सूर्य नमस्कार मंत्र आरएसएस : योग, मंत्र और राष्ट्रीय चेतना

सूर्य नमस्कार एक प्राचीन भारतीय योग अभ्यास है, जिसमें 12 योगासन और मंत्रों का समावेश होता है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति में सूर्य को शक्ति, ऊर्जा और जीवन का प्रतीक माना गया है, और उन्हें प्रणाम करने की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। इस परंपरा में सूर्य नमस्कार एक प्रमुख स्थान रखता है, जिसे आज के दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसी संस्थाएं भी अपने अनुयायियों के बीच प्रचलित कर रही हैं।

सूर्य नमस्कार का महत्व

सूर्य नमस्कार को न केवल शारीरिक व्यायाम के रूप में देखा जाता है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का भी एक माध्यम है। प्रत्येक आसन के साथ जुड़े मंत्रों का उच्चारण शरीर को ऊर्जा और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। यह संपूर्ण शरीर के लिए एक उत्तम कसरत है, जिसमें सांसों के साथ तालमेल बिठाते हुए विभिन्न आसन किए जाते हैं, जिससे शरीर के अंग-प्रत्यंग सक्रिय होते हैं और लचीलापन, सहनशीलता और शक्ति में वृद्धि होती है।

सूर्य नमस्कार मंत्र आरएसएस

ध्यान मंत्र :-

ॐ ध्यायेस्सदा सवितृमण्डलमध्यवर्ती
नारायणस्सरसिजासन सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी
हारी हिरण्मयवपुः धृतशङ्खचक्रः ‖

इस सावित्री मंत्र में सूर्य देवता के स्वरूप का ध्यान किया जाता है। यह मंत्र उनके आंतरिक तेज, शक्ति और दिव्यता का गुणगान करता है।

सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र :-

सूर्य नमस्कार मंत्र आरएसएस- सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र

सूर्य नमस्कार के दौरान, 12 योगासन के साथ 12 विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। प्रत्येक मंत्र सूर्य देवता के विभिन्न रूपों और गुणों का गुणगान करता है:

  1. ॐ मित्राय नमः (सभी का मित्र)
  2. ॐ रवये नमः (प्रकाश का स्रोत)
  3. ॐ सूर्याय नमः (जीवनदाता)
  4. ॐ भानवे नमः (प्रकाशमान)
  5. ॐ खगाय नमः (आकाश में विचरण करने वाले)
  6. ॐ पूष्णे नमः (पालक)
  7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः (स्वर्ण गर्भ वाला)
  8. ॐ मरीचये नमः (प्रकाश की किरण)
  9. ॐ आदित्याय नमः (आदित्या के पुत्र)
  10. ॐ सवित्रे नमः (प्रेरणा देने वाले)
  11. ॐ अर्काय नमः (ऊर्जा के स्रोत)
  12. ॐ भास्कराय नमः (प्रकाश फैलाने वाले)

श्लोक

आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञां बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते॥

इस श्लोक का अर्थ है कि जो लोग प्रतिदिन आदित्य (सूर्य) को नमस्कार करते हैं, वे दीर्घायु, प्रज्ञा, शक्ति, वीर्य और तेज प्राप्त करते हैं। यह अभ्यास न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी आपको सशक्त बनाता है।

आरएसएस और सूर्य नमस्कार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दृष्टिकोण से सूर्य नमस्कार एक महत्वपूर्ण अभ्यास है, जो शारीरिक और मानसिक अनुशासन को बढ़ावा देता है। आरएसएस के स्वयंसेवकों के लिए यह केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि यह एक साधना है जो राष्ट्रीयता, सामूहिकता और आत्मिक शक्ति का प्रतीक है। संघ के विभिन्न शिविरों और कार्यक्रमों में सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास कराया जाता है ताकि सदस्यों के बीच शारीरिक फिटनेस, मानसिक दृढ़ता और आत्म-नियंत्रण का विकास हो सके।

आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और उनके अनुयायियों ने शारीरिक और मानसिक विकास को महत्वपूर्ण माना, और सूर्य नमस्कार को इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपनाया गया। यह अभ्यास संघ की शाखाओं में आज भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसके माध्यम से वे राष्ट्रीय एकता, अनुशासन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं।

सूर्य नमस्कार के लाभ

सूर्य नमस्कार एक संपूर्ण शारीरिक और मानसिक व्यायाम है, जो अनेक लाभ प्रदान करता है:

  • शारीरिक लाभ: यह शरीर के सभी प्रमुख अंगों और मांसपेशियों को सक्रिय करता है, जिससे लचीलापन, ताकत और सहनशक्ति में वृद्धि होती है। यह हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है।
  • मानसिक लाभ: सूर्य नमस्कार के साथ मंत्रों के उच्चारण से मानसिक शांति प्राप्त होती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। यह मन को ध्यान में केंद्रित करने और आत्म-नियंत्रण बढ़ाने में सहायक होता है।
  • आध्यात्मिक लाभ: यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ व्यक्ति को जोड़ता है और आत्मिक चेतना को जागृत करता है। सूर्य देवता के प्रतीकात्मक स्वरूप का ध्यान आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

निष्कर्ष

सूर्य नमस्कार एक प्राचीन भारतीय योगिक विधि है, जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। आरएसएस जैसी संस्थाएं इसे राष्ट्रीय विकास और अनुशासन के प्रतीक के रूप में देखती हैं और अपने सदस्यों को इसका अभ्यास करने के लिए प्रेरित करती हैं। इस प्रकार सूर्य नमस्कार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का साधन है, बल्कि यह एक ऐसा अभ्यास है, जो मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और राष्ट्रीय चेतना को भी प्रकट करता है।


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