिभार्यायै धीमहि तन्नो अनसुया प्रचोदयात् |
103 | गौतम | ॐ सप्तर्षाय विद्महे मानसीसृष्टाय धीमहि तन्नो गौतम: प्रचोदयात् |
104 | मार्कंडेय | ॐ मृकुण्डुपुत्राय विद्महे योगज्ञानाय च धीमहि तन्नो मार्कंडेय: प्रचोदयात् |
105 | पतंजलि | ॐ शिवतत्त्वाय विद्महे योगांतराय धीमहि तन्नो पतंजलि प्रचोदयात् |
106 | गंगा | ॐ त्रिपथगामिनी विद्महे रुद्रपत्न्यै च धीमहि तन्नो गंगा प्रचोदयात् |
107 | यमुना | ॐ यमुनादेव्यै च विद्महे तीर्थवासिनी च धीमहि तन्नो यमुना प्रचोदयात् |
108 | रेवा | ॐ रुद्रदेहायै विद्महे मेकलकन्यकायै धीमहि तन्नो रेवा प्रचोदयात् |
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