इस्कॉन के प्रमुख प्रणाम मंत्र : पंचतत्व,श्री कृष्ण,श्री राधा रानी,श्री गुरु प्रणाम मंत्र

इस्कॉन प्रणाम मंत्र : इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ) एक विश्वव्यापी धार्मिक संगठन है, जो भगवद गीता और अन्य वैदिक साहित्य के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और उपासना का प्रचार-प्रसार करता है। इस्कॉन के अनुयायियों द्वारा निम्नलिखित प्रमुख मंत्रों का जाप किया जाता है। ये मंत्र न केवल भक्तों के लिए मार्गदर्शिका हैं, बल्कि उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाने का माध्यम भी हैं। आइए, इन मंत्रों के माध्यम से अपने जीवन को अधिक सार्थक और दिव्य बनाएं।

इस्कॉन के प्रमुख प्रणाम मंत्रों के लिस्ट कुछ इस प्रकार हैं

इस्कॉन के प्रमुख प्रणाम मंत्र
इस्कॉन के प्रमुख प्रणाम मंत्र
  • श्री पंच-तत्व मंत्र
  • हरे कृष्ण महामंत्र
  • श्री कृष्ण मंत्र
  • श्री राधा रानी
  • श्री वैष्णव मंत्र
  • श्री चैतन्य महाप्रभु मंत्र
  • श्री गुरु मंत्र
  • श्री गुरु महाराज जी का मंत्र

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श्री पंचतत्व प्रणाम मंत्र

जय श्री कृष्ण चैतन्य, प्रभु नित्यानंद, श्री अद्वैत, गदाधर, श्रीवास आदि गौर भक्त वृन्द

श्री पंच-तत्व मंत्र भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके परम भक्तों का स्मरण करता है। यह मंत्र उन सभी महान विभूतियों को समर्पित है जिन्होंने भक्तिमार्ग की स्थापना और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


हरे कृष्ण महामंत्र

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे ||

हरे कृष्ण महामंत्र का जाप, इस कलियुग में सबसे सशक्त और प्रभावी साधना माना गया है। यह भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम का स्मरण और स्तुति करता है, जिससे जीव की आत्मा शुद्ध और परमात्मा से जुड़ जाती है।


श्री कृष्ण प्रणाम मंत्र

हे कृष्ण करुणा-सिंधु दीन-बन्धु जगत्पते,
गोपेश गोपिकाकान्त राधाकान्त नमोस्तुते

यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इसमें उनकी करुणा, दीनों के बंधु और जगत के स्वामी के रूप में स्तुति की गई है। गोपियों के प्रिय और राधा के स्वामी श्रीकृष्ण को नमन किया गया है।


श्री राधा रानी प्रणाम मंत्र

तपत-कांचन गौरांगी राधे वृन्दावनेश्वरी,
वृषभानु सुते देवी प्रणमामि हरी प्रिये

श्री राधा रानी प्रणाम मंत्र श्री राधारानी को समर्पित है। इसमें उनकी दिव्य गौरवर्ण, वृंदावन की रानी, और वृषभानु की पुत्री के रूप में स्तुति की गई है। भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी को नमन किया गया है।


तुलसी प्रणाम मंत्र iskcon

तुलसी प्रणाम मंत्र

वृंदायै तुलसी-देव्यै / प्रियायै केशवस्य च
विष्णु-भक्ति-प्रदे देवी / सत्य व्यै नमो नमः

यह मंत्र तुलसी देवी को प्रणाम करते हुए कहा जाता है। तुलसी देवी भगवान विष्णु (केशव) की प्रिय हैं और भक्तों को विष्णु भक्ति प्रदान करती हैं।

तुलसी के पत्ते इकट्ठा करने का मंत्र

तुलसी अमृत-जन्मसी / सदा त्वं केशव-प्रिय
केशवार्थं सिनोमि त्वम् / वरदा भव शोभने

यह मंत्र तब कहा जाता है जब हम तुलसी के पौधे से पत्ते इकट्ठा करते हैं। इसमें तुलसी देवी को अमृत से उत्पन्न और हमेशा केशव की प्रिय के रूप में वर्णित किया गया है। पत्ते इकट्ठा करने का कार्य भगवान केशव के लिए किया जाता है और इसमें आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।

तुलसी वृक्ष की परिक्रमा का मंत्र

यानि कानि च पापानि / ब्रह्महत्यादिकानि च
तानि तानि प्रणश्यन्ति / प्रदक्षिणाः पदे पदे

यह मंत्र तुलसी वृक्ष की परिक्रमा करते समय कहा जाता है। इसमें कहा गया है कि परिक्रमा करने के दौरान हर कदम पर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, चाहे वे कितने भी गंभीर क्यों न हों, जैसे ब्रह्महत्या आदि।


श्री वैष्णव प्रणाम मंत्र

वांछा-कल्पतरूभयशच कृपा-सिंधुभय एव च,
पतितानाम पावने भयो वैष्णवे नमो नमः

श्री वैष्णव के इस मंत्र उन समस्त वैष्णवों को समर्पित है, जो इच्छाओं को पूरा करने वाले कल्पतरु समान और करुणा के सागर हैं। यह मंत्र पतितों को पवित्र करने वाले वैष्णवों को नमन करता है।


श्री चैतन्य महाप्रभु प्रणाम मंत्र

नमो महा-वदान्याय, कृष्ण प्रेम प्रदायते।
कृष्णाय कृष्ण चैतन्य, नामने गोर-तविशे नमः

श्री चैतन्य महाप्रभु के इस मंत्र, श्री चैतन्य महाप्रभु को समर्पित है। इसमें उन्हें महान उदारता और कृष्ण प्रेम का दाता कहा गया है। श्रीकृष्ण के रूप में प्रकट हुए चैतन्य महाप्रभु को नमन किया गया है।


श्री गुरु प्रणाम मंत्र

अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः

यह मंत्र गुरु को समर्पित है, जो अज्ञान के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से दूर करते हैं। गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, उन्हें नमन किया गया है।


श्री गुरु महाराज जी का प्रणाम मंत्र

नमः ॐ विष्णु पादय, श्रीमाधवप्रियाय च।
भक्ति प्रसादविष्णवे श्रीमते यतये नमः॥

सौम्यगुणचरित्राय गौरवाणीप्रचारिणे।
भागवतकथास्वाददायिने गुरवे नमः॥

मनोज्ञाय कृतज्ञाय सद्धर्मशास्त्रसम्विदे।
श्रीराधाश्रीलगोविन्दप्राणाय प्रभवे नमः।।

श्री गुरु महाराज जी का प्रणाम मंत्र उन महान गुरुओं को समर्पित है जिन्होंने भगवान विष्णु और माधव के प्रति प्रेम से समर्पण किया। यह मंत्र गुरुओं की सौम्यता, गुणों, और भागवत कथा के प्रचार-प्रसार में उनके योगदान की प्रशंसा करता है।


ये मंत्र भक्तों के लिए एक मार्गदर्शिका हैं, जो उन्हें भक्ति, श्रद्धा और समर्पण के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। प्रत्येक मंत्र हमें भगवान और उनके दिव्य स्वरूपों की याद दिलाता है, जिससे हमारी आत्मा शुद्ध और मुक्त होती है।

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