गायत्री मंत्र, वेदों की महानतम श्रुतियों में से एक, मानवता के लिए एक प्रेरणादायक और शक्तिशाली साधन है। गायत्री मंत्र की शक्ति और महत्व को अध्ययन करने का यह अद्वितीय अवसर है। इस ब्लॉग में, हम ‘अखंड गायत्री मंत्र’ के महत्व और महात्म्य को समझेंगे, उसके प्रमुख अंगों को विश्लेषित करेंगे, और उसके विभिन्न संस्करणों की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
अखंड गायत्री मंत्र
ॐ भू: ॐ- भुवः ॐ सुव: ॐ मह: ॐ जन: ॐ -तपः ॐ ज्ञान ॐ- विज्ञानं ॐ- प्रज्ञान ॐ- सत्यम!
ॐ तत सवितुर वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात !!
ॐ भू: ॐ- भुवः ॐ ज्योति: ॐ वायु: ॐ अमृता ॐ -परमात्मा ॐ ईश्वर ॐ- सूर्य ॐ अंतरात्मा ॐ जीवात्मा ॐ !!!
महागायत्री मंत्र:
ॐ भू: ॐ- भुवः ॐ सुव: ॐ मह: ॐ जन: ॐ -तपः ॐ- सत्यम!
तत् सवितुर वरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो-नः प्रचोदयात्!!
ॐ आपो, ज्योति, रसोऽमृतम्, ब्रह्म, भूः, भुवः, सुः ॐ
मूल गायत्री मंत्र:
ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
हिन्दी में भावार्थ : हमें उस परमात्मा को अपनी अन्तरात्मा में धारण करना चाहिए, जो प्राण का स्वरूप है, दुःख को नष्ट करने वाला है, सुख का स्वरूप है, श्रेष्ठ है, तेजस्वी है, पाप को नष्ट करने वाला है, और देवता का स्वरूप है। उस परमात्मा की हमें अपनी बुद्धि को सत्य की ओर प्रेरित करना चाहिए।
अखंड गायत्री मंत्र का महत्व
अखंड गायत्री मंत्र एक शक्तिशाली ध्यान और समर्थन का स्रोत है, जो अन्धकार से प्रकाश की ओर मार्गदर्शन करता है। यह न केवल मानव के आत्मिक विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि उसके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी संतुलित करता है। यह ध्यान और मंत्रजाप के माध्यम से चेतना के उन ऊँचाइयों तक पहुंचाता है जो हमारे लिए संभव हैं।
मंत्र जप के लाभ
- गायत्री मंत्र का नियमित रूप से सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक ऊर्जाएं बिल्कुल नहीं आतीं।
- मंत्र जप से कई प्रकार के लाभ होते हैं। व्यक्ति की चेतना और तेज़ बढ़ती है, और मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है। उसकी बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति, अर्थात् स्मरणशक्ति, भी बढ़ती है।
- गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर होते हैं, जो 24 शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक होते हैं।
- इसी कारण, ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना है।
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